ये जहाँ पहले उसे यूँ याद कर लेता तो था ,
वो धुंएँ के साथ थोड़ी रोशनी देता तो था.
झील में खिलते कँवल पर भोर की अंगड़ाइयां,
मैंने ये मंज़र किसी की आंख में देखा तो था.
लाख था दुश्मन मगर ये कम नहीं था दोस्तों ,
बद्दुआओं के बहाने नाम वो लेता तो था .
वक्त है जो आज मेरी प्यास अनजानी लगी,
यूँ तो मैं दरिया तेरी लहरों के संग खेला तो था.
मैं यहाँ पर किस तरह हूँ ये बताने के लिए ,
एक टूटा पर तुम्हरे सामने फेंका तो था.
और अपनी नींद की खातिर मैं क्या क्या बेचता ,
इक सुनहरा ख्याब कल की रत फिर बेंचा तो था.
by pramod tewari
वो धुंएँ के साथ थोड़ी रोशनी देता तो था.
झील में खिलते कँवल पर भोर की अंगड़ाइयां,
मैंने ये मंज़र किसी की आंख में देखा तो था.
लाख था दुश्मन मगर ये कम नहीं था दोस्तों ,
बद्दुआओं के बहाने नाम वो लेता तो था .
वक्त है जो आज मेरी प्यास अनजानी लगी,
यूँ तो मैं दरिया तेरी लहरों के संग खेला तो था.
मैं यहाँ पर किस तरह हूँ ये बताने के लिए ,
एक टूटा पर तुम्हरे सामने फेंका तो था.
और अपनी नींद की खातिर मैं क्या क्या बेचता ,
इक सुनहरा ख्याब कल की रत फिर बेंचा तो था.
by pramod tewari
achchhi ghazal bani hai
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