सोमवार, 23 नवंबर 2009

पुलिस की गीता
ये कोई महिला थाने में तैनात महिला की इन साइड स्टोरी नहीं है बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की गीता से मिलता-जुलता अपने शहर की पुलिस का ज्ञान है. ओरिजनल गीता वेद व्यास जी ने कही और गणेश भगवान ने कागज पर उकेरी थी. जिसे मैं आपको बताना चाहता हूं ये कोहना थाने की पुलिस की गीता है. एक आदमी कोहना थाने वहां शुरू होता है पुलिस का गीता उवाच. बच्चा क्यों परेशान होते हो, किसी के बाप हमेशा तो बैठे नहीं रहते हैं जो पैदा हुआ वो मरेगा जरूर. जो चला गया उसके बारे में काहे का शोक. आत्मा तो अमर है उसको हमने अपनी जीडी में दर्ज कर हवालात में डाल दिया है. उसे हर कोई नहीं देख पायेगा, उसे देखने के लिए खाकी कपड़े पहनने होंगे और एक डंडा हाथ में थामना पड़ेगा. मरने वाले के बेटे को बाप के जाने का गम बिल्कुल नहीं है. उसे पुलिस के इस गीता ज्ञान ने दुख की परिभाषा से कहीं ऊपर उठा दिया है.मुझे यहां एक बात समझ नहीं आ रही है कि कोहना पुलिस को ये श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त कहां से हुआ? रात-दिन लुच्चे लफंगों की सोहबत और बातें हिमालय से भी ऊंची. मुझे ऐसा लगता है कि कोना थाने के बाजू भैरोघाट है वहीं आसपास के दीवारों में गीता ज्ञान लिखा हुआ है वहीं पढ़-पढ़ के ये सब इतने बड़े ज्ञानी हो गये हैं. यहां एक बात और मेरे खांचे में ठीक बैठ गई है कि शहर में चुने लुटेरे और अपराधी पुलिस के इसी ज्ञान के चलते मौज मार रहे हैं. पुरानी कहावत है कि सोना खोना और पाना दोनों अशुभ हैं. शहर की पुलिस सोना पाने वालों के अशुभ के इंतजार में है. वहीं परमात्मा सबको दण्ड देंगे. शहर पुलिस का यही ज्ञान अगर अपने प्रदेश सरकार के भेजे में बैठ जाये तो सालाना अरबों-खरबों रुपये बचाये जा सकते हैं. सरकार बेकार में पुलिस अदालत बचाये बैठी है. पुलिस जिन्हें अपनी गोली से मारकर इस संसार से मुक्ति दिलाती है उनके परिवार को पुलिस का शुक्र गुजार होना चाहिए कि कितनी आसानी से पुलिस ने आपके मृतक को भवसागर से निजात दिला दी.जरूरत है !एक राजनीति पार्टी में दो पदों की. बाप-बेटे अभी हाल ही में कुर्सी विहीन हुए हैं. कृपया सपा, कांग्रेस आवेदन न करें.1

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