शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

चौथा कोना
एक और गधे की कहानी
प्रमोद तिवारी
पिछले दिनों मैंने आप लोगों को पंचतंत्र की एक कहानी 'धोबी और गधाÓ यह कहकर सुनाई थी कि पंचतंत्र का गधा अब पूरी तरीके से प्रेस तंत्र का हो गया है. मेरे एक मित्र हैं, मित्र क्या हैं मित्रता के नाम पर कबाड़ी हैं. व्यवसाय उनका पत्रकारिता है, जिसे उन्होंने पेशा बना लिया है. प्रेसतंत्र का गधा पढऩे के बाद उन्हें लगा कि मैंने उन्हें ही धोबी का गधा बना दिया है. बड़े नाराज दिखे. अब अगर नाराज हो ही गये हैं, तो इस बार फिर एक गधे की कहानी सुनें. यह कहानी मैंने कई दिन पहले सुनी थी सिद्घार्थ जोशी से. सो अब इसे अपने पत्रकार दोस्तों को सुना रहा हूं.. विशेष रूप से अपने कबाड़ी पत्रकार दोस्त को.गांव में एक धोबी के पास एक गधा था. उस धोबी के घर के पास एक सूखा हुआ गहरा कुआं था. रोजाना गधा कुएं के पास से गुजरता. एक दिन गधा कुएं में गिर गया. उस समय धोबी घाट पर था. गधे की किसी ने सुध नहीं ली. वह शाम तक कुएं में गिरा कहराता रहा. शाम को मालिक घर आया तो उसने देखा कि गधा कुएं में गिर चुका है. अड़ोस पड़ोस के लोग एकत्रित हो गए. सबने मिलकर निर्णय किया इन घरों के बीच खुदा हुआ यह सूखा कुआं खतरनाक हो सकता है, सो इसे भर दिया जाए. गांव वालों ने मिट्टी लाकर कुएं में डालनी शुरू की. यह गधा कृष्ण चंदर के गधे की तरह इंसानों की बातों को समझने वाला था. बस इसमें अधिक अक्ल यह थी कि कभी इंसानों की बोली नहीं बोलता था. उसने सुना कि उसे जिंदा दफन करने की तैयारी हो रही है. पहले पहल तो वह गधा खूब रेंका और अपनी ही भाषा में चिल्लाता रहा कि हरामखोर धोबी मैंने जिन्दगीभर तेरी गुलामी की, तू उसकी यह सिला दे रहा है. लेकिन गधे की बात किसी ने नहीं सुनी. कुएं को भरना शुरु कर दिया गया. जैसे जैसे कुएं में मिट्टी गिरती गई गधा चतुराई से मिट्टी के ढेर पर चढ़ता रहा. घण्टों की मशक्कत के बाद गांव वालों ने कुएं को मिट्टी से भर दिया. ढेर पर चढ़ता हुआ गधा भी ऊपर तक आ गया. अपने गधे को सुरक्षित देख मालिक चिल्लाया कि मेरा गधा वापस आ गया. लेकिन अब तक गधे का मन भी फिर चुका था. उसने अपने ही मालिक को दुल्लती मारी और बोला कौन सा मालिक? कैसा मालिक? मुझे तो तुम कुएं में ही दफन कर रहे थे. ऐसा कहकर गधा चला गया और मालिक देखता रह गया. इस गधे को कहीं और नहीं इस स्तम्भ के लेखक के रूप में भी देख सकते हैं. कुछ गधे अब भी बड़े संस्थानों में काम कर रहे हैं. जब वे कुएं में गिरेंगे तो उन्हें निकालने के बजाय उन पर मिट्टी ही डाली जाएगी. 1

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें