शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

न्याय की बात

आस्था, विश्वास और परम्परा का नाम है भारत

पहले २४ सितम्बर का इंतजार हुआ फिर ३० सितम्बर का. और अब जो फैसला आया, उसकी सबसे बड़ी खासियत रही कि उच्च न्यायालय ने आस्था, विश्वास और परम्परा को न्याय का आधार बनाया. इस देश में कई बार कानूनी कलाकारियों में सर्वमान्य सच तक झूठा साबित हो जाता है. कई बार हमारी न्याय व्यवस्था साक्ष्य, सबूत और गवाहों की गणित में फैसले का योग शून्य निकाल बैठती है, जिससे आम जन का न्याय के प्रति विश्वास डगमगा जाता है. उदाहरण के तौर पर एक घटना का उल्लेख करना चाहूंगा. वरिष्ठ भाजपा नेता व राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला की हत्या थाने में दिन दहाड़े सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में हुई थी. इस सनसनीखेज हत्याकाण्ड का आरोपी साक्ष्य, गवाह और सबूतों के अकाल में बाइज्जत बरी हो गया. यह हत्याकाण्ड 'न्यायÓ प्रक्रिया पर एक सवालिया निशान है. सबने देखा क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ? सबसे पहले तो थाना पुलिस ही इस हत्या की गवाह थी, साक्ष्य, सबूत सब थाना पुलिस के हवाले था. बावजूद इसके एक मंत्री स्तर का व्यक्ति मार दिया गया और कानून की दृष्टि में इसका कोई 'हत्याराÓ नहीं निकला.खुलेआम हुई इस हत्या में अभियुक्त क्यों छूटा? शायद इसीलिए कि हमारे न्यायाधीश आंख खोलकर नहीं, बल्कि उस पर साक्ष्य, सबूत और गवाहों की पट्टी बांधकर फैसला देते हैं. जो गुनाह खुलेआम होते हंै, उसकी सजा भी उसी तरह खुलकर होनी चाहिए. सच का साक्ष्य, गवाह या सबूत से क्या लेना-देना. सूरज सच है. वह पूरब दिशा से ही उगेगा. चाहे कोई पूरब को पूरब माने या न माने. सूरज का उगना ही दिशा का पूरब होना है. ऐसे ही कुछ गुनाह भी होते हैं, वाद भी होते हैं और आरोप भी होते हैं. 'रामÓ देश के पुरुषार्थ पुरुष, नायक, पूर्वज और पूज्य हैं, उनका जन्म अयोध्या में हुआ.. यह सच है. इसी के साथ यह भी सच है कि बाबर बाहर से भारत पर हमला करने आया था. वह इस देश का खून नहीं है. देश के किसी भी मुसलमान की रगों में बाबर नहीं दौड़ता, हां, अगर ठहर कर, ध्यान से और दिल और दिमाग को खोलकर सोचा जाये तो 'रामÓ दौड़ते जरूर मिल जाएंगे. चलो न्यायालय ने 'रामÓ में नाम पर आस्था, विश्वास और सबूत का साक्ष्य और सबूतों के बराबर तरजीह दी. देश ने उसे स्वीकारा, इसे राम की कृपा और ऊपर वाले की मर्जी समझकर शांति बहाली की दिशा में आगे बढऩा चाहिए. चाहे हिन्दु हों या मुसलमान. यह देश राम का है और इस देश में पैदा होने वाला बच्चा-बच्चा राम का है. बाबा रामदेव यह बात का सार्वजनिक रूप से कह भी रहे हैं और उस पर आज दिन तक किसी ने कोई आपत्ति भी नहीं की है.1 विशेष संवाददाता

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