शनिवार, 28 मई 2011

मार्शल का बाईस्कोप

खुदा ही खुदा / हाले शहर
एक कनपुरिये ने बाहर रहने वाले अपने रिश्तेदार को फोन किया कि जब आना तो फला सड़क से मत आना, उधर खुदा पड़ा है. रिश्तेदार जब कुछ दिनों बाद छुट्टी हो गयी तो आये. लेकिन यह क्या उनके घर की हर सड़क खोद कर पाइप डाले जा रहे थे. वे जैसे-तैसे घर पहुंचे तो मुंह से निकला यहां तो चारो ओर खुदा ही खुदा है.
जेएनयूआरएम से पैसे की बरसात क्या हुई, सारे शहर में सीवर लाइनें पडऩा शुरू हो गया. कोई प्लान नहीं कि अगर इस सड़क पर डालें तो इधर का ट्रैफिक उधर से निकल जायेगा. उसके बाद दूसरी तरफ डालें. एक साथ चारो ओर सड़कें खोद दी गईं. बड़े-बड़े पाइप सड़कों के किनारे डाल दिये गये. पूरा शहर जाम से जाम लड़ाने लगा. घंटे-दो घंटे के जाम दस बारह घंटे में बदलने लगे. इस पर भी तुर्रा यह कि कहीं घटिया पाइप पड़ रहे हैं, कहीं चिटके, कहीं रिजेक्टेड. कभी महाना, कभी पाटनी, तो कहीं स्वयं नगर आयुक्त और एडीएम घटिया पाइप पकड़ चुके हैं. सोचिये तब क्या होगा जब यह पाइप लाइन चालू होगी. सीवर से भरी और जब इसके लीकेज से कोई माल रोड धसेगी, बैठेगी और फिर खुदेगी. क्या होगा तब उस पूरे इलाके का? व्यापार, रोजमर्रा के  काम सब ठप्प हो जायेंगे. आखिर टूटे पाइपों को जमीन के अन्दर दफन करने से सीवर लाइनों के चालू होने के बाद जिन्न निकलेगा उसे कौन, कहां, कैसे दफन कर पायेगा? भाई कह रहे हैं उसमें भी फायदे हैं, आसपास के बड़े एरिया में रूमफ्रेशनर और रोड पर रुमाल की बिक्री बढ़ जायेगी.
बीमार अस्पताल, हेल्दी साहब स्वास्थ्य महकमा इस समय ज्यादा परेशान है.  कारण कई हैं. एक तो ऊपर से धन की बरसात इतनी हो रही है कि सम्भालना मुश्किल. उसकी बंदरबाट और खाने-पीने की लड़ाई में सीएमओ मर रहे हैं. जांच की आंच इतनी तेज कि बेचारे दो मंत्री भी उसमें जल गये. अपने शहर का भी नुकसान हुआ. विभाग में सारे घर के बदल डालूंगा स्टाइल में तूफान आया. संविदा के डाक्टरों को हटाया गया. सीएमओ परिवार कल्याण पद खत्म कर दिया. उम्मीद  थी कि इससे कुछ फर्क पड़ेगा. राहुल गांधी आरटीआई में सूचनाएं क्या मांगते हैं, अपने शहर के युवक कांग्रेसी भी खड़े हैं, अस्पतालों में दस रुपये का नोट लगाये एप्लीकेशन लिये. विभाग की सेहत पर कोई फर्क नहीं है वह अजगर करें न चाकरी, पंक्षी करे न काम... को मूलमंत्र बनाये हैं.
अब देखिये शहर की एक तहसील में तैनात बड़े वाले डा. साहब अपना ट्रान्सफर शहर के नजदीक चाहते हैं. क्योंकि साहब का अपना अस्पताल श्यामनगर में चल रहा है. ऐसे में पचास किमी दूर (हफ्ते में दो दिन ही सही) अपनी कार से जाना, मतलब सरकारी अस्पताल को स्वस्थ करना और अपने अस्पताल को बीमार करना. बस बड़े साहब ने और बड़े साहब के यहां अर्जी लगाई और गांधी जी भी पहुंचा दिये. तहसील में तैनात एक छोटे डा. साहब की भी अर्जी और गांधी जी ऊपर पहुंच गये, कि बड़े वाले पन्डित जी को हटाकर मुझे चार्ज दे दो.
शहर के नजदीक जिन डाक्टर साहब को वहां से हटाकर कल्यानपुर भेजकर वह जगह खाली करानी है, वह डाक्टर साहब चवन्नी खर्च करने को तैयार नहीं हैं. उन्हें पता है कि जब उन दो का पैसा जमा है और उनको इधर-उधर भेजा जायेगा तो मुझे कल्यानपुर पहुंचा ही दिया जायेगा.
अब शहर के बड़े साहब चक्कर में हैं कि कल्यानपुर ट्रान्सफर वो भी बगैर चवन्नी के, सवाल ही नहीं उठता. बस अब न देने वालों के चक्कर में देने वाले भी परेशान हैं. अस्पताल तो तब सुधरेंगे जब व्यवस्था सुधरेगी और व्यवस्था तब सुधरेगी जब साहब बैठकर काम करेंगे. अभी तो मई-जून बस इसीलिये है कि कौन कहां कब से तैनात है और कितने देकर कहां जाना चाहता है.
टांग खिचाई का मिशन
कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने का दावा कर रही है. लेकिन कांग्रेसियों का अपना राष्ट्रीय कार्यक्रम टांग खिचाई खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. जिले में इस समय कांग्रेस की दो सीटें हैं. देहात और नगर मिलाकर कुछ चौदह सीटें है. अब कांग्रेस को सरकार बनानी है तो दो को पांच छह में बदलना पड़ेगा. हालत यह है कि इन दो में ही अभी भाभई मची है. सीसा वाली सीट सामान्य हो गई है, यहां वाले नेता जी का नाम कभी बिल्हौर के लिये उछलता है तो कभी दूसरी जगहों से. नेता जी ताक रहे हैं कि कहां से हमारे श्री श्री श्री १००८ हमें प्रकाश फैलाने के लिये भुजेंगे. दूसरे वाले पहले से ही चतुर चौकन्ने हैं. उन्हें मालूम है कि उनके लिये प्रकाश नहीं अंधेरा किया जायेगा. वैसे भी पुरानी विधानसभा दो हिस्सों में बट गयी है. विरोधी कभी उनको इधर-उधर खिसकाने के शोशे छोड़ते हैं तो कभी मनोज तिवारी जैसे भोजपुरी गायक का तराना छेड़ देते हैं. पूर्वांचल जिन्दाबाद. अपने भारी भरकम नेता जी भी तेल और तेल की धार पहचानना जानते हैं, उन्होंने बगल की छावनी पर निगाह गड़ा दी है. मुस्लिमों की बड़ी संख्या, ऊपर से रिश्तेदार विधायक के पुराने समर्थक, सब मिलकर आराम से बेड़ा पार कर देंगे. रिश्तेदार विधायक जी तो कमल खिलाने महराजपुर चले गये हैं. करो कितनी टांग खिचाई करोगे? लेकिन बाकी सीटों का क्या होगा? क्या ऐसे होगा मिशन २०१२ पूरा?
अनुराग अवस्थी 'मार्शल'

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