बुधवार, 29 दिसंबर 2010

शहर नहीं उपाध्यक्षों का विकास

मुख्य संवाददाता

ये तो बस इत्तफाक की बात है कि शहर के भूमाफियाओं और बिल्डरों को लाभ पहुँचाने की केडीए उपाध्यक्ष की नीयत बर्रा-२ योजना के जरिये खुल कर सामने आयी. असलियत यह है कि केडीए उपाध्यक्षों और शहर के हिरणाक्षों के बीच चलने वाली लाभ-मुनाफा कमाने की गणित बहुत पुरानी है. रामस्वरूप करीब दो वर्षों से केडीए उपाध्यक्ष कमाऊ सीट पर जड़े हुए हैं. इससे पहले इस कुर्सी से मुस्तफा चिपके थे.इन दोनों ही उपाध्यक्षों ने शहर के बिल्डरों और भूमाफियाओं के साथ सील-सील की कबड्डी खेली.केडीए उपाध्यक्ष मुस्तफा ने पद संभालते ही पूरे शहर में कुकुरमुत्ते की तरह उग आयीं तमाम बिल्डिगों को सील करने का अभियान छेड़ दिया. पूरे एक साल तक मुस्तफा शहर के तमाम विकास कार्यों और महत्वाकांक्षी योजनाओ को ताक मेंं रख कर रख बिल्डिगों की सीलिंग में ही लगे रहे और शहर की जेड स्क्वायर,रतन कांन्स्ट्रक्शन, रायल ब्लिस, विशाल मेगा मार्ट सहित करीब एक सैकड़ा बिल्डिंगों को सील कर दिया गया. शहर के तमाम बिल्डरों में एकदम हड़कम्प मच गया. इस पूरे प्रकरण से शुरूआत में ऐसा लगा कि शायद मुस्तफा वास्तव में शहर को सुधारने के लिये कुछ करना चाहते हैं लेकिन वास्तव में ऐसा हुआ नहीं. बिल्डिगों की सिलसिले वार सीलिंग महज शहर के भूमाफिया और बिल्डरों को अरदब में ले कर उनसे वसूली भर निकली .करीब एक साल तक शहर में सीलिंग-सीलिंग का खेल खेल कर मुस्तफा शहर से चलते बने.मुस्तफा की जगह उनके पद पर पदनसींन हुए राम स्वरूप. आते ही आते उन्होंने भी शहर में सक्रिय भूमाफियाओं, बेलगाम बिल्डरों और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान का आगाज किया. कुछ दिनों बाद ही यह लगने लगा कि अभियान चलाने की बात कहने के जरिये उन्होंने भूमाफियाओं और बिल्डरों को न्यौता दिया है कि मैं आ गया हूँ अब तुम भी आकर मुझको समझो वरना मैं तुम लोगों को समझूंगा. भूमाफिया और बिल्डर अधिकारियों की इशारे की भाषा बखूबी समझते हैं खास तौर पर जब इशारा केडीए के मुहल्ले से आया हो तो फिर कहना ही क्या. समझने-समझाने के बाद उपाध्यक्ष राम स्वरूप ने शहर की तमाम बिल्डिगों में मुस्तफा की लगायी सीलों को खोलने का अभियान छेड़ दिया. मुस्तफा ने इन भवनों और भूखण्डों को निर्धारित मानकों को न पूरा करने के एवज में सील किया था. जो आज भी किसी बिल्डिंग में पूरे नहीं किये गये हैं. लेकिन केडीए की फाइलों में सभी मानक पूरे हो गये हैं. स्थिति यह है कि अब शहर की सारी बिल्डिगें सील मुक्त हैं और इनमें तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है. कुछ एपार्टमेन्ट तो बन कर बिक भी चुके हैं और कुछ व्यावसायिक इमारतों में व्यापार भी शुरू हो चुका है. केडीए उपाध्यक्ष अनिल कुमार के बाद कई उपाध्य कानपुर को सुधारने आये. शहर की हालत तो जितनी और जैसी सुधरी है वह तो किसी से छिपी नहीं है पर यहाँ से गये सभी उपाध्यक्षों की स्थिति जरूर सुधर गयी.1

ये तो होना ही था

बर्रा-२ हाइड्रिल कालोनी भूखण्ड योजना के ले कर गोविन्द नगर के कांग्रेसी विधायक अजय कपूर और केडीए उपाध्यक्ष के बीच चल रही जोड़ घटाने की गणित एक दम उल्टी पड़ गयी विधायक जी तो खैर अभी निश्चिन्त हैं लेकिन इस जोड़ गणित के दूसरे विद्यार्थी केडीए उपाध्यक्ष राम स्वरूप, इस परीक्षा में फेल कर दिये गये हैं इस पूरे खेल में एक्जामनर की भूमिका उत्तर प्रदेश राज्य सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सतीश चन्द्र मिश्रा ने निभाई. हेलो कानपुर में च्बर्रा-२ के दो हिरणाक्षज् छपी खबर के बाद से केडीए अधिकारी अपनी और विधायक से सांठगांठ की कलई खुलने के बाद से मुंह चुराते घूम रहे थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें