सोमवार, 23 नवंबर 2009

जया द्विवेदी
मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी से कल्याण सिंह को निकाल दिया है और एक बार फिर मुस्लिम जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने कोशिश मे लग गये हैं. समाजवादी पार्टी के लिए मुस्लिम जनता का पहले जैसा सपोर्ट पाने के लिए मुलायम सिंह कह रहे है कि कांग्रेस 'बाबरी मस्जिदÓ फिर से बनाये लेकिन क्या मुलायम सिंह के इतना कहने भर से और कल्याण सिंह को समाजवादी पार्टी से निकालने भर से मुस्लिम जनता मुलायम सिंह की तरफ आकर्षित हो जायेगी? मोहम्मद रजा साहब, कानपुर के शहर काजी हैं देखिए, मुस्लिम जनता अब काफी जागरूक है. मुलायम सिंह अपनी पार्टी से चाहे तो कल्याण सिंह को हटायें अथवा बाबरी मस्जिद बनाने की कांग्रेस से अपील करें लेकिन अब उनकी बातों में मुस्लिम जनता आने वाली नहीं है. आज तक कोई भी पार्टी हो सभी मुस्लिम जनता को झूठे वादों तथा बातों का लॉलीपाप दिखाती रही है. लेकिन अब सिर्फ बातों से काम नहीं चलेगा. अब जबतक राजनैतिक पार्टियां हमारी बुनयादी जरूरतों को पूरा नहीं करेंगी तब तक मुस्लिम जनता किसी भी पार्टी के वोट बैंक को नहीं भरेगी. मुलायम सिंह ने कुछ समय पहले जो कार्य मिले उनसे मुस्लिम जनता उनसे काफी नाराज थी. लेकिन यदि अभी भी वो मुस्लिमों के हितों में कुछ करेंगे तो मुस्लिम जनता उनकी तरफ झुक सकती है अब सिर्फ बातों से काम नहीं चलेगा.मो.जावेद नय्यर, इकबाल लाइब्रेरी के सचिव हैं.उनका कहना है कि मेरे विचार से तो ऐसा नहीं लगता की मुलायम सिंह ने कोई ऐसी गलती की है जिसे माफ करने तक की बात आ जाये. उनका कल्याण सिंह को अपनी पार्टी से हटाना काबिल-ए-तारीफ है. लेकिन उनका बाबरी मस्जिद की मांग उठाना बिल्कुल गलत है. क्योंकि वहां न तो बाबरी मस्जिद बन पायेगी और न मन्दिर. यह एक विवादित मुद्दा है जिसे न ही टटोलें तो मुलायम सिंह के लिए बेहतर रहेगा. मुलायम सिंह एक ऐसा नेता है जिसने मुस्लिमों के हितों में कार्य किये और उन्हें कभी उपेक्षित नहीं किया. मुलायम सिंह की सरकार को ठेस पहुंचाने वाले रहे अमर सिंह. अगर मुलायम सरकार अमर सिंह की नीतियों पर न चलती तो मुस्लिम जनता मुलायम से कभी खफा नहीं होती. मुलायम सिंह यदि मुस्लिमों के हितो में कार्य करते हैं, अमर सिंह की नीतियों पर नहीं चलते तो मुस्लिम जनता उनके पास वापिस लौट भी सकती है. लेकिन बाबरी मस्जिद का मुद्दा उठाना बिल्कुल बेबुनयादी बात है.
मो.असफाक अली, रेलवे के भूतपूर्व अभियंता हैं. उनका भी तकरीबन यही मानना है कि सपा चाहे तो कल्याण को निकाले अथवा वापिस फिर से बुला ले या फिर वो अपने ही हाथों से पूरी बाबरी मस्जिद बनाने का दावा करे लेकिन अब पढ़ी-लिखी मुस्लिम जनता उनकी बातों में आने वाली नहीं है. अब सभी उनका खेल समझ चुके हंै. उस समय उन्हें मुस्लिम जनता की याद नहीं आयी थी जब उन्होंने पिछड़ी जाति का वोट बैंक बढ़ाने के लिए कल्याण सिंह को अपनी पार्टी में शमिल किया था तब तो याद नहीं आई थी मुलायम को मुस्लिम जनता की. देखिये ये सब राजनैतिक बातें हैं, वो कुछ भी कहें अब मुस्लिम जनता उनके बहकावे में आने वाली नहीं है. अध्यापक मो.रिहान कहते है कि मुलायम सिंह अब कुछ भी कहे उनके कहने का अब कोई असर मुस्लिम जनता पर नहीं पड़ेगा. उन्होंने जो कार्य किया उसका परिणाम भी भुगत लिया है लेकिन अब उन्हें वापिस गद्दी चाहिए लेकिन अब उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा. इस कारण उन्होंने कल्याण सिंह को अपनी पार्टी से निकाल दिया और बाबरी मस्जिद बनवाने की बात कर रहे हैं.

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