शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

कवर स्टोरी

रंकपन रईसों का
मुख्य संवाददाता
प्रदेश में अगर अपने ही शहर का खाका देखा जाये तो विभिन्न मदों पर शहर के ही तथाकथित रईसों पर ही विभिन्न मदों का करोड़ों रुपया बकाया है और सरकार उनसे अभी तक यह बकाया रुपया वसूल नहीं कर पायी है। जबकि इन बकायेदारों की रईसी में कोई कमी नहीं आयी है सब मालदार हैं बकाया चुकाने में समर्थ हैं। लेकिन बस बकाया चुकाने की नियत ही नहीं है। 

विदेशों में जमा सैकड़ों हजार करोड़ रुपये का कालाधन अपने देश में वापस लाने की बात यूं तो पिछले काफी समय से उठायी जा रही है लेकिन इधर करीब दो वर्षों से यह बात एक ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दे की शक्ल लेकर केन्द्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा रही है। इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई में डटी भाजपा सहित लगभग सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियां सरकार से इस मामले में जवाब मांग रही हैं और सरकार है कि उसके पास विपक्ष को देने के लिये कोई जवाब ही नहीं है। यह मुद्दा तो राष्ट्रीय स्तर का है या कहें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का है चूंकि जहां यह अधिकांश धन जमा है वो तमाम बैंकें या संस्थायें विदेशों की है और उनमें से कई देश ऐसे हैं जिनसे इस तरह के पैसे की स्वदेश वापसी के लिये भारत सरकार के साथ कोई संधि या समझौता नहीं है। इसके अलावा भी कई और ऐसे पेंच हैं जिनकी वजह से ऐसा होने में इतना सब कुछ होने के बाद भी तमाम अड़चने है। हालांकि इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ केन्द्र में सत्तारूढ़ अब तक की सभी सरकारों की इस मसले को सुलझाने की इच्छा शक्ति की कमी ही है। वरना इस मामले से जुड़ी तमाम मुश्किलें और पेंच इतने भी जटिल नहीं हैं जितना कि दिखाये और बताये जा रहे हैं।
ऐसा इसलिये कि प्रदेशस्तर पर (देश का कोई भी प्रदेश हो) यह बात साफ हो जाती है। प्रदेश में अगर अपने ही शहर का खाका देखा जाये तो विभिन्न मदों पर शहर के ही तथाकथित रईसों पर ही विभिन्न मदों का करोड़ों रुपया बकाया है और सरकार उनसे अभी तक यह बकाया रुपया वसूल नहीं कर पायी है। जबकि इन बकायेदारों की रईसी में कोई कमी नहीं आयी है सब मालदार हैं बकाया चुकाने में समर्थ हैं। लेकिन बस बकाया चुकाने की नियत ही नहीं है। इन बकायेदारों में इन रईसों के अलावा तमाम सरकारी विभाग भी शामिल हैं जिन पर विभिन्न मदों का करोड़ों रुपया बकाया है।
आवास विकास परिषद, नगर निगम, पुलिस विभाग जैसे करीब करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे सरकारी विभाग हैं जो मौजूदा समय में करीब दो करोड़ पैसठ लाख तिरसठ हजार सात सौ रुपये से ज्यादा का बकाया है। इस बकाये को अदा करने की बजाय ये सरकारी विभाग एक दूसरे पर मनमानी तरीके से रुपये बकाया दिखाने का आरोप लगाने में लगे हुये हैं। ढाई करोड़ से ज्यादा की यह रकम तो वो है जो केवल सरकारी विभागों के ऊपर बकाया है। अगर शहर के तमाम बकायेदार रईसों को भी इसमें शामिल कर लिया जाये तो यह रकम लगभग पांच करोड़ और बढ़ जायेगी। इसके बाद भी यह बकाया धन राशि केवल वह है जिसको वसूलने की जिम्मेदारी तहसील के ऊपर है। तमाम ऐसे भी बकायेदार हैं जो बकाया न देने की वजह तलाशने न्यायालय की शरण में चले जा चुके हैं और ऐसे अनगिनत मामले अभी लम्बित पड़े हैं और उन पर अभी तक कोई अदालती निर्णय नहीं  आया है।
इन बकायेदारों और उनसे वसूली के सम्बन्ध में तहसीलदार सुधीर कुमार रुंगटा का कहना है कि तहसील के पास जिन बकायेदारों की सूची आयी है उनसे पैसा वसूलने के लिये आर.सी. सहित सभी जरूरी कागजात पूरे करके अग्रिम कार्यवाही की जा रही है. नियमित रूप से बकायेदारों के पास तहसील की टीमें जा रही हैं. बकाया जमा करने के लिये सभी को निर्धारित समय दे दिया गया है. समय सीमा समाप्त होते ही सम्बन्धित विभागों और व्यक्तिगत बकायेदारों के खाते कुर्क कर बकाया की रकम वसूल की जायेगी। कुछ बकायेदार न्यायालय की शरण में चले गये हैं। न्यायालय का निर्णय आते ही इनके खिलाफ भी आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।
तहसीलदार सुधीर रुंगटा कुछ भी कहें लेकिन यह सच है कि बकाये को लेकर आज तक किसी भी सरकारी विभाग और इसके आला अफसरान के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं हुई हैं। जबकि अक्सर निर्दोष शहरियों को बकाये के नाम पर बलि का बकरा बनना पड़ता है।
अभी कुछ दिन पहले  शहर की शान और सुविख्यात बाल साहित्यकार डा. राष्ट्रबन्धु को केस्को की लापरवाही से घोषित किये गये बकाया और इस बकाया की वसूली के लिये तहसील के जबरपन की वजह से हवालात की दुर्दशा झेलनी पड़ी थी। जबकि यह बाल साहित्यकार आखिर तक तहसील और केस्को को अपना बहुत पहले ही जमा करा दिये गये पैसों के कागजात ही दिखाते रहे। उम्मीद है कि इसी तरह का जबरपन तहसीलकर्मी इन तमाम बड़े बकायेदारों से वसूली कर सरकारी खजाने में कुछ इजाफा कर पायेंगे।
 इस पूरी प्रकिया और तहसील स्तर के बाकाया को ले कर एक बात साफ है कि जो राजनैतिक पार्टियां विपक्ष में आते ही केन्द्र सरकारों से विदेशों में जमा काला धन वापस देश में मंगाने की मांग कर रही हैं उन्हीं तमाम राजनैतिक पार्टियों की देश के कई प्रदेशों में अपनी सरकारें हैं जब वे खुद अपने प्रदेश के बकायेदारों से अपने प्रदेश के भीतर ही वसूली नहीं कर पा रही हैं तो फिर ऐसी दशा में विदेशों में जमा पैसा कैसे भी वापस देश में मंगाने की जायज मांग तमाम अंतराष्ट्रीय अड़चनों और दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी की वजह से कैसे पूरी हो सकती है। 1

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