मंगलवार, 31 अगस्त 2010

प्रथम पुरुष
मजदूर महिलाएं और नशा
क्षमता से अधिक (घंटे)काम करने वाली महिलाएं खेतों में या अन्य जगहों पर मजदूरी करती हैं. भोजन के अभाव में काम करने वाली ये महिलाएँ काम क रने की क्षमता बढ़ाए रखने के लिए अनेक नशों का सहारा लेती हैं. स्वार्थवश ये महिलाएँ इस आदत क ो कभी अपनी मर्जी से तो कभी ठेकेदारों के कारण बढ़ावा देती हैं. एक शोध के अनुसार ८०.९ प्रतिशत औरतें गुटखा चबाती हैं, ६१.४ प्रतिशत सुर्ती, ५० प्रतिशत बीड़ी, २० प्रतिशत देशी दारू और १४.५ प्रतिशत हुक्के का सेवन करती हैं. वेे नहीं जानती कि इस आदत के कारण उनको अस्थमा, फ ेफड़े में कैेंसर, अधिक रक्त चाप गले का कैंसर, भूख न लगना एवं लीवर सम्बंधी बीमारियां होने की सम्भावना अधिक है.
चिकित्सा क्षेत्र की चुनौतियां
चिकित्सा क्षेत्र के सामने निम्न प्रश्न मुंह खोले खड़े है उनपर निर्णय लेेना आसान नहीं है १. यूथेंन्सिया या स्वैच्छिक मृत्यु- लॉ कमीशन में सिफारिश की गई है कि इसकी इजाजत दी जाए क्यों कि न देने से वे और उनका परिवार मानसिक और आर्थिक तौर पर टूट जाता है.२. गर्भपात- ग्रेट ब्रिटेन में २४ हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत है और २२ से २४ हफ्ते में अच्छी जांचों के कारण शरीर (हृदय या मस्तिष्क) की गम्भीर बीमारियों का पता चल सकता है. वे बता सकती हैं कि ऐसे बच्चे को जन्म देना निरर्थक है.३. स्टमसेल- इसके द्वारा बीमारियों (कैंसर) दुघटनाओं के इलाज की सम्भावना समाप्त नहीं हुई है. परन्तु अभी १० से ३० वर्ष लगेंगे यह जानने के लिए कि स्टम सेल के काम करने की विधि क्या है.४. अंगो की बिक्री- इरान में इनकी बिक्री वैध है हम भी जनहित में इसे कर सकते हैं परन्तु हमारे देश का भ्रष्टाचार और गरीबी इसका दुरूपयोग करेगा.५. भाड़े की मां- इसकी इजाजत उन्ही महिलाओं को है जो बिना गर्भाशय के पैदा हुई है यह जिनका गर्भाशय गम्भीर रूप से नष्ट हो चुका है उनके लिए नहीं जिनका गर्भपात हो जाता है.६. दवाओं को क्लिीनकल ट्रायल- वर्ष २०१० में इसका कार्य २ बिलियन रुपये हो जायेगा. अनजान पुरूषों और महिलाओं के ऊपर इनका प्रयोग किया जा रहा है. अब ऐसे ट्रायल के लिए विधि बना दी गई है उन्हें रजिस्टर करना होगा और उनके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है.७. मधुमेह- इसके इलाज के लिए छोटी आंत का एक हिस्सा निकालकर चीनी की मात्रा को निंयत्रण करने वाले हारमोन को सक्रिय करना गलत बता रहे हैं क्योंकि इससे संक्रमण और खून के थक्के जमने का खतरा है.
गांधी की हत्या
- अनेक प्रश्न१. उन्होने पाकिस्तान से आये शरणार्थियों को वापस जाने को कहा.२. उन्होने पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपये देने के लिए दबाव डाला.३. उन्होंने हमेशा मुसलमानों का पक्ष लिया उन्होंने पाकिस्तान से आये शरणार्थियों के दर्द को नहीं समझा.४. उन्होने अपने भूख हड़ताल को हमेशा हिन्दुओं को शान्त करने के लिए एक ब्लैक मेल का साधन बनाया.५. मुसलमानों ने उन्हें कभी भी अपना नेता नहीं माना फिर भी हमेशा उनका बचाव किया.६. उन्होने देश का विभाजन स्वीकार किया जबकि ऐसा होने पर अपनी जान देने की धमकी दी थी. उन्होने अपने आप को देश के ऊपर रखा.७. माउंट बैटन के सुझावों पर आंख मूंद कर विश्वास किया. माउंट बैटन को तो यह भी एहसास नहीं था कि जब शरणार्थी इधर से उधर आयेंगे तो कितना खून खराबा होगा उसको रोकने के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं की. वे तो किसी महाराजा की रियासत में शिकार खेल रहे थे उन्होंने पाकिस्तान को रोकने के लिए सेना दो दिन देर से भेजी. काश्मीर में वहां के महाराजा को सलाह दी कि भारत में शामिल होने से पहले अपने राज्य के लोगों की राय ले लें.८. उन्होंने हिन्दुओं का पक्ष लेने वाले नेताओं या पार्टियों को देश का दुश्मन बताया. उनकी बात को नहीं समझा उनको विश्वास में नहीं लिया.९. आजादी की लड़ाई के लिए उनकी अहिंसा का धर्म और नीति ठीक थी परन्तु शासन द्वारा एक वर्ग या अराजक तत्व द्वारा हिंसा के तांडव को रोकने के लिए कमजोर शासन का प्रीतक है जिसका अराजक तत्वों ने पूरा फायदा उठाया और कांग्रेस में ऐसे नेताओं की भरमार हो गयी और अब सभी पार्टियों में ऐसे नेताओं का प्रभुत्व हो गया.१०. दलितों के मसीहा थे परन्तु उनमें सूक्ष्म नेतृत्व पैदा नहीं कर सके. आजादी दिलाने के बाद उन्होंने देश के शासन को सुचाररू रूप से चलाने के जिम्मेदारी क्यों नहीं ओढ़ी. दुनिया के तमाम देशों में आजादी के बाद वहां के सर्वोच्च नेता ने ही शासन की डोर संभाली है पर उन्होंने देश को मझदार में छोड़ दिया.1 (लेखक पूर्व स्वास्थ्य निदेशक हैं)

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