बुधवार, 29 दिसंबर 2010

सुझाव-पालन

साहब तो साहब हंै पर जनता न पिद्दी न पिद्दी का शोरबा

वो तो साहब थे शहर आये यहाँ केवल देखा, केवल सुना और केवल कहा और फिर बिना कुछ किये-धरे सभी की तरह चले भी गये पर तू, तू तो न पिद्दी न पिद्दी का शोरबा,तुझे कुछ करना तो दूर कुछ पूछने का भी हक नहीं,तू तो बस दूर से देख और दूर से ही देख कर निकल जा. किसी कहानी की पटकथा सी हकीकत पिछले एक महीने से शहर के कुछ जिम्मेदार लोगों के साथ जीवंत हो चुकी है. जिसकी सबसे बड़ी वजह थी कि इन लोगों नें सूबे के एक आलाधिकारी की नसीहत को कुछ ज्यादा ही गम्भीरता से ले कर उसका वस्तविक प्रयोग कर दिया था. शायद यह सोच कर कि जब साहब जगा रहे हैं तो जाग जाओ शहर के पहरुआ बन जाओ शहर की नागरिक सुविधाओं खासतौर पर बेतरतीब हो रही खुदाई और यातायात व्यवस्था का जायजा लेने आये ए.डी.जी. ट्रैफिक सूर्य कुमार शुक्ला ने शहर की बदहाली खुद अपनी आँखों से देखी और स्थानीय प्रशासन को इस सम्बन्ध में शीघ्र ही उचित कदम उठाने के निर्देश दिये. अपने मुआयना दौरे के दौरान ए.डी.जी. सूर्य कुमार शहर की जनता से भी मिले. जनता ने शहर की बदहाली के बावत प्रशासन की निष्क्रियता की बात कही जिस पर श्री शुक्ला ने जनता को भी नसीहत दी कि अगर अधिकारी आप की नहीं सुनते हैं तो आप स्वयं ही जगह-जगह खुदाई कर रहे ठेकेदारों से खुदाई के सम्बंध में पूछें. सन्तोष जनक उत्तर न देने पर ठेकेदारों को खुदाई वगैरह न करने दें और साथ ही स्थानीय पुलिस और प्रशासन को सूचित करें. प्रशासनिक अधिकारियों और जनता को तमाम नसीहतें दे कर श्री शुक्ला यहाँ से चले गये. इन तमाम नसीहतों का स्थानीय प्रशासन पर कोई असर नहीं हुआ ठेकेदारों की मनमर्जी जारी ही रही. पर शहर के कुछ भले लोगों को न जाने क्या सूझी उन्होंने ए.डी.जी. साहब की नसीहत का प्रायोगात्मक स्तेमाल कर दिया. इन लोगों ने शहर के दक्षिण इलाके गोविन्द नगर में सड़क की खुदाई कर रहे मजदूरों से खुदाई का कारण जानना चाहा मजदूरों ने कारण तो बताया नहीं और बताते भी क्या बस खुदाई करा रहे ठेकेदार की तरफ मुखातिब कर दिया. जब इन लोगों ने इस ठेकेदार से वही सवाल दागा तो पहले तो उसने इस सवाल पर कोई ध्यान ही नहीं दिया,ज्यादा जोर देने पर उसने इन लोगों को हड़काते हुए कहा दिख नहीं रहा है खुदाई हो रही है हमारा काम है खोदना तो खोद रहे हैं. अब जिसका काम हो इसको पाटना ये उससे ही जा कर पूछो.जब इन लोगों ने इस ठेकेदार को खुदाई करने से रोकने के लिये कहा और ए.डी.जी. श्री शुक्ला की नसीहत का जिक्र किया तो ठेकेदार एकदम हत्थे से उखड़ गया और बाकायदा लड़ाई-झगड़े पर ही अमादा हो गया. वाद-विवाद ज्यादा बढऩे पर वहाँ से गुजर रहे अंकुश मोबइल के सिपाहियों से भी इन लोगों ने इसकी शिकायत की लेकिन अंकुश भी ठेकेदार से कुछ कहने की बजाय उल्टे जनता से ही यह कह कर कि उसका काम खोदना है और उसे उसका काम करने दो वहाँ से मोबाइल हो गया.हारी थके लोग क्या करते सो वापस चलेआये.अब ऐसे में ए.डी.जी. साहब ही बतायें कि आम लोग उनकी नसीहत अपना कर अपनी फजीहत करवायें या फिर शहर को यूँ ही खुदता रहने दें क्योंकि अगर जनता ढेकेदार के हाथों कुटी-पिटी तो ए.डी.जी. साहब तो आकर बचाने से रहे और उनके मातहत ऐसे ही किनारा करेंगे कम से कम यह घटना तो यही कहती है. 1 हेलो संवाददाता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें