शनिवार, 27 नवंबर 2010

ये बुरके वाली लड़कियां...
इसे फैशन कहा जाये, बचाव कहा जाये या मुंह चुराई..। बाइक पर पीछे बैठी लड़की, जिसका सर और मुंह उसके दुपट्टे से पूरी तरह से ढंका हुआ होता है.. दिखाई पड़ती हैं तो सिर्फ उसकी आंखें और आंखों में इधर-उधर चटक मारती चपलता. पिछले साल-दो साल से शहर में किशोर व युवा लड़कियों में मुंह ढंकने का एक चलन सा सामने आया है. लड़कियां आमतौर पर यह परदा अपनी मर्जी से कर रही हैं. क्या है लड़कियों का नजरिया और लड़कियों के इस भेष पर हम उम्र लड़कियों की टिप्पणियां..। आइये इन्हीं से पूछते हैं...।किरन शर्मा (छात्रा बीटेक)- '' मैं भी अपनी चुन्नी से मुंह ढंक लेती हूं जब-कब. सबसे पहले मैंने तेज धूप व लू से बचने के लिये ऐसा किया था. अब शहर भर में खुदाई के कारण धूल है. कोचिंग से जब दोपहर हास्टल के लिये लौटती हूं तो सर और मुंह ढंक ही लेती हूं धूल से बचने के लिये.ÓÓ किरन की ही तरह अनुजा, रति व कीर्ति भी हैं. लेकिन सविता वर्मा (काल्पनिक नाम) का आंख छोड़ मुंह ढककर बाइक के पीछे बैठना नये जमाने की नयी कहानी बताता है. वह कहती हैं कि मेरा 'ब्याय फ्रें डÓ जब गुरुदेव से चिडिय़ाघर की तरफ उसे घुमाने ले जाता है तो मैं बाइक पर मुंह ढक कर और आंख खोलकर बैठना ही पसंद करती हूं. पहले मैं 'ख्योराÓ में रहती थी. अब बर्रा-४ में रहने लगी हूं. अभी भी पहचान के लोग मिल जाते हैं. इसलिए मुंह पर चुन्नी लपेटना ठीक रहता है. फिजूल की नजरों और सवालों से बची रहती हूं. सविता वर्मा की तरह ही एक नहीं दर्जनों लड़कियां हैं. कुछ तो साफ-साफ कहती हैं कि दोस्तों में मस्ती से घूमने-फिरने के लिये यह परदा बहुत सेफ है. छेड़-छाड़ से भी बचाव होता है और स्किन भी सुरक्षित रहती है. राधिका त्रिपाठी इसे तब और केवल तब ही उचित मानती हैं जब धूप या सर्दी से बचाव की आवश्यकता हो. वरना मटरगश्ती या मौज के लिए आड़ की तरह मुंह चुराकर सड़क पर निकलना नयी पीढ़ी की छवि को खराब करना है. वैसे यह चलन गर्मी लू के थपेड़ों से बचने के लिये चला था जिसका अपनी-अपनी तरह से इस्तेमाल हो रहा है. मीना सिंह कहती हैं कि जब घर वाले सर पर चुन्नी डालने के लिए जोर देते थे तो आधुनिक बनने के चक्कर में लड़कियां जींस-टॉप पहनने में अपना रुतबा समझती थीं और अब मुंह छुपाये घूम रही हैं.. यह केवल देखा-देखी के कारण है. आज कल की सड़कों पर मुंह छुपाये बलखाती लड़कियां मिल जाएंगी. स्वीटी कहती है-अब अगर किसी लड़की को मुंह और सर ढंक कर सड़क पर निकलने में किसी भी तरह की सहूलियत हो रही है तो किसी को कतई एतराज नहीं होना चाहिए. महिला कांनस्टेबल राजश्री इसे कतई अनुचित नहीं मानतीं. लेकिन वह यह भी कहने से नहीं चूकतीं कि टपोरी और सेक्स वर्कर की तरह गुमराह लड़कियां इस वेशभूषा का गलत इस्तेमाल कर रही हैं.1 हेलो संवाददाता

1 टिप्पणी:

  1. aaderniya pramod ji,
    pranaam. aapki yeh story crime ke lihaaj se kafi achchhi hai. tevar aur kalevar ke liye shat-shat dhanyavaad.
    ARVIND TRIPATHI

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