सोमवार, 23 नवंबर 2009

शिक्षा भी

बिकने वाली

चीज है

देश की सुरक्षा क्या हथियारों के द्वारा, जवानों के द्वारा की जा सकती है. यह तो केवल एक पहलू है जो अधूरा है. विश्व में हथियारों का व्यापार सबसे बड़ा है उसके बाद खाद्य पदार्थोंका. क्यों कि इनके द्वारा ही विकसित देश अपने को सुरक्षित रख सकते हैं. हमारी सेना देश को सुरक्षित रख सकती है यदि उसका एक ठोस आधार है. वह आधार है खेती बाड़ी की सुरक्षा, शिक्षा की सुरक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा, शिक्षा की सुरक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा. इन तीन सुरक्षाओं के अभाव में अपने को सुरक्षित समझना मूर्खता है. खेती की सुरक्षा के लिए बीज, पानी, बिजली अच्छी मिट्टी और कीटनाशक चाहिए. इनके न मिलने से किसान हमेशा कमजोर रहेगा कर्जदार रहेगा, आत्म हत्या करेगा हमारे खेती के साधनों पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा रहेगा. अब भी ३० प्रतिशत बीज विदेशी कम्पनियां बेचती हैं. हमको खेती को पूर्णत: अपने ही द्वारा सुरक्षित बनाना होगा. किसान का ज्ञान उसकी आर्थिक स्थिति उच्च स्तर की हो. शिक्षा में वर्तमान में १० प्रतिशत को उत्तम श्रेणी की शिक्षा मिल रही ९० प्रतिशत को महत्वहीन शिक्षा अतएव १० प्रतिशत शासन कर रहे हैं. ९० प्रतिशत शासित है. शिक्षा का औद्योगिकीकरण होने से वह भी एक बिकने वाली चीज हो गई है. कक्षा एक के विद्यार्थी से १० हजार रुपये लेबोरेट्री की फीस ली जाती है. इंजीनियरिंग कॉलेज चिकित्सा की संस्थाओं को मान्यता धन देकर मिल रही है. इन संस्थाओं से पास होने वाले विद्यार्थियों को नौकरी और काम नहीं मिलता. दो प्रकार की शिक्षा चल रही है. एक अमीरों की निजी कॉलेजों में दूसरी गरीबों की सरकारी कॉलेजों में जहां न तो भवन है न ही शिक्षक ६से १४ वर्ष के बच्चों का अनिवार्य शिक्षा देना इन्हीं सरकारी स्कूलों में होगा वे क्या ज्ञान देंगे. ९० प्रतिशत अधूरे ज्ञान जानने वाले नागरिक बनेंगे. शिक्षा तो एक ही प्रणाली से प्रत्येक अमीर और गरीब बच्चे को मिलना चाहिए यह है शिक्षा सुरक्षा. स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितना भ्रष्टाचार है चिकित्सकों का मुख्य उद्देश्य धन कमाना अधिक से अधिक जांचें कराकर रोगी की जेब खाली कराना आम बात है. हमारे डॉक्टर विकसित देश चले जाते हैं आज भी अच्छी संस्थाएं ट्रस्ट द्वारा बिना लाभ के चलाई जा रही है. देश के खेती की शिक्षा की, स्वास्थ्य की सुरक्षा चाहिए तभी देश सुरक्षित रहेगा. यदि इनमें सुधार न हुआ तो अगले १०-१५ वर्ष में गृह युद्ध की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है. प्रत्येक नागरिक तभी सुरक्षा के लिए जान देने को तैयार रहेगा क्योंकि उसे खेती, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा मिल रही है तभी तो वह इनके लिए लड़ रहा है या कहता है हमें देश ने क्या दिया.1

(लेखक पूर्व स्वास्थ्य निदेशक हैं)

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