शनिवार, 28 मई 2011

ग्राम-पंचायतों का सोशल-आडिट प्रारम्भ

गांव-गांव आयी सरकार मौका मुआयना को
जिला प्रशासन ने ग्राम-पंचायतों के सोशल-आडिट का काम शुरू किया है. इसकी मंशा जिले के आला अधिकारिओं में प्रदेश सरकार की जनोपयोगी योजनाओं का वास्तविकता के धरातल पर वास्तविक मूल्यांकन है. निचले पायदान के प्रशासन के नुमाइंदे इन्हीं योजनाओं को किस बेतरतीबी से क्रियान्वित कर रहे हैं, इसका आम जनता के सामने खुली जांच प्रक्रिया के माध्यम से 'सरकार आपके द्वार' जैसा कदम उठाया गया है. इस योजना के तहत जिला स्तर के प्रशासनिक अधिकारिओं से ग्राम पंचायतों की खुली बैठकों में मनरेगा , पंचायत भवन और आदर्श जलाशय योजना जैसी अति महत्वाकांक्षी जन-उपयोगी योजनाओं का वास्तविक लाभ आम ग्रामीण समाज तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप शुरू किये गए सोशल-आडिट सर्वे में प्रदेश के विकासोन्मुखी नजरिये और कियान्वयन के स्तर पर असहयोग और उपेक्षा का नमूना साफ़ उजागर होता है. कानपुर जिला प्रशासन द्वारा जिला पंचायतराज अधिकारी के. एस. अवस्थी को कानपुर के घाटमपुर विकास खंड के गुच्चूपुर एवं मखौली ग्राम-पंचायतों का सोशल-आडिट करने का आदेश दिया गया था.उन्होंने दोनों ग्राम-पंचायतों में पंचायत-भवनों में आम ग्रामीणों के साथ खुली बैठकें कीं. अपनी जांच आख्या में उन्होंने ग्राम पंचायत गुच्चूपुर में परित्यक्त पंचायत भवन की तकनीकी जांच करवाने के मौके पर ही आदेश कर भवन की पुनरोपयोगिता के आदेश किये. पंचायत सफाई कर्मी की कार्य के प्रति उपेक्षा की शिकायत पर प्रतिकूल प्रविष्टि के निदेश दिए.ग्राम-पंचायत मखौली में सफाई कर्मी विगत पांच माह से अनुपस्थित पाया गया जिसका वेतन रोके जाने और स्पष्टीकरण प्रस्तुत किये जाने का आदेश दिया गया. इसी ग्राम-पंचायत मखौली में विद्यालय में निर्मित शौचालय में दरवाजा नहीं लगा पाया गया.ग्राम पंचायत सचिव और सहायक विकास अधिकारी (पं0) को प्रतिकूल प्रविष्टि का आदेश दिया गया. यहाँ आंगनवाड़ी केंद्र की कमी की जनता की मांग को उच्चाधिकारिओं तक प्रकाश में लाने का आश्वासन देते हुए श्री अवस्थी ने ढाई वर्षों से ए0 एन0 एम0 के नहीं आने की शिकायत भी अपनी जांच आख्या में की है.
प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद के आदर्श जलाशय योजना को हरहाल में लागू करने के हाल के निर्देशों को पूरी तरह से ग्राम-पंचायतों में लागू नहीं किया जा रहा है. इन दोनों ग्राम पंचायतों में की गयी जांच में पाया गया एक भी आदर्श जलाशय का निर्माण अभी तक नहीं किया गया है जबकि विगत वर्ष शासन से इस सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना पर प्रत्येक ग्राम-पंचायत में एक आदर्श जलाशय के खुदवा लिए जाने की सूचना दी जा चुकी है.ग्राम पंचायत गुच्चूपुर में विगत 30 वर्षों से कोई तालाब नहीं खोदा गया है. जबकि मखौली में एक मात्र तालाब खोदा गया जिसे आदर्श जलाशय के मानकों के अनुरूप नहीं खोदा गया था. जबकि दोनों ग्राम-पंचायतों में खाते में लाखों रुपये शेष हैं और उनका अभी तक किसी जन-उपयोगी योजना में उपयोग नहीं किया गया है.आदर्श जलाशय योजना के प्रति उपेक्षा का कारण ये भी सामने आया गांवों के अधिकतर तालाबों पर अवैध तरीके से कब्जे हो चुके हैं. जबकि माननीय  सर्वोच्च न्यायालय का तालाबों के अतिक्रमण हटवाने का बारे में स्पष्ट निर्णय है.
वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण के द्रष्टिकोण से तालाबों की कमी के कारण से पेयजल संकट दिनोदिन गहराता जा रहा है. कुओं के समाप्तप्राय हो जाने की दशा में हैण्ड-पम्पों पर पेय जल आपूर्ति का बोझ बढ़ता जा रहा है. जल-संरक्षण के महत्व को मानते हुए श्री अवस्थी कहते हैं गावों में अब तालाबों के संरक्षण की परम्परा समाप्त होती जा रही है.जिसका खामियाजा मानव और पशु-पक्षियों को उठाना पड़ रहा है. यदि ग्रामीणों ने इस प्रकार से जलाशयों के निर्माण में शासन की मदद और मंशा का लाभ नहीं उठाया तो आने वाली पीढियां इन्हें माफ नहीं करेंगी.1
अरविन्द त्रिपाठी

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