रविवार, 3 अक्तूबर 2010

नारद डाट काम

डॉक्टर और मास्टर

कमलेश त्रिपाठी

इस देश का आवाम इन दोनों से कुछ ज्यादा ही परेशान हो चुका है. नाक में बाँस घुसेड़ रखा है इन महापुरूषों ने. अब बताइये ये डॉक्टर लोग भी बस और टैम्पो वालों की तरह हड़ताल करने लगे हैं. इनसे अच्छे तो झोला मार्का हैं, जो कभी ऐसी घटिया हरकत नहीं करते हैं. जहाँ तक मरने मारने का सवाल है मेरे पास ठोस आँकड़े हैं कि झोला छाप से ज्यादा मरीज इनके हाथों खुदागंज जाते हैं. अजब दुविधा है, ये काम करते हैं तो भी मरीज मरते हैं और हड़ताल में भी यही हश्र होता है. शहर के कलक्टर साहब गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य योजना चला रहे हैं, काम ठीक चल भी रहा है. इन डॉक्टर भाइयों के लिए भी कुछ करिए, चाहे इनके लिए धनवन्तरि टाइप कुछ प्रोग्राम बना दीजिए. ये कम से कम डॉक्टर से इन्सान तो बन जायें. मरीजों को एटीएम समझना बन्द करें. अब जरा इनकी हड़ताल पर आइये. कल्याणपुर के पास एक डॉक्टर साहब का कुछ शोहदों ने पलस्तर अन्दर तक खरोंच दिया. अब डॉक्टर बाबू मरीज बन गये हैं. बस इतनी सी बात पर धरती के यह भगवान छुट्टी पर चले गए, डिग्री लेते समय की शपथ भी याद नहीं आई. भगवान से हिरण्यकश्यप बनने में कोई देर नहीं लगाई. अब दोहरे कानून की बात पर मान गये हैं. डॉक्टर को मारने पर रासुका लगेगा, लेकिन यह तय नहीं हो पाया कि अगर डॉक्टर किसी को मारेंगे तो उन पर कौन सी धारा फिट की जायेगी?अब आइये जरा मास्टरों की बात कर ली जाए. इनका हाल तो चाल्र्स शोभराज से भी ज्यादा बुरा हो गया है. स्कूल के अन्दर छोटे बच्चों से सत्कार्य कर रहे हैं. बिहारी प्रोफेसर बटुकनाथ ने पता नहीं कैसी आग सुलगाई कि मस्टरवे पगला गए हैं. इनका दीन-धर्म सब मिट गया है. पितृपक्ष या कृष्णपक्ष इन्हें छिनरपन करना है, सो ये कर रहे हैं. कलेक्टर साहब इन निकृष्टों के लिए भी कुछ द्रोणाचार्य टाइप की योजना लाइए. कम से कम इनका चाल-चलन तो ठीक रहेगा.

टेंशन क्या है?

लड़की ने आप से लिफ्ट माँगी, रास्ते में उसकी तबियत बिगड़ गई, आप उसे चाँदनी नर्सिंग होम ले गए. वहाँ डॉक्टर ने कहा कि आप बाप बनने वाले हो, आपको टेंशन! आप बोले मैं इसका बाप नहीं, लड़की बोली यही इसका बाप है, आपको और टेंशन! फिर पुलिस आई और आपका मेडीकल हुआ, उसमें पता चला आप कभी बाप बन ही नहीं सकते. आपने भगवान को शुक्रिया अदा किया. वहाँ से निकलने के बाद याद आया कि घर में जो दो बच्चे हैं, वो आखिर किसके है? फिर क्या महाटेंशन!! 1

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