शनिवार, 16 जनवरी 2010

प्रथम पुरुष

डा. रमेश सिकरोरिया

भगवान भरोसे छोड़ देते हैं मरने वालों को!

हम सड़क हादसों में मरने वालों को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं. अमरीका में हमारे देश से सात गुना वाहन सड़कों पर दौड़ते है. उनके यहां सड़क हादसे भी हमसे सोलह गुना होते हैं. जिनमें हमसे सात गुना व्यक्ति घायल होते हैं परन्तु अमरीका में ६९ घायलों में से एक मरता है. हमारे यहां पांच में से एक. ऐसा क्यों है आइये जानते हैं-*हमारे यहां शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या में वृद्घि और सड़क पर जरा सी बात पर झगड़े होते हैं.*लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों के लिए कानून कठोर नहीं. गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल पर बात करना.* सड़क हादसों से घायलों के लिए प्राथमिक चिकित्सा का भी कोई प्रबन्ध नहीं. सड़क पार करते समय भी मोबाइल पर बातें करना.*वाहनों के रख-रखाव पर कम ध्यान और उन पर अधिक सामान लादा जाना. राष्टीय मार्गों पर अधिक भीड़ एवं वाहनों की गति अधिक होना जबकि सड़कों पर सुरक्षा का अभाव.*राष्ट्रीय मार्गों पर न तो ओवर ब्रिज होना और न ही सब वे. सड़क बनाने वाली संस्थाओं के बारे में न कोई जानकारी और न ही कोई लेखा-जोखा.*घर न होने के कारण फुटपाथ पर रहने और सोने वालों की सुरक्षा को रात में रोशनी और तेज रफ्तार की वाहनों को विशेष खतरे से हम रोक सकते हैं. यदि-१.वाहन ४५ किमी प्रति घण्टे से कम चले ९० प्रतिशत२.शराबी वाहन चालकों की जांच अधिक से अधिक २० प्रतिशत३.हेलमेट पहने ४० प्रतिशत, कभी मृत्य ७० प्रतिशत, कभी घायल होने की कमी४.सीट बेल्ट लगाने से ४५-५० प्रतिशत कमी५.बालकों को वाहन न चलाने दें ३५ प्रतिशत कमीएक और बात जानिये सड़कों का प्रयोग-३२.७ प्रतिशत-बस और ट्रक५.३ प्रतिशत-टेम्पो और वैन८.८ प्रतिशत-पैदल चलने वाले१७.१ प्रतिशत-कार और जीप२१.८ प्रतिशत-साइकिल और दो पहिये वाहन५.७ प्रतिशत-तीन पहिये वाले वाहन८.८ अन्य (जानवरों द्वारा प्रयोग)सड़कों का अतिक्रमण हमारे देश में हादसों का एक प्रमुख कारण है.

भारत का आर्थिक ढांचा पांच श्रेणी में बंटा है

१. चार प्रतिशत बहुत अमीर ६० लाख १० हजार परिवार२. सोलह प्रतिशत साधनों का भरपूर भोगने वाले १५ करोड़३.उन्तीस प्रतिशत उभरते हुए या आगे बढ़ते हुए २७.५ करोड़४.उन्तीस प्रतिशत आगे बढऩे की इच्छा रखते हुए २७.५ करोड़ (अमरीका और यूरोप में गरीबों की श्रेणी में)५.गरीब २१ करोड़-२२ प्रतिशत देश की आबादी का यह आंकड़े १९९४ के हैं. १० करोड़ आबादी बढ़ गई है परंतु अनुपात वही है.

कहीं आप जहर तो नहीं खा रहे हैं?

*यह सब जहर आप खा रहे हैं. फल ,सब्जी दूध, मिठाई व अन्य खाद्य पदार्थों के साथ अधिक धन कमाने की लालच में किसानों से लेकर व्यापारियों ने मिलावट करना शुरू कर दिया है. और वे आम आदमी को जहर खिलाने में न तो हिचकिचाते हैं और न ही बुरा मानते हं.ै परन्तु सरकार को तो ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करनी चाहिये. वे आम आदमी को जहर देकर मृत्यु की और ढकेल रहे हैं अत: उनको इस अपराध के लिए मृत्यु दंड देना ही न्याय होगा और खाद्द पदार्थों में जहरी मिलावट को रोक सकेगा. अब तो सरसोंं के तेल में साबुन बनाने वाला तेल, रंग और सुगन्ध मिला रहे हैं. यह तो कुछ उदाहरण है मसालों में , चीनी में, नमक में पानी में भी मिलावट है. आप कैसे मिलावट रोकेंगे सोचिये कुछ करिये.1 (लेखक पूर्व स्वास्थ्य निदेशक हैं)

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