शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

प्रथम पुरूष

सफलता का नया फार्मूला संबंधों की देख-भाल और उनकी रक्षा

डा. रमेश सिकरोरिया

पहले आईक्यू, फिर (भावनात्मक) ईक्यू और अब संबंध (आधारित) आरक्यू को सफलता के लिए आवश्यकता की श्रेगी में सबसे महत्वपूर्ण कहा जा रहा है.आई क्यू यानी बुद्घिमत्ता का स्थान सफलता पाने में है, परन्तु बहुत से बुद्घिमान सफलता नहीं पाते और साधारण बुद्घिमत्ता वाले सफलता की शिखर पर पहुंच जाते हैं. ईक्यू यानी भावनात्मक क्यू में भावनात्मक बुद्घिमत्ता की पांच बातें, यानी अपनी भावनाओं को जानना, उनका संचालन करना (सुचारता पूर्वक) स्वयं को प्रेरित करना, दूसरों की भावनाओं को जानना या अहसास करना एवं संबंधों को संचालन करना सफलता दिलाता है. आर क्यू यानी (रिलेशनसिप क्यू) में अपने संबंधों का अनुभव करना, उनका आंकलन करना, उनको व्यवस्थित करना या संचालन करना समायोजित है. एक प्रकार से ई क्यू और आर क्यू में गहरा संबंध है, क्योंकि यदि व्यक्ति भावनात्मक रूप से संतुलित है, तो वह अपने परिवार, मिलों, पड़ोसियों, सहकर्मियों व सभी से अपने संबंधों को सुचार रूप से संचालित करता है. इस योग्यता का परिणाम उसे सफलता की सीढ़ी पर चढ़ाता रहता है. संबंधों का योग्यता पूर्वक संचालन न करने से या उनके नकारने से आपकी सफलता में रुकावट आती है. आड़े वक्त में संबंध आपको सहारा देते हैं. आपको निराशा से बचाते हैं, आपको उत्साहित करते हैं, आपको अहसास दिलाते हैं कि आप अकेले नहीं हैं, आपको आशावान रखते हैं और आगे बढ़ाते हैं. हमारे विचार भिन्न हो सकते है, परन्तु हमें असहमति के लिए सहमत होना चाहिए. दूसरे के मन में क्या चल रहा है, उसका अंदाजा लगाने के स्थान पर खुले मन से बात करेें. नतीजा क्या निकलेगा, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है आप समस्या का सामना कैसे कर रहे हैं? नकारात्मक या सकारात्मक तरीके से परिवार या सभी संबंध आपको एक मजबूत आधार (नींव) देते हैं, उस पर बनी इमारत गिरने पर फिर से बनायी जा सकती है. संबंधों के कारण ही यहूदी लोग भारत में अपने को अधिक सुरक्षित समझते हैं, इजराइल में नहीं! मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. समाज के अन्य लोगों से उसने कैसे संबंध बनाये हैं, इसी पर उसकी सफलता आधारित है. हमको कोई अच्छा लगता है, कोई नहीं. एक शिक्षक को अपने विद्यार्थी अपने परिवार से अधिक अच्छे लगते हैं, यदि हम अपने कुत्ता को टहलाने ले जाते हैं तो वह हमको प्यार करता है. लोग जिंदा इंसान है, कम्प्यूटर नहीं, उनसे संबंध बनाने के लिए उन्हें समय देना पड़ेगा, ऊर्जा खर्च करना पड़ेगी, उन्हें समझना पड़ेगा, संबंधों को सुंदर बनाने के लिए प्रयत्न करना पड़ेगा. अब तो कंपनियों या कार्यालयों में भी यही कोशिश रहती है कि छोटे से छोटे कर्मचारी से बड़े-बड़े अधिकारी एक ही तरंग पर काम करें, सभी का उद्देश्य एक हो, कंपनी की सफलता के लिए संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के तरीके अपनाये जाते हैं. एक दूसरे का सम्मान, उनकी संस्कृति की प्रशंसा और आदर करना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति एक जीता जागता इंसान है, वह एक नम्बर या संख्या नहीं है. सभी व्यक्ति एक से हैं, उनकी आदतें आम तौर पर एक सी हैं. भावनाओं में समानता है. उनकी मान्यता एक सी हंै. हम एक मुस्कराहट से उनसे दूरी कम करके अच्छे संबंध बना सकते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं. महान व्यक्तियों ने यही किया. एक और बात! आप चाहते हैं, कि सभी आप में रुचि दिखायें, परन्तु आप स्वयं दूसरों से दूर रहें, उनके दु:ख-सुख में रुचि न लें, तो संबंध कैसे सुंदर होंगे?केन्द्रित होने के स्थान में विकेन्द्रित हों, छोटा-बड़ा, काला-गोरा, हिन्दु-मुसलमान, अच्छा-बुरा भूल कर उससे इंसानी संबंध बनायें. आगे और गहराई से सोचें, तो प्रकृति से भीे हमें सुंदर संबंध बनाना चाहिए. उससे हमारे व्यक्तित्व को प्रसार मिलता है, हमारा व्यक्तित्व प्रखर होता है. पहाड़, जंगल, नदी, सभी जानवर हमें कुछ समझाते हैं, हमें कुछ ज्ञान देते हैं. हमारे जीवन की रक्षा करते हैं, यदि हमसे कुछ लेते हैं, तो अधिक देते हैं. केवल प्रकृति पूर्ण है, अतएव सफल होने के लिए उससे हमारा अच्छा संबंध होना आवश्यक है. पहाड़ों की शांति, जंगलों का वातावरण, नदी में पानी का बहाव, जानवरों की पग ध्वनि हम से संबंध बनाने को आतुर हैं, हम भी उनके पास जायें, उनसे प्रेम स्थापित करें.1

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