शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

भारत की
तालीबानी
खप पंचायतें?

देश की राजधानी दिल्ली के आस-पास हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान के २५००० गांवों में खप पंचायतों का शासन चलता है देश का नहीं. इनका अस्तित्व ६०० ई.से आया यह हमारे देश के संविधान और कानून को नहीं मानते. यह गैंगरेप, फांसी, गांव निकाला की सजायें देते हैं. इनकी अपनी सेना है. ८४ गांवों की जिसमें एक जाति के लोग रहते हैं जिससे एक खप होती है. ऐसी ३०० खप है इनकी सर्वोच्च खप है. इनका कहना है-ह्म् यदि तुम खप का मामला पुलिस के पास ले गये तो उनसे अपनी जान की रक्षा करने को भी कहना.ह्म् यदि तुम अपने ही गोत्र में विवाह करोगे तो तुमको मारा जायेगा. हम बिरादरी को दूषित नहीं होने देंगे.ह्म् हम उच्चतम न्यायालय को नहीं मानते. हमारा आदेश अन्तिम है उसे कोई न्यायालय नहीं बदल सकता.ह्म् गलती या आदेशों की अवेलना करने वाले लड़के य लड़की को मारने का अवसर तुमको बिरादरी के प्रति निष्ठा का अवसर देता है.यह खप प्रत्येक सप्ताह चार लोगों को फांसी सुनाते हैं. इसी कारण इन गांवों में सेक्स का अनुपात ६८३ से ३७० आ गया है. इन्होंने नाचने और क्रिकेट पर भी रोक लगा दी है. अब इन्होंने इसे धन कमाने का साधन भी बना लिया है बच्चों का अपहरण कर उन्हें संतान रहित दम्पत्ति को ५०,००० में बेच देते हैं. फिर उसे ६०००० रुपये लेकर वापस कर देते हैं. गांवों से निकाले गये व्यक्तियों की जमीन पर खप कब्जा कर लेती है. वे राजनीति को भी प्रभावित करते हैं क्योंकि उनके पास वोट संख्या है वे उनको वोट देते हैं जो उनके नियमों को बनवाते हैं. आश्चर्य है केन्द्र सरकार कहती है यह राज्यों का मामला है राज्य सरकारें कहती हैं यह सामाजिक मामला है समाज निर्णय लेने में सूक्ष्म है उन्हें कोई गलती नहीं नजर आती है. पुलिस भी उनसे सहमत है अतएव कार्यवाही नग्न है. सरकार और समाज अपना उत्तरदायित्व समझे और सतीप्रथा की तरह इसे रोकें. इन क्षेत्रों का इनके कारण विकास भी नहीं हो रहा है. इन अपराधों के लिए अलग से नियम बनाये जा सकते हैं जो इनके नियमों के विरुद्ध विवाह करते हैं उन्हें गांव से निकाल देते हैं. एक लाख रुपये लेकर अन्यथा हत्या. क्रिकेट और डांस में झगड़ा होता है जुआ होता है अतएव नहीं करने देते. ६२ वर्ष की आजादी के बाद भी यदि इच्छानुसार विवाह नहीं कर सकते. खेल नहीं सकते, नृत्य नहीं कर सकते तो हम गुलाम हंै हमारे जीवन पर दूसरे का अधिकार. हमारी सरकार पर हत्यारे, बलात्कारी, भ्रष्टाचारी कब्जा किये बैठे हैं. वे सब कुछ कर सकते हैं पता नहीं आगे क्या होगा?1

न्यूक्लीयर प्लांट के लिए भारत और अमरीका में समझौता

अणु शक्ति के उपयोग के लिए न्यूक्लीयर प्लांट लगाने के लिए भारत और अमरीका में समझौता हुआ है. अमरीका को पिछले ३६ वर्षों में विश्व में कहीं भी न्यूक्लीयर प्लांट लगाने का ठेका नहीं मिला है. भारत में प्लांट लगाना उसके लिये सुनहरा अवसर है परंतु न्यूक्लीयर प्लांट लगाने से होने वाले खतरों का बोझ वह नहीं उठाना चाहता है. उसने भोपाल चैर्नोबिल हादसों को देखते हुए अपनी जिम्मेदारी कम से कम करना चाहता है. अभी तक प्लांट लगाने वाली कंपनी को हादसों से होने वाले नुकसान के लिए अधिक से अधिक धनराशि का बीमा लेना पड़ता है इसके अतिरिक्त देश की सरकार को ५०० मिलियन डॉलर का सुरक्षा कवच भी देना पड़ता है. अमरीका ने इसे एक कानून बनाकर बीमा की धनराशि ६० मिलियन डॉलर और सुरक्षा कवच पर आने वाला खर्च उस देश पर डाल दिया जहां प्लांट लगेगा. अमरीका चाहती है भारत इसके लिए कानून बना दे. न्यूक्लीयर प्लांट से जो विकिरण होता है वह खतरनाक जहर है जिसका असर लंबे समय तक होता है और छोटी से छोटी मात्रा भी कैंसर और जैनेटिक हानि करता है. रेडियो एक्टिव प्लूटोनियम-२३९, २४४०० वर्ष और यूरेनियम-२३५, ७१० मिलियन वर्ष तक हानि पहुंचाते रहते हैं.विज्ञान ने अभी तक इन बेकार या काम न आने वाले प्लूटोनियम एवं यूरेनियम को इस प्रकार रखने या नष्ट करने का उपाय नहीं ढूंढ़ पाया है ताकि इनसे होने वाले कैंसर या जैनेटिक नुकसान को रोका जा सके. न्यूक्लीयर प्लांट लगाना आवश्यक है ऊर्जा पैदा करने के लिए अमरीका इस कार्य के लिए अरबों डॉलर कमायेगा परंतु उनसे होने वाले हादसों के लिए बीमे पर केवल ६० मिलियन डॉलर और सुरक्षा कवच पर केवल ११.६ मिलियन डॉलर खर्च करना चाहता है अधिक से अधिक बोझ भारत सरकार वहन करे. ऐसा कानून बनाना या समझौता करना पूर्णत: देश के हित में नहीं है.1 (लेखक पूर्व स्वास्थ्य निदेशक हैं)

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