शुक्रवार, 27 मई 2011

दूल्हा रिजेक्ट करें लेकिन...

पिछले एक पखवारे में हमारे जनपद में लड़कियों ने खूब दूल्हे रिजक्ट किये। एक दूल्हा इसलिए रिजेक्ट हुआ कि उसकी उम्र दुल्हन के चाचा से ज्यादा थी। एक इसलिए रिजेक्ट हुआ कि वह हाई स्कूल फेल था लेकिन बोल 'अंग्रेजी'  रहा था। दुल्हन से अंग्रेजी की दुर्दशा नहीं देखी गई। एक को लड़की ने इसलिए भगा दिया कि वह बिना हीरो हाण्डा के फेरे लेने को तैयार नहीं था। एक कुर्ता-पायजामा पहने था इसलिए रिजेक्ट कर दिया गया। निश्चित तौर पर यह हमारे नगर में नारी गौरव युग का प्रारम्भ है। मैं चाहता हूं यह परम्परा और आगे बढ़े। हमारे महानगर की लड़कियां और जागरुक हों। वह सिर्फ दूल्हे को देखकर ही सेलेक्ट, रिजेक्ट का फैसला न करें। वह उसके घर और घर की आधारभूत सुविधाओं को भी देखें। जैसे कि घर यानी भावी ससुराल में बिजली की क्या व्यवस्था है? मीटर अपना है या बगल वाले से किराए पर बिजली ली है? मीटर अपना है तो बिजली आती है या नहीं? आती है तो कितने दिनों? हर दिन आती है तो कितनी देर के लिए? जितने समय बिजली नहीं आती है, उसके लिए क्या वैकल्पिक इंतजाम है? जनरेटर है कि नहीं? इनवर्टर है कि नहीं? अब बताओ अगर ससुराल में जनरेटर या इनवर्टर नहीं है और बिजली भी यदा-कदा ही आती है तो लाख पढ़ा-लिखा हो दूल्हा, लाख उमर भी फन्ने खां हो, हीरो हाण्डा भी न मांग रहा हो, कुर्ता-पायजामा भी न पहने हो, फिर भी उमस भरी गर्मी में वह दुल्हन के किस काम का। वह कूलर तो बन नहीं जाएगा। पंखा तो हो नहीं जाएगा। इसलिए दूल्हे के पास एक अदद जनरेटर या इनवर्टर जरूर होना चाहिए। बिजली की ही तरह लड़कियों को पानी पर भी ध्यान देना चाहिए। 'रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून' को विस्मृत नहीं करना चाहिए। शादी से पहले लड़की को जानना चाहिए कि उसकी होने वाली ससुराल में जल-संस्थान का पानी इस्तेमाल किया जाता है या हैण्डपम्प का, पड़ोसी से पानी मांग कर काम चलाया जाता है या निजी बोरिंग है। अगर निजी बोरिंग है तो आँख बंद करके दूल्हा 'सेलेक्ट' किया जा सकता है लेकिन अगर पड़ोसी से पानी मांग कर काम चलाया जा रहा है तो ससुराल वालों की बजाय पड़ोसी के बारे में गहन जानकारी की जरुरत है। जैसे पड़ोसी पानी क्यों दे रहा है, कब से दे रहा है? उसका स्वभाव कैसा है? आमदनी क्या है? पानी के बारे में उसकी राय क्या है? वह कब तक पानी देता रहेगा आदि-इत्यादि। यदि इन सभी प्रश्नों के सही-सही उत्तर मिल जाएं तो बेहतर हो कि लड़की पड़ोसी के यहां ही कोई गुंजाइश तलाशे अन्यथा दूल्हे को रिजेक्ट कर दे क्योंकि पड़ोसी के भरोसे गृहस्थी नहीं चलाई जा सकती। अब अगर हैण्डपम्प का पानी इस्तेमाल किया जाता है तो देखें, हैण्डपम्प घर में लगा है या चौराहे पर? चौराहे पर लगा हो तो 'अरेन्ज' मैरिज का प्रश्न ही नहीं। हां, घर में लगा हो तो विवाह के लिए सोचा जा सकता है, यह ध्यान में रखते हुए कि इलाके का वाटर लेबल क्या है? अब अगर किसी लड़की को यह पता चले कि उसकी भावी ससुराल पूरी तरह से जल संस्थान की सप्लाई पर निर्भर है तो उसे ऐसे परिवार से किसी भी सूरत में रिश्ता नहीं जोडऩा चाहिए क्योंकि अब जल-संस्थान के पानी से घर बसते नहीं, उजड़ते हैं। बिजली, पानी की तरह और भी बहुत से बिन्दु हैं, जिसके  आधार पर लड़कियां दूल्हों को रिजेक्ट कर सकती हैं। बस थोड़ी सी और हिम्मत की जरूरत है।
प्रमोद तिवारी

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