शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

झूठे हैं पेट्रोलियम कंपनियों के गैस उपभोक्ता सेवा के दावे
रसोई गैस उपभोक्ता को उनकी जरूरत अनुसार सिलेण्डर उपलब्ध कराना, गैस कनेक्शन खरीदते समय चूल्हा खरीदने के लिये एजेंसी उपभोक्ता को बाध्य नहीं कर सकती आदि-इत्यादि ऐसी तमाम बातें गैस एजेंसियों के कार्यालयों टंगे सूचना पटों पर उपभाक्ताओं के लिये लिखी दिखाई दे जाएंगी. अगर गैस एजेंसी उपभोक्ता को परेशान करती है तो ऐसी दशा में उसकी शिकायत करने के लिये पेट्रोलियम कंपनियों के क्षेत्रीय अधिकारियों के मोबाइल नंबर भी सूचना पर अंकित हैं. लेकिन सिर्फ दिखावे के लिये न तो कहीं उपभोक्ता को बिना गैस एजेंसी में दर्जनों चक्कर लगाए सिलेण्डर नसीब हो रहा हैै और न ही बिना चूल्हे के कनेक्शन. खुलेआम गैस एजेंसियों ने २१ दिन में उपभोक्ताओं को गैस सिलेण्डर देने का तुगलकी फरमान जारी कर रखा है सो अलग. उसके बाद भी लगभग गैस ऐजेंसियां उपभोक्ताओं को कम से कम ४०-४५ दिन के पहले गैस सिलेण्डर नहीं दे रहीं. गैस उपभोक्ता परेशान हैं, पूरे नगर में रसोई गैस के लिये बेहाल हुआ जा रहा है. आए दिन दैनिक समाचार पत्रों में गैस एजेंसियों की काला बाजारी से लेकर धांधागर्दी की करतूतें प्रकाशित हो रही हैं. लेकिन पेट्रोलियम कंपनी अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. इनके मोबाइल सिर्फ बजा करते हैं उन पर अगर बात हो जाए तो यह उपभोक्ता की किस्मत वरना लगे रहिये और कॉलर ट्यून सुनते रहिये. हेलो संवाददाता ने जब एक उपींोक्ता को एजेंसी द्वारा ठगे जाने के संदर्भ में अधिकारियों से बात की तो एक बार के बाद दोबारा लागातार कई हफ्तों तक प्रयास करने के बाद भी उनका मोबाइल नहीं उठा. मामला कानपुर गैस सर्विस स्वरूप नगर का है. आइए आपको बताते हैं घटनाक्रम. स्वरूप नगर निवासी ज्योति निगम ने इस गैस एजेंसी से बीती ५ सितम्बर को एक गैस कनेक्शन लिया था. इस दौरान यहां तैनात मैनेजर ने उन्हें गुमराह करते हुए सिर्फ कनेक्शन संबंधित कागज के उनसे १४ सौ रुपये वसूल लिये इतना ही नहीं जब उन्होंने मैनेजर से अपने साथ हुई ठगी की बात की तो वह उल्टा उन्हें जेल भिजवाने की धमकी देने देने लगा. जबकि इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के अनुसार कागजों की कोई कीमत नहीं होती. नवीन गैस कनेक्शन की कीमत २१५० रुपये होती हैं जिसमें उपभोक्ता को एजेंसी एक सिलेण्डर रेगुलेटर उपलब्ध कराती है. लिया गया पैसा इसकी सिक्योरिटी मनी के रूप में उपभोक्ता से जमा करवाया जाता है. अपने साथ ठगी होने पर जब ज्योति निगम ने इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के विपणन अधिकारी मानवेन्द्र भटनागर से की उन्होंने ज्योंति निगम से एजेंसी संचालक अशोक दयाल से पुन: मिलने की बात कही, इस बार संचालक ज्योति निगम से जबरन चूल्हा खरीदने का दबाव बनाने लगे. ज्योंति निगम ने पूरे मामले से हेलो संवाददाता को अवगत करवाया. हेलो संवाददाता ने जब कार्पोरेशन के विपणन अधिकारी मानवेन्द्र भटनागर से बात की व एजेंसी पर कार्रवाई जाननी चाही तो पहले वह समझौते की बात करने लगे. काफी जोर देने पर वह बोले कार्पोरेशन अपने नियमानुसार एजेंसी पर कार्रवाई तय करेगा. कब, इस बारे में वह चुप्पी साध गये. इसके बाद उन्होंने फोन रिसीव करना बंद कर दिया. मामला लखनऊ स्थित कार्पोरेशन के मंडल कार्यालय के मैनेजर नरेश गेरा के संज्ञान में पहुंचा. इस संवाददाता ने उनको ज्योती निगम के साथ कानपुर गैस एजेंसी द्वारा की गई ठगी व अभद्रता से अवगत करवाया. जवाब में नरेश गेरा ने कहा कि वह मामले की जांच करवाएंगे. दोषी पाए जाने पर एजेंसी को क्या दंड दिया जाएगा? इस पर उन्होंने हेलो संवाददाता को सप्ताह भीतर जानकारी करवाए जाने का आश्वासन दिया. उसके बाद से करीब दो माह बीतने को हैं. आज तक न तो कार्पोरेशन के अधिकारियों ने ज्योति निगम के मामले का निस्तारण करवाया और न ही एजेंसी पर कोई कार्यवाही तय की बल्कि उन्होंने भी इस संवाददाता का फोन रिसीव करना बंद कर दिया. कुल मिलाकर आम गैस उपभोक्ता एजेंसियों की धांधागर्दी से त्रस्त हैं, उसे एक से डेढ़ माह में भी गैस सिलेण्डर उपलब्ध नहीं हो रहा, बिना गैस चूल्हे के कनेक्शन उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा. इसके अलावा जमकर काला बाजारी जारी है. ब्लैकमनी देकर हर चीज सहज उपलब्ध है लेकिन कार्पोरेशन के नियमानुसार कुछ भी नहीं. गैस वितरक संघ के महामंत्री भारतोश मिश्रा भी इसे गलत मानते हैं. उनके अनुसार उपभोक्ता को गैस सिलेण्डर लेने के लिये दिनों की कोई बाध्यता नहीं है. जिसको भी उसकी जरूरत अनुसार गैस चाहिये एजेंसी को उसे सिलेण्डर उपलब्ध कराना अनिवार्य है. इसके अलावा चूल्हे को जबरन कनेक्शन के साथ उपभोक्ता को भेडऩा भी गलत है. आप ही बताइये जिम्मेदार सब कुछ जान भी रहे हैं और समझ भी उसके बावजूद गैस एजेंसियों की धांधागर्दी अपने चरम पर है. जिसे देखकर ऐसा लगता है कि गैस उपभोक्ता सेवा के जो दावे पेट्रोलियम कंपनियां करती हैं. वह सब सिर्फ दिखावे के और झूठे हैं. इसके अलावा गैस एजेंसियों की इस धांधागर्दी में कार्पोरेशन अधिकारियों की मूक सहमति भी कहीं न कहीं नजर आती है.1हेलो संवाददाता

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