रविवार, 3 अक्तूबर 2010

दांव पर दांव

चुनाव दांवबाजी का ही दूसरा नाम है. राधन सीट पर उपमंत्री की पत्नी के बैठने से पहले विरोधी गुड्डन को पचास लाख रुपये तक के ऑफर की खबरें हवा में तैरती रहीं. गुड्डन कहते हैं, ऑफर आये थे, मैंने इन्कार कर दिया. दूसरी ओर नानामऊ जिला पंचायत सीट पर नानामऊ के पूर्व विधायक भंवर सिंह के चुनाव लडऩे के पीछे बगल के गांव के निवासी सांसद विनय कटियार के परिवारजनों का हाथ बताया जा रहा है. यहां से सुभाष कटियार भी चुनाव लड़ रहे हैं. सुभाष ने पिछले चुनाव में दधिखा की प्रधानी और बीडीसी के लिये विनय से पैक्ट कर लिया था और स्वयं जिला पंचायत का चुनाव लड़े थे तथा कुछ ही वोटों से अनूप अवस्थी से हार गये थे. इस बार दधिखा की प्रधानी आरक्षित हो गई है और सुभाष अब सांसद के लिये आउटडेटेड हो गये हैं. उनके एक भतीजे तो भवंर सिंह के साथ लगे हैं. इस बार भी यहां अनूप अवस्थी और सुभाष में सीधा मुकाबला है, लेकिन इनकी लड़ाई में अनूप उर्फ टल्ले, डब्बन और रिक्की कटियार अपनी राह आसान करने के लिये लगे हैं. जिला पंचायत की एक अन्य सीट ककवन में पिछला चुनाव कुछ वोटों से हारे दिलीप यादव इस बार हाथी के बजाय राहुल और राजाराम पाल के हाथ के सहारे मैदान में उतरे हैं. क्षेत्र में पालों के पांच हजार मतदाता हैं और अब एक अन्य दावेदार रामरतन पाल, राजाराम पाल के पोस्टर लगाकर मैदान में उतर आये हैं. देखना है कि राजाराम का हाथ किसके साथ रहता है. यहां सपा से राजू दुबे और पप्पू, बसपा से अनिल अवस्थी, रामनरेश मिश्र और बबलू अग्निहोत्री और किसान यूनियन से विद्यासागर यादव व अरविन्द त्रिपाठी में जबर्दस्त मारा-मारी है. सब अपने को असली और दूसरे को नकली बता रहे हैं. एक अन्य जिला पंचायत सीट बरन्डा आरक्षित हो जाने के बाद भी बसपा के दो बड़े नेताओं को अपनी जाति विशेष के कारण निशाना बना लिया गया है, और एक नामालूम से राजेन्द्र को दिवाकर (सूरज) की तरह चमका दिया गया है. बरन्डा की प्रधानी के लिये मारा-मारी, विधायकी से ज्यादा है. यहां से सपा नेता अशोक कटियार के पारिवारिक मैदान में हैं. हेलो संवाददाता, बिल्हौर

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