गुरुवार, 8 जुलाई 2010

माया का दामन दाग की माया

उत्तर प्रदेश की मुखिया मायावती की माया मायावती ही जानें. इन दिनों कह रही हंै कि बसपा में अब कोई अपराधी नहीं रहेगा. चार दिन पहले पांच सौ अपराधियों को उन्होंने बाहर का रास्ता भी दिखाया. लेकिन आज भी उन की पार्टी में लगभग एक दर्जन सांसद व आधा दर्जन मंत्री संगीन अपराधों में सीधे-सीधे या परोक्ष संलिप्तता का आरोप झेल रहे हैं. जब तक ऊपर व्याप्त व स्थापित गंदगी साफ नहीं होती जिलों-जिलों के छोटे-बड़े अपराधियों को बाहर करने से कुछ हासिल नहीं होगा. जब भी चुनाव आते हैं बहन जी कोई न कोई नये नुस्खे के साथ मैदान में आती हैं. लोकसभा के गत् चुनाव के ठीक पहले एक तरह से उन्होंने अपराधियों की भर्ती शुरू कर दी थी और आज जब विधान सभा चुनाव व पंचायत चुनाव सत्ता के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं तो मायावती अपराधियों की छटनी में लग गई हैं. बसपा से पहले पंडितों विशेषरूप से सवर्णों की छटाई और जब अपराधियों की कटाई इस बात का संकेत है कि बहन मायावती का पुराना सोशल इंजीनियरिंग का फारमूला इस बार कतई लागू नहीं होगा. बसपा पूर्ण दलित फंडे के साथ चुनाव मैंदान में होगी. होता यह है कि दबंग और सवर्णों के आगे 'बहुजन सत्ताÓ बहुजन की नहीं रह पाती. दूसरे दलों को मौका मिलता है दलितों में सेंधकारी का. कांग्रेस के युवराज राहुल वैसे भी बहन मायावती की दलित संवेदना को बुरी तरह आहत कर रहे हैं. अपराधियों की बसपा से सफाई कोई आलोचना का विषय नहीं हो सकता. लेकिन मायावती का अंदाज ही कुछ ऐसा है कि बिना टोका-टाकी और टीका-टिप्पणी के कोई काम हो ही नहीं सकता. अब बताइये सोशल इंजीनियरिंग के बल पर प्रदेश की सत्ता में आई बसपा ने लोकसभा चुनाव के पहले अपराधियों की भर्ती शुरू कर दी थी. लोकसभा चुनाव के पहले बसपा की मुखिया मायावती ने उन सभी अपराधियों को लोकसभा के टिकट दिए, जो जीतकर आ सकें, ताकि बसपा की मुखिया का प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा हो सके.
पर बसपा का यह प्रयोग विफल रहा. इसकी कारण यह भी बताया जा रहा है कि बसपा में आने वाले अपराधियों के बारे में विपक्षी दलों व स्वयंसेवी संस्थाओं ने जमकर विरोध किया. लेकिन उन्होंने एक न मानी.पिछले लोकसभा चुनाव के मौके पर नेशनल इलेक्शन वॉच ने कुल अस्सी प्रत्याशियों में से सोलह अपराधियों की चिन्हित सूची जारी की थी. जो चुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे थे. नेशनल इलेक्शन वॉच के अनुसार इन पर हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण आदि जघन्य वारदात करने के आरोप हैं. इन अपराधियों में संभल सीट से डीपी यादव, वाराणसी से विधायक मुख्तार अंसारी ने किस्मत अजमाई थी. इसी तरह, आजमगढ से अकबर अहमद डम्पी, फिरोजाबाद से एसपी सिंह बघेल, मुजफफनगर से कादिर राणा, मैनपुरी से विनय शाक्य, बरेली से इस्लाम साबिर अंसारी, कुशीनगर से स्वामी प्रसाद मौर्य, श्रावस्ती से रिजवान जहीर, हरदोई से राम कुमार, कौशाम्बी से गिरीश चन्द्र, अम्बेडकरनगर से राकेश पाण्डेय, सुलतानपुर से मोहम्मद ताहिर, गाजीपुर से अफजार अंसारी, आंवला से कुंवर शिवराज सिंह और उन्नाव से अरूण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना शाामिल थे.अब तक बसपा ने घोषित तौर पर जिन अपराधियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, उनमें सांसद अफजाल अंसारी, उनके विधायक भाई मुख्तार अंसारी व अरूण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में बसपा ने आपराधिक छवि के जो लोग शामिल हैं, उनमें 12 सांसद, 68 विधायक व करीब आधा दर्जन मंत्री शामिल हैं.राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि बसपा चुनाव के पहले जनता में अपनी छवि सुधारने के लिए अपराधियों को बाहर करने का दावा कर रही है. वैसे सभी दलों में अपराधी घुसे हुए हैं, जो दलों को चुनाव जिताने का काम करते हैं. अर्सा पूर्व जहां ये अपराधी अपरोक्ष रूप से राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाते थे, वहीं अब वे खुद जनप्रतिधि बनकर सामने आ चुके हैं. साथ ही यह भी एक सवाल है कि पार्टी में अब भी जमे कद्दावर अपराधियों पर कार्रवाई होगी या फिर उन्हें बख्श दिया जाएगा, इस पर प्रदेश की निगाहें लगी हुई हैं. लोगों में यह भी चर्चा है कि चुनाव पूर्व होने वाले इस सफाई अभियान से उन लोगों के वे घाव शायद भर पाएंगे, जो इन अपराधियों ने तीन साल सत्ता में रहते हुए उन्हें दिए हैं. माया ही नहीं हर नेता जान गया है कि इस देश की जनता की याददाश्त बहुत कमजोर है.पर बसपा का यह प्रयोग विफल रहा. इसकी कारण यह भी बताया जा रहा है कि बसपा में आने वाले अपराधियों के बारे में विपक्षी दलों व स्वयंसेवी संस्थाओं ने जमकर विरोध किया. लेकिन उन्होंने एक न मानी.पिछले लोकसभा चुनाव के मौके पर नेशनल इलेक्शन वॉच ने कुल अस्सी प्रत्याशियों में से सोलह अपराधियों की चिन्हित सूची जारी की थी. जो चुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे थे. नेशनल इलेक्शन वॉच के अनुसार इन पर हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण आदि जघन्य वारदात करने के आरोप हैं. इन अपराधियों में संभल सीट से डीपी यादव, वाराणसी से विधायक मुख्तार अंसारी ने किस्मत अजमाई थी. इसी तरह, आजमगढ से अकबर अहमद डम्पी, फिरोजाबाद से एसपी सिंह बघेल, मुजफफनगर से कादिर राणा, मैनपुरी से विनय शाक्य, बरेली से इस्लाम साबिर अंसारी, कुशीनगर से स्वामी प्रसाद मौर्य, श्रावस्ती से रिजवान जहीर, हरदोई से राम कुमार, कौशाम्बी से गिरीश चन्द्र, अम्बेडकरनगर से राकेश पाण्डेय, सुलतानपुर से मोहम्मद ताहिर, गाजीपुर से अफजार अंसारी, आंवला से कुंवर शिवराज सिंह और उन्नाव से अरूण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना शाामिल थे.अब तक बसपा ने घोषित तौर पर जिन अपराधियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, उनमें सांसद अफजाल अंसारी, उनके विधायक भाई मुख्तार अंसारी व अरूण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में बसपा ने आपराधिक छवि के जो लोग शामिल हैं, उनमें 12 सांसद, 68 विधायक व करीब आधा दर्जन मंत्री शामिल हैं.राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि बसपा चुनाव के पहले जनता में अपनी छवि सुधारने के लिए अपराधियों को बाहर करने का दावा कर रही है. वैसे सभी दलों में अपराधी घुसे हुए हैं, जो दलों को चुनाव जिताने का काम करते हैं. अर्सा पूर्व जहां ये अपराधी अपरोक्ष रूप से राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाते थे, वहीं अब वे खुद जनप्रतिधि बनकर सामने आ चुके हैं. साथ ही यह भी एक सवाल है कि पार्टी में अब भी जमे कद्दावर अपराधियों पर कार्रवाई होगी या फिर उन्हें बख्श दिया जाएगा, इस पर प्रदेश की निगाहें लगी हुई हैं. लोगों में यह भी चर्चा है कि चुनाव पूर्व होने वाले इस सफाई अभियान से उन लोगों के वे घाव शायद भर पाएंगे, जो इन अपराधियों ने तीन साल सत्ता में रहते हुए उन्हें दिए हैं. माया ही नहीं हर नेता जान गया है कि इस देश की जनता की याददाश्त बहुत कमजोर है.










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