शनिवार, 20 नवंबर 2010

नारद डाट काम
आदर्श घोटाले
कमलेश त्रिपाठी
घोटालों की एक तासीर होती है ये हमेशा आदर्श लोगों द्वारा घटित होते हैं और करने का तरीका भी आदर्श ही होता है. जब सड़क पर कोई लड्डू फूटता है, तो उसे सारे आवारा कुत्ते मिल बांटकर खाते हैं. इसे हम सहकारिता का सिद्घांत भी कह सकते हैं. ऐसे मोदकों के भक्षण के लिये नेता, अफसर, नेवी एयर फोर्स, सेना सब मिलजुल कर अपने काम को अंजाम देते हैं. एक राजा भाई थे, इतना बड़ा खेल खेला कि अंकगणित, रेखागणित और बीजगणित सब फेल हो गई. कसम प्रदूषित गंगा मइया की जब से मैंने उनके घोटाले का आकार सुना मैंने कई बार उसे अंकों में बदलने की कोशिश की लेकिन अभी तक नतीजा सिफर हो आया. इसे विधि की विडम्बना ही कहा जायेगा कि मैं अभी तक उसका अंकीकरण नहीं कर पा रहा हूं और वो आराम से पचा गये. जिस देश में सैनिकों के ताबूतों और कारगिल के शहीदों ने नाम पर मुद्रानोचन हो रहा हो उसे आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता. दरअसल भारत दुनिया में नम्बर तीन की आर्थिक शक्ति बनने की तरफ बढ़ रहा है. ये तभी सम्भव है जब यहां के नेता, अफसर, दल्ले सबके सब अपने आप में बड़ी आर्थिक शक्ति बन जायें. ऐसा बनने के लिये नौकरी की पगार या कोई कारोबार मददगार साबित नहीं हो सकता है. इसके लिये तो लम्बा हाथ मारना पड़ेगा. ऐसे में लम्बे आदर्श घोटाले करना मजबूरी है. इस मामले में मुझे हंसी तब आई जब जयललिता मैडम ने राजा साहब को निकालने पर खुद समर्थन देने की बात कही. अभी तक एक राजा को झेलते-झेलते देश कंगाल बन गया, अब रानी को कैसे झेल सकता है. सांपों और नागों के इस गठबंधन में विष से बचना बेहद मुश्किल है. कुछ समय पहले सिंगापुर में भी भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया था कि आम जनता सड़कों पर उतर आई. अब हालात बेहतर हैं. बाबा रामदेव भी नाक से हवा घसीटने के साथ भ्रष्टाचार से लडऩे के उपाय भी बता रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि अपनी बीमारों की सेना से इन लडघड़ों को आइना जरूर दिखायेंगे. आगे-आगे देखिये क्या होता है, फिलहाल तो ये मुंहनुचवे देश को बकरे की टांग समझ चबाये जा रहे हैं. आर्ट आफ लिविंग
हैविंग ए वाइफ इज ए पार्ट आफ लिविंग. बट लिविंग बिद वाइफ एंड हैविंग ए गर्लफे्रंड इज आर्ट आफ लिविंग.1

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