शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

नारद डाट कॉम

ये भी गांधी

मां लक्ष्मी का साक्षात एक्सपोर्ट करने वालों में से आधा दर्जन से अधिक गांधी प्रजातियों के नामों का खुलासा हुआ है। गांधी हैं, तो बापू से जरूर जुड़े होंगे या हो सकता है कि साउथ अफ्रीका के दौरान प्रवास पर रहे लंगोटीधारी बापू अपने इन वंशजों को वहां छोड़ आये हों। वैसे हजार और पांच सौ वाले नोटों पर गांधी के लोगों का कानूनी अधिकार बनता है,कारण गंगाजल की तरह साफ है उनका चित्र आधे से ज्यादा हिस्से पर छपा है। लोग प्राय: बोलचाल की भाषा में कहते हैं कि तुम्हारे बाप का माल है क्या? अब इससे ज्यादा और  बाप का क्या होगा, हर नोट पर तस्वीर जड़ी हुई है।
दरअसल मैं तो इन दिनों चवन्नी बन्द होने से मजे का दुखी हूं। मेरा इस करेंसी से पुराना साथ रहा है। चाट पकौड़ी से लेकर सिनेमा तक का  सफर इसी के साथ पूरा किया है। दारू की खुराक आज भी चवन्नी भर की है। मुझे इसके बन्द होने का अंदेशा बहुत पहले से था। कई बार भिखारियों ने इसके देने पर बहुत घटिया बर्ताव किया है। एक आध बार तो बदले में अठन्नी वापस कर दी है। मैं उसी समय समझ गया था कि मेरी प्यारी  चवन्नी अब साथ छोडऩे वाली है। बड़ा बुरा हाल है, ५०० और हजार वालों के दर्शन नहीं हैं और जो साथ था उसका अंतिम संस्कार खुद सरकार ने कर दिया है। एकन्नी,दुअन्नी,तांबे का छेद वाला सिक्का तो पहले ही काल कलवित हो चुके हैं। अब चवन्नी भी चल बसी। इसके जाने के बाद मैंने इसके जाने के कारणों पर बहुत गम्भीरता से चिन्तन किया। मुझे तब एक बात समझ में आयी। सरकार गरीबी हटाने के लिये दृढ़ संकल्प है। उसने सोचा कि पहले इनके सिक्के को चलता करो, बाद में ये खुद और गरीबी दोनों निकल जायेंगे। बात ठीक भी है जिसका सिक्का बन्द उसकी कहानी खत्म। अब जमाना गांधी छाप बड़के नोटों का है। इसके चलते बड़े लोग इन्हें विदेशों की बैंकों में जमा करा रहे हैं। सरकार की  भली चलाई कब इन नोटों पर निगाह खराब हो जाये और इनका भी राम-राम सत्य कर दे।
घोर अन्याय
पिछले दिनों सेल्स टैक्स के अफसरों की बैठक में सरकार को इस बात की निन्दा हुई कि उन्हें भ्रष्ट कहना बन्द किया जाये। बात लाजमी है विधायक लोग बलात्कार के बाद भी माननीय कहे जाते हैं। इनके आगे महा तो लगाया ही जा सकता है कम से कम।1

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