रविवार, 3 अक्तूबर 2010

फैसला: अमन और शांति का

आजाद भारत की धर्मनिरपेक्षता, भाईचारा, बन्धुत्व, एकता, अखन्डता और तरक्की को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले अयोध्या मामले के एतिहासिक फैसले के साथ ही भारत एक बार फिर जीत गया. भारत का लोकतंत्र जीता, न्यायपालिका जीती और साथ ही जीता अमन और चैन. इस जीत की असली हकदार जनता जर्नादन है. मुकदमे के सभी पक्षकारों ने फैसले के बाद सन्तुलित प्रतिक्रिया देकर अपने बड़प्पन का परिचय दिया है. बधाई का पात्र इलेक्ट्रानिक मीडिया भी है, जो निर्णय के पहले और बाद में बाइट लेने-देने के चक्कर में फाउल से बचता रहा, हालांकि लखनऊ बेंच के बाहर कुछ देर के लिये प्रशासनिक इंतजाम अपर्याप्त हो गये थे. बधाई का पात्र शासन-प्रशासन भी है, जिसने प्रर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किये थे और वह पुलिस बल भी, जिसने अपनी चौकसी और सजगता से असमाजिक तत्वों को सर नहीं उठाने दिया. दुनिया भर ने इस फैसले पर और फैसले के बाद भारत के घटनाक्रम पर निगाहें टांग रखी थीं. अमन और चैन के साथ महानगरों से सुदूर गांवों तक जीवन का पहिया फिर चल निकला है. अपनी रोज की जद्दोजहद पर इसलिये अल्लामा इकबाल ने ठीक ही कहा है- बरसों रहा है दुश्मन दौर-ए जमां हमारा कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। मुख्य संवाददाता

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