शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

कवर स्टोरी

भ्रष्टाचार नहीं सत्ता का संघर्ष
मुख्य संवाददाता
भाजपा की यह रैली भ्रष्टाचार की खिलाफत और महंगाई का विरोध करने के लिये हो रही है लेकिन भाजपा गठबन्धन इस रैली के बहाने प्रदेश में आगामी विधान सभा चुनावों की जमीन भी तैयार करना चाहती है.

राष्ट्र मण्डल खेलों में हुये भ्रष्टाचार से लेकर स्पेक्ट्रम घोटाले तक केन्द्र की यूपीए सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में घेरने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी पार्टियों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ पूरे देश भर में घूम-घूम कर आन्दोलन छेडऩे का मन बनाया है. देश में लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार और महंगाई के लिये केन्द्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुये सबसे पहले दिल्ली में रैली निकालने के बाद दूसरी रैली कानपुर में आयोजित की जा रही है. भाजपा की इस रैली में जनता दल यूनाइटेड, शिवसेना, अकालीदल सहित भाजपा की सभी सहयोगी पार्टियां शामिल हैं. राजग की योजना पूरे देश में इस तरह की   बाइस विशाल रैलियों के आयोजन करने की है. कानपुर में हो रही इस रैली को पूरी तरह सफल बनाने के लिये भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टियों के छोटे से बड़े कार्यकर्ता और नेता हर सम्भव प्रयास करने में जुटे हुये हैं. कानपुर की यह रैली वैसे तो केन्द्र के साथ ही प्रदेश सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार की खिलाफत और महंगाई का विरोध करने के लिये हो रही है लेकिन भाजपा गठबन्धन इस रैली के बहाने प्रदेश में आगामी विधान सभा चुनावों की जमीन भी तैयार करना चाहती है. हालांकि अधिकृत रूप से भाजपाई इस बात से इन्कार कर रहे है और इस रैली को एक जन आन्दोलन ही बता रहे हैं.
फूलबाग में हो रही इस रैली के संयोजक भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्य प्रताप शुक्ल के मुताबिक भाजपा और इसकी सहयोगी पार्टियों  के वरिष्ठ नेताओं के इस रैली में शामिल होने से इस रैली की सफलता तो पहले से तय है साथ ही यह रैली भ्रष्टचार और महंगाई सरीखे ऐसे मुद्दों को लेकर हो रही है जिनसे आम आदमी बुरी तरह त्रस्त है. इसलिये इस रैली को जन सहयोग अपेक्षा से अधिक ही मिलेगा. रैली में भाजपा नेता लाल कृष्ण अडवाणी, डा. मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, विनय कटियार सहित भाजपा राज्य इकाई के भी लगभग सभी वरिष्ठ नेता और कर्मठ कार्यकर्ता शामिल होंगे. भाजपाइयों के लिये यह रैली इस वजह से भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि केन्द्र के अलावा प्रदेश की सत्ता से भी भाजपा का पिछले लम्बे समय से किनारा चल रहा है. जबकि  उत्तर प्रदेश शुरुआत से ही भाजपा का सबसे मजबूत किला माना जाता है और राम मन्दिर मुद्दे के बाद से भाजपा के पास प्रदेश स्तर पर ऐसा कोई मुद्दा हाथ नहीं लगा जिसके बूते पर वह सत्ता पर काबिज होने में सफल हो पाती. हालांकि बसपा के पहले सपा के शासन से त्रस्त सूबे की जनता को देखकर भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल होने का सपना संजोया था लेकिन ऐन मौके पर मायावती के नये सामाजिक समीकरण ने भाजपा का यह सपना चकनाचूर कर दिया. ऐसा होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह यह थी कि जिस सपा सरकार से सूबे की आम जनता नाखुश थी उस सपा सरकार को भाजपा का ही बिना शर्त गुप्त समर्थन था. वर्ना सपा की सरकार तो पता नहीं कब की गिर गयी होती. सपा को यह भाजपाई समर्थन भी इसी लिये था कि किसी भी कीमत में बसपा सत्ता से दूर रहे. ऐसा करने के पीछे भाजपा की मंशा पूर्व में उसके साथ बसपा के खेले गये राजनैतिक दांव थे. अब जब पूर्ण बहुमत की बसपा सरकार बन गयी है तो भाजपा सूबे में फैले भ्रष्टाचार के लिये केन्द्र की यूपीए सरकार के साथ-साथ प्रदेश की बसपा सरकार को भी बराबर का जिम्मेदार बता रही है.
 यह बात काफी हद तक सही भी है कि सूबे में प्रदेश सरकार के विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है अधिकारी से लेकर मंत्री तक सब इसमें आकण्ठ डूबे हैं. लेकिन भाजपा का यह कहना कि यह रैली महज एक जनान्दोलन है, भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ इस रैली का मकसद राजनैतिक लाभ लेना कतई नहीं है. तो भाजपाइयों की भी यह बात  सोलह आने झूठ ही है. क्योंकि जनान्दोलन का मतलब और मकसद केवल रैलियां निकालना भर नहीं होता है. जनान्दोलन के लिये संघर्ष करना पड़ता है और वह भी अपने निजी स्वार्थों को ताक पर रख कर.
रही बात केन्द्र और प्रदेश के शासन की तो इसमें कोई दो राय नहीं कि केन्द्र में राजग का लगभग साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल ने आम आदमी को थोड़ा सुकून दिया था. सिलेंडर आसानी से मिलते थे, राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण ने तेजी से गति पकड़ी थी. विदेशों से हमारे सम्बन्ध सुधरे थे. लेकिन सरकार बीस रुपये प्याज की भेंट चढ़ गयी थी. जबकि इस साल प्याज अस्सी रुपये तक बिक गया और केन्द्र की सरकार हिली तक नहीं और वो तमाम दलीलें भूल गयी जो इन कांग्रेसियों ने राजग सरकार में प्याज की कीमत बीस रुपये होने पर दी थीं. लेकिन ऐसा नहीं है कि भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टियों के दामन एक दम पाक-साफ हैं. राजग सरकार में भी भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की कृपा से मशहूर रिलायंस कम्पनी को बिना उचित वैधानिक लाइसेंस के बहुत दिनों तक दूरसंचार सेवाएं देने का मौका दिया गया था जिसे बाद में हो-हल्ला मचने की वजह से रिलायंस पर जुर्माना कर मामले का पटाक्षेप कर दिया गया. ऐसी ही भ्रष्टाचार की न जाने कितनी नजीरें भाजपा भी दे चुकी है तो ऐसे में काफी हद तक इनसे औरों से थोड़ा कम भ्रष्टाचार करने और करवाने की उम्मीद तो की जा सकती है लेकिन राम राज की कतई नहीं. रैली के जरिये भ्रष्टाचार मिटाने का प्रयास ठीक वैसा ही है जैसा कि आजाद मुल्क में देश को गांधी के मार्ग पर चलाने का संकल्प देश के कांग्रेसी शासन ने हर शहर में महात्मा गांधी के नाम का मार्ग(एम.जी.रोड) बनाकर कर दिया गया और खुद ही पीठ ठोक ली गयी कि देखा आज पूरा मुल्क गांधी मार्ग पर चल रहा है.1

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