गुरुवार, 8 जुलाई 2010

मंडी को गुरुकुल बनाना होगा

लूट खसोट, दलाली, बेईमानी, झूठे दावों, फर्जी रैकटों की खरीद-फरोख्त से भरी काकादेव कोचिंग मंडी में सब रंगे सियार हों, ऐसा भी नहीं है. कुछ ने आज तक अपना सिद्घान्त नहीं छोड़ा है, और एकला चलो की तर्ज पर गुनगुनाते चले जा रहे हैं. सुखद यह है कि गिरते रिजल्ट और रैकिंग में पड़े सूखे ने बाकी को भी आत्मावलोकन को विवश कर दिया है. व्यवसाय की मजबूती और प्रतिस्पर्धा के बावजूद केवल ताम झाम और प्रचर प्रसार पर निर्भर रहने के बजाय पढऩे-पढ़ाने और अच्छा रिजल्ट लाने की बातें शुरू हो गयी हैं. कोटा का नाम सारे भारत में है. कानपुर से भी पिछले कुछ वर्षो में कोटा की तरफ छात्रों का पलायन शुरू हुआ है. लेकिन कानपुर कोचिंग ने अपना ऐसा नाम फैलाया कि कोटा से सर कानपुर आना शुरू हो गये . मैथ का जाना पहचाना नाम ओपी जुनैजा कानपुर लौट आये हैं. इस साल नारकर सर भी कानपुर में डेरा जमा चुके हैं. नारकर फिजिक्स की दुनिया का परिचित नाम हैं यह दोनों कोटा से ही कानपुर आये है. वालिया दम्पत्ति तो सात साल पहले कोटा के आफरों को ठुकराकर यहॉ आये हैं. पहले दिन से ही दलालों के कोचिंग भर देने की मृग मरीचिका से सम्मोहित हुये बगैर अमित और दीप्ति मैथ और केमिस्ट्री में अच्छे रिजल्ट दे रहे हैं. इस बार तो उन्होंने फिजिक्स की भी अच्छी फैकल्टी चालू की है. खरीद फरोख्त की दुनियां से दूर प्राण कोचिंग का भी अपना इतिहास है. अच्छे रिजल्ट के बावजूद कभी ताम-झाम और प्रचार-प्रसार के चक्कर में नहीं पड़ते हैं. मैथ में अगर कोई बच्चा आशीष विश्नोई से हटता है तो सीधे अभिषेक गुप्ता के पास पहुंचता है लेकिन अभिषेक की पूरे कानपुर में कोई होर्डिंग और विज्ञापन नहीं दिखता है. काकादेव में पढ़ाई के समानान्तर विकसित हो रहे प्रापर्टी डीलिंग, रीयल इस्टेट और माफियागीरी की भेंट चढ़े अभिषेक अब छोटी सी जगह किराये पर लेकर काम चला रहे हैं. कुछ ऐसा ही वाकया पंकज अग्रवाल के साथ हो चुका है. उनके निर्माणाधीन हाल में केडीए की सील जड़ी जा चुकी है, कारण कल तक उनके साथ सिग्मा में रहे एक सर उनसे व्यक्तिगत खुन्नस मानने लगे थे. पंकज कहते हंै कोई फर्क नहीं पड़ता है, बच्चा पढऩे आता है, उसे अच्छी पढ़ाई चाहिये, चमकदार हाल और एसी से पढ़ाई नहीं होती है. फिजिक्स के विवेक अपने यहॉ एक घन्टे का समय किसी भी छात्र की प्राब्लम हल करने के लिये रखते हैं, भले वह किसी भी कोचिंग का हो. आलोक दीक्षित ने इस बार माल रोड पर नयी कोचिंग शुरू की है, सीनियर छात्रों के लिये जहां फिजिक्स और मैथ की फैकल्टी दिल्ली और कोटा से है. बताते हैं कि इस बार हर कीमत पर कानपुर को रिजल्ट देना होगा अन्यथा काकादेव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा. कहते हंै उधर के अच्छे छात्रों को दूर की भाग दौड़ से बचाने के लिये कानपुर की सर्वोत्तम फैकल्टी देने का प्रयास किया गया है. फिजिक्स में अनीष श्रीवास्तव और मैथ में आशीष विश्नोई को आज भी बेजोड़ माना जाता है, लेकिन बड़े बैच और घटिया सोच वालों के साथ ने उनको भी विवादित बना दिया है. कल तक अनीष श्रीवास्तव के साथ पढ़ा रहे हारून पिछले साल उनसे अलग हुये थे. कारण एक ही था कि हजार पन्द्रह सौ के बैच में रिजल्ट लाना मुश्किल हो जाता था, और फिर बदनामी होती थी. उन्होंने नब्बे से ज्यादा के बैच न पढ़ाने का ऐलान कर रखा है. रिजल्ट भी अच्छे आना शुरू हो गये हैं. दूसरी तरफ खुले आम परचे बांट कर एस0आर0बी0 100 (सुप्रीम रैंकर) बैच में सौ बच्चों का एडमीशन लेने वाले महारथी बाद में अंधाधुंध कमाई की होड़ में उस बैच में पांच सौ तक एडमीशन कर लेते हैं. व्यस्तता इतनी कि बाद में छात्र को समय नहीं देते. इसी वर्ष आईआई टी में सेलेक्ट हुए एक छात्र उत्कर्ष गुप्ता कहते हैं, 'मैं तो कभी इनके यहॉ (नाम लेकर) एडमीशन की सलाह नहीं दॅूगा. इनमें से कुछ के दरबेनुमा हाल इतने खतरनाक हैं कि जाने और आने का मात्र एक दरवाजा हैै, कोई खिड़की नहीं. उस पर हजार बारह सौ के बैच. कहीं किसी दिन कोई दुर्घटना हुयी तो कोई माफी मांगने की हिम्मत नहीं कर सकेगा. हमने पिछले वर्ष भी आधुनिक द्रोणाचार्यों के लाक्षाग्रहों पर विस्तृत रिपोर्ट छापी थी. बात कुछ लोगों की केडीए, नगर निगम, फायर, एक्साइज, इन्कमटैक्स की नोटिस से आगे नहीं बढ़ी. कुछ अधिकारियों की जेब गरम हो गयीं और फाइलें बन्द. इन सबसे अलग कारपोरेट कोचिंग टारगेट, आकाश, एलन फिटजी, जैसी कई कोचिंग भी कानपुर में पैर जमा चुकी हंै. आकाश के राकेश बताते हैं कि मेडिकल में इस बार हमारे रिजल्ट कानपुर में सबसे अच्छे रहे हैं. कारण हम फैकल्टी से समझोता नहीं करते हैं. इस वर्ष उनके यहां टेस्ट भी आल इन्डिया आधार पर होंगे. प्राची वाष्णेय, सिद्घार्थ रवि, रिषभ गुप्त ने रैंक लाकर कोचिंग का नाम बढ़ाया है. 1हेलो संवाददाता

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