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नींद से जागा केडीए, बर्रा-२ योजना की पैरवी होगी चुस्त
बर्रा दो हाइड्रिल कालोनी योजना में हुई धाँधली का मुद्दा एक गर्माने के बाद अब के.डी.ए. बचाव की मुद्रा में आ कर इस पूरे मामले में अपना पल्ला झाडऩे में लगा है। इस पूरे मामले में खुद को पाक-साफ बता रहे के.डी.ए. के छोटे से ले बड़े अधिकारी हँलाकि अभी भी इस पूरे मामले में कुछ भी खुल कर बोलने के लिये राजी नहीें हैं लेकिन इस मामले की खुसुर-पुसुर की आवाज के.डी.ए. अधिकारियों के केबिन से हो कर बाहर तक सुनाई पडऩे लगी है। पिछले वर्ष शहर के लोगों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिये केडीए ने दक्षिण कानपुर में बर्रा-२ में हाइड्रिल कालोनी की एक भूखण्डीय योजना बनायी थी. पूरी योजना में २४ भूखण्ड थे. लोगों ने इस योजना में धन जमा कराया था. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी केडीए ने इस योजना की लाटरी नहीं डलवायी. जो कारण बाद में केडीए ने बताया वह था इस भूखण्ड परियोजना को लेकर केडीए और स्थानीय विधायक अजय कपूर के बीच हाईकोर्ट में चल रहा मुकदमा. यह जानकारी भी केडीए ने आवेदकों को कई चक्कर लगवाने के बाद भी नहीं दी. यह पता चला सूचना के अधिकार से. इस मुकदमे में केडीए की लचर पैरवी अब तक इस मुकदमे का कोई निर्णय न हो पाने का एक मात्रवजह रही. एक साल के लम्बे समय के गुजरने के साथ ही केडीए ने यह मान लिया था कि अब यह मामला लगभग शान्त हो गया है. इतना ही नहीं केडीए ने तमाम आवेदकों को उनका जमा पैसा भी वापस कर दिया था. आवेदकों को पैसा वापस करने के सम्बन्ध में अभी तक केडीए अधिकारियाों का कहना था कि वे नहीं चाहते हैं कि अनिश्चित समय तक चलने वाले इस फैसले की वजह से आवेदकों का पैसा फंसा रहे इस लिये आवेदकों को पैसा वापस लेने के लिये केडीए की तरफ से नोटिस जारी की गयी थी. जबकि आमतौर पर किसी योजना के अन्तर्गत भूखण्ड पाने में असफल रहने वाले आवेदकों को रकम वापसी के लिये अच्छी खासी कसरत करनी पड़ती है. इस मुद्दे के एक बार फिर से चर्चा में आने के बाद केडीए अधिकारियों के सुरों में बदलाव आ गया है.अब यही अधिकारी कह रहे हैं इस योजना के आवेदक उन पर लगातार लाटरी डालने या फिर रकम वापस करने का दबाव बना रहे थे। मुकदमें की वजह से लाटरी डालना तो उनके बस में था नहीं। ऐसे में केडीए आवेदकों को उनकी रकम ही वापस कर सकता था। इसी वजह से आवेदकों को रकम वापस लेने का नोटिस जारी किया गयालेकिन इस योजना के सम्बन्ध में केडीए अधिकरियों की मिली भगत और लापरवाही का मुद्दा एक बार फिर गरमाने की वजह से केडीए अधिकारी अपने आप को इस पूरे मामले में पाक-साफ बताने में लग गये हैं. केडीए अधिकारियों ने विधि विभाग के अधिकारियों से मिलकर उनको हाईकोर्ट में चल रहे इस मुकदमे की पैरवी में तेजी लाने की बात कही है. गौरतलब है कि पिछले एक साल से हाईकोर्ट में लम्बित इस मामले में केडीए की तरफ से पैरवी की कमी रही है. इसकी एक बड़ी वजह केडीए अधिकारियों की इस मामले में शामिल स्थानीय विधायक को लाभ पहुंचाने की नियत भी थी. अब अपने ऊपर बात आती देखकर केडीए अधिकारी भी खुद को इस मामले से अलग करने की फिराक में हैं.हालांकि इस पूरे मामले में अभी भी कुछ कहने से केडीए अधिकारी मामला कोर्ट में होने की बात कहकर कतरा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इस योजना में अपना पैसा लगा चुके आवेदकों को कुछ उम्मीद बंधी है कि शायद अब इस मामले में उन्हें कुछ न्याय मिल पायेगा. इसी उम्मीद में आवेदकों ने एक बार फिर केडीए अधिकारियों के केबिनों के चक्कर लगाने शुरू कर दिये हैं. अभी हाल ही में इस योजना का एक आवेदक जब इस मामले में आगे की जानकारी लेने केडीए पहुंचा तो केडीए अधिकारियों ने बसपा नेता सतीश मिश्रा के कानपुर आगमन और विभिन्न योजनाओं के निरीक्षण दौरा कार्यक्रम के बाद इस मामले को गम्भीरता से लेते हुये सुलझाने की बात कही. साथ ही अधिकारी आवेदकों से हाईकोर्ट में इस मामले की चुस्त पैरवी करने का आश्वासन भी दे रहे हैं. ताकि जल्द से जल्द इस योजना के संबन्ध में निर्णय आने के बाद योजना की लाटरी डलवा कर लोगों को भूखण्ड दिये जा सके.1 हेलो संवाददाता
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