शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

नारद डाट काम
पीपी की टींटीं
कमलेश त्रिपाठी
तो हो गई भइया, अब वो आनन्देश्वर छोड़ बाबा विश्वनाथ को प्यारे हो गये हैं कुल मिलकर दबंगई वहीं चलेगी. जाने वाला तो चला जाता है लेकिन छोड़ जाता है अपनी यादें कुछ कड़वी और कुछ मीठी. जहां तक मीठी का सवाल है तो पी पी के खानदान में किसी ने आज तग शक्कर नहीं खाई है. इनके यहां ब्रेक फास्ट नीम चढ़े करेले से होता है और रात्रि भोज में लाल मिर्च फांकते हैं कुल मिलाकर सब कुछ कड़वा ही है तो ऐसे में मीठे की बात कही नहीं जा सकती है. भगवान कृष्ण जब मथुरा से गये तो उनके वियोग में गोपिकाओं का बुरा हाल था. जब उद्घौ जी गोपिकाओं को समझाने गये तो खुद भी पगला गये थे और पहली बार प्रेम का मर्म समझ पाये थे. शहर के कद्रदानों उनके जाने से शहर की कुछ तितलियों का बुरा हाल है. उन्होंने फूलों पर बैठना बंद कर दिया है अपने पंख सिकोड़ राख बनने की तैयारी है. भाई मैं तो कहता हूं बनना चाहिए भी, बिना पिया काहे की सुहागिन अब कौन उनके रूप को निहारेगा और कौन बलइंया लेगा? जब पीपी थे तो क्या बात थी? बिना वर्दी के रूप का जलवा था पास पड़ोस के लोग बिना बात जाघिंया गीला कर लेते थे, इलाके का थानेदार पर्सनल टॉमी की तरह दुम हिलाता रहता था. एक रात में सब कुछ बदल गया पूरा चमन उजड़ के कन्डील बन गया है. एक बेचारी जो कैन्ट के मधुवन में पाई जाती हैं उनका सबसे बुरा हाल है उनके चक्कर में मोहल्ले के ४-६ दबंगों से पंगा ले लिया था. अब उनके जाने के बाद वही दबंग नीम की हरी शन्टी लिये मौके की ताड़ में हैं मिलते ही सौ-पचास से कम क्या जड़ेंगे.शहर के कुछ पत्रकारों की मांग भी सूनी-सूनी लग रही है उनके रहने पर बिना बात की रंगबाजी करते थे. नाश हो हिन्दुस्तान अखबार वालों का जिन्होंने छाप-छाप के उन्हें शहर से विदा करवा ही दिया. अब अपनी पीठ खुद ठोंक रहे हैं. इन लोगों को तितलियों तक का ख्याल नहीं आया बेचारी अपनी दुर्दशा पर घड़ों पानी बहा रही हैं. ऊपर से एक हेल्प लाइन और बना रखी है. अब जब ये तितलियां तुम्हारी कसो लाइन पर रो-रो के अपना हाल सुनायेंगी तो क्या तुम उनके पीपी को दोबारा यहां ला पाओगे? एक दिव्या के पीछे तुमने आधा दर्जन से ज्यादा दिव्याओं का दिल दुखाया है तुम्हें नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी. ख्ैर तुम्हें घबराने की कोई बात नहीं तुम्हें तो स्वर्ग जाना है और वहीं तुमको पीपी मिलेंगे. फिर नहीं स्वर्ग तुम्हें नर्क जैसा लगेगा, इसलिये किसी के श्राप या ताप से डरने की कोई बात नहीं है. छोटा दरोगा- बड़े दसे- साहब एक ट्रक स्काच पकड़ी है.बड़ा-छोटे से- अबे गधे एक ट्रक नमकीन और सोना और पकड़.

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