ब्लैक मार्केटिंग का रोजगार
अनुराग अवस्थी 'मार्शल'
अनुराग अवस्थी 'मार्शल'
देश को कांग्रेस सरकार से बहुत फायदे हैं। कांग्रेस आते ही रोजगार के रास्ते खुल जाते हैं। कोटा परमिट, लाइसेन्स राज खत्म होने की बातें शुरू हो जाती है। पी पी पी सिस्टम शुरू हो जाता है।
कुछ समय पहले तक देश में एनडीए की गर्वमेंट थी। दिन में दरवाजे की कालबेल बजती थी, रिक्शा वाला सिलेण्डर लादे खड़ा होता था, पूछता था, गैस तो नहीं चाहिए? ज्यादातर लोग कहते थे, नहीं अभी सिलेण्डर खाली नहीं है, दो चार दिन बात आना। बेचारा बैरंग वापस। इसे कहते हैं बेगारी।
अब उसी गैस ने रोजगार के अनेकों साधन मुहैय्या करा दिये है। इन लाइनों मे रात दो तीन चार बजे से खड़े होने वाले बेरोजगार भी है। यह लाइन कहा अपना पचास रूपये में बेंच देते है। मतलब इनको दो चार घण्टे खड़े रहने के ही तीस चालीस पचास रुपये मिल जाते है। एजेन्सी पर हर लोड दो सिलेण्डर लेकर फिर उनको जरूरतमन्दों तक मेहनत से पहुंचाने का व्यापार पनप गया है। भाई लोग इसे ब्लैक मार्केटिंग कहकर बदनाम भी करते हैं।
कुछ समझदारों ने सिलेन्डर से रीफिलिंग का व्यापार शुरू कर दिया है। बड़े सिलेन्डर से छोटे सिलेन्डर भरना। बड़े होटल, रेस्टोरेन्ट, मिठाई वालों के यहां सिलेन्डर सप्लाई के लिए समानान्तर सप्लायर पैदा हो गये है। सरकार भले ही एक रेट ३३० रखकर गैस देती हो,भाई लोगों ने पांच वर्षो से सात सौ तक रेट पहुंचा दिया है। पहले गैस ऐजेन्सी पर काम करने वाले के लिए टोटा था, अब एक दर्जन नवयुवक एजेन्सी कर्मी के रूप में काम कर रहे है और पैसे भी नहीं ले रहे है। हां दिन भर से केवल एक या दो सिलेन्डर का वन टू का फोर करने का मौका मिल जाये।
पीपीपी माडल भी एजेन्सियों में लागू हो गया है। प्रोपाइटर पब्लिक पार्टनरशिप चालू है। सब मिलकर व्यापार कर रहे है। पहले केवल ब्लैक मार्केटिये ब्लैक करते थे अब पब्लिक, दलाल, नेता, मैनेजर, मालिक सब मिल जुलकर कर रहे हैं। एक गैस अगर रोजगार देके इतने साधन दे सकती है तो कल पेट्रोल डीजल मिट्टी का तेल सीएनजी खाद शक्कर सीमेन्ट में भी रोजगार के साधन खुलने चाहिए।
कुछ समय पहले तक देश में एनडीए की गर्वमेंट थी। दिन में दरवाजे की कालबेल बजती थी, रिक्शा वाला सिलेण्डर लादे खड़ा होता था, पूछता था, गैस तो नहीं चाहिए? ज्यादातर लोग कहते थे, नहीं अभी सिलेण्डर खाली नहीं है, दो चार दिन बात आना। बेचारा बैरंग वापस। इसे कहते हैं बेगारी।
अब उसी गैस ने रोजगार के अनेकों साधन मुहैय्या करा दिये है। इन लाइनों मे रात दो तीन चार बजे से खड़े होने वाले बेरोजगार भी है। यह लाइन कहा अपना पचास रूपये में बेंच देते है। मतलब इनको दो चार घण्टे खड़े रहने के ही तीस चालीस पचास रुपये मिल जाते है। एजेन्सी पर हर लोड दो सिलेण्डर लेकर फिर उनको जरूरतमन्दों तक मेहनत से पहुंचाने का व्यापार पनप गया है। भाई लोग इसे ब्लैक मार्केटिंग कहकर बदनाम भी करते हैं।
कुछ समझदारों ने सिलेन्डर से रीफिलिंग का व्यापार शुरू कर दिया है। बड़े सिलेन्डर से छोटे सिलेन्डर भरना। बड़े होटल, रेस्टोरेन्ट, मिठाई वालों के यहां सिलेन्डर सप्लाई के लिए समानान्तर सप्लायर पैदा हो गये है। सरकार भले ही एक रेट ३३० रखकर गैस देती हो,भाई लोगों ने पांच वर्षो से सात सौ तक रेट पहुंचा दिया है। पहले गैस ऐजेन्सी पर काम करने वाले के लिए टोटा था, अब एक दर्जन नवयुवक एजेन्सी कर्मी के रूप में काम कर रहे है और पैसे भी नहीं ले रहे है। हां दिन भर से केवल एक या दो सिलेन्डर का वन टू का फोर करने का मौका मिल जाये।
पीपीपी माडल भी एजेन्सियों में लागू हो गया है। प्रोपाइटर पब्लिक पार्टनरशिप चालू है। सब मिलकर व्यापार कर रहे है। पहले केवल ब्लैक मार्केटिये ब्लैक करते थे अब पब्लिक, दलाल, नेता, मैनेजर, मालिक सब मिल जुलकर कर रहे हैं। एक गैस अगर रोजगार देके इतने साधन दे सकती है तो कल पेट्रोल डीजल मिट्टी का तेल सीएनजी खाद शक्कर सीमेन्ट में भी रोजगार के साधन खुलने चाहिए।
दूसरा विनोवा भावे
शेखर तिवारी से पुरूषोत्तम द्विवेदी और अब लिखते लिखते मन्त्री हरिओम उपाध्याय तक ने जो अपराध किया है उसकी सजा मुझे लगता है फांसी से कम नहीं होनी चाहिए। फांसी तो कसाब और अफजल को नहीं हो पा रही है, तो कम से कम इनके दुबारा लडऩे पर तो प्रतिबन्ध हो जाना चाहिए। इन्होंने इस देश को दूसरा विनोबा भावे नहीं मिलने दिया।
बहन कु . मायावती के रूप में देश को दूसरा विनोबा भावे मिलने वाला था ने नाक कटवा दी। यह तो पहले ही मालूम था कि ये बड़े वाले नकटे है। दारू बाज, रन्डीबाज, अपहरणकर्ता, चन्दाखोर, घूसखोर,.... क्या न कहा जाये। बहज जी को भी मालूम था फिर भी उन्होंने मौका दिया हृदय परिर्वतन का। शायद इन आदमखोरों को घास-फूस रास आ जाये। इन्होंने सिद्घ कर दिया कि हम सर्कस के पालतू नहीं है जो रिगंमास्टर के इशारों पर नाचें। हम तो खुले आसमान में नंगनाच करने वाले है। अपनी बहन जी हैं तो फिर काहे की चिन्ता? बस एक के बाद एक जेल के अन्दर और रह गयी अपनी आयरन लेड़ी विनोबा भावे बनने से।
देश में इस समय खान साहबों की पौ बारह है। दाउद खान दुबई में हैं, भारत सरकार उसकी तलाश एैसे करती है जैसे मिल जाये तो खा जाये, और हालत यह है कि दस साल पहले उसकी एक प्रापर्टी नीलामी मे खरीदी थी वकील साहब ने, कब्जा अब भी नहीं ले पाये।
एक सलेम खान है जो पुर्तगाल से इण्डिया पकड़ के आया था अब एमएलए बनने की लाइन में है। अफजल खान कश्मीर की वादियों में जाना चाहता है। उसकी फांसी की फाइल खो गयी है। कसाब बिरियानी खा रहा है। हसन अली खान को पकडऩे के लिए सुप्रीम कोर्ट को दरोगा बनना पड़ता है। बलवा खान राजा के साथ जेल में है, राजा छूटेगा तो बलवा भी मौज में होगा। राजा छूटेगा क्योंकि कांग्रेस को सरकार चलानी है।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नहीं होने चाहिए अगर वो अपराधी आतंकवादी है तो भी ....। दिग्गी भइया जिन्दाबाद। हां अपने शाही इमाम साहब पर कितने वारन्ट हैं इसकी गिनती अभी पूरी नहीं हो पायी है।1
बहन कु . मायावती के रूप में देश को दूसरा विनोबा भावे मिलने वाला था ने नाक कटवा दी। यह तो पहले ही मालूम था कि ये बड़े वाले नकटे है। दारू बाज, रन्डीबाज, अपहरणकर्ता, चन्दाखोर, घूसखोर,.... क्या न कहा जाये। बहज जी को भी मालूम था फिर भी उन्होंने मौका दिया हृदय परिर्वतन का। शायद इन आदमखोरों को घास-फूस रास आ जाये। इन्होंने सिद्घ कर दिया कि हम सर्कस के पालतू नहीं है जो रिगंमास्टर के इशारों पर नाचें। हम तो खुले आसमान में नंगनाच करने वाले है। अपनी बहन जी हैं तो फिर काहे की चिन्ता? बस एक के बाद एक जेल के अन्दर और रह गयी अपनी आयरन लेड़ी विनोबा भावे बनने से।
देश में इस समय खान साहबों की पौ बारह है। दाउद खान दुबई में हैं, भारत सरकार उसकी तलाश एैसे करती है जैसे मिल जाये तो खा जाये, और हालत यह है कि दस साल पहले उसकी एक प्रापर्टी नीलामी मे खरीदी थी वकील साहब ने, कब्जा अब भी नहीं ले पाये।
एक सलेम खान है जो पुर्तगाल से इण्डिया पकड़ के आया था अब एमएलए बनने की लाइन में है। अफजल खान कश्मीर की वादियों में जाना चाहता है। उसकी फांसी की फाइल खो गयी है। कसाब बिरियानी खा रहा है। हसन अली खान को पकडऩे के लिए सुप्रीम कोर्ट को दरोगा बनना पड़ता है। बलवा खान राजा के साथ जेल में है, राजा छूटेगा तो बलवा भी मौज में होगा। राजा छूटेगा क्योंकि कांग्रेस को सरकार चलानी है।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नहीं होने चाहिए अगर वो अपराधी आतंकवादी है तो भी ....। दिग्गी भइया जिन्दाबाद। हां अपने शाही इमाम साहब पर कितने वारन्ट हैं इसकी गिनती अभी पूरी नहीं हो पायी है।1
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