सोमवार, 27 जून 2011

यमुना नदी मे हुआ पहली बार घडियाल का प्रजनन

देश मे यह पहला मौका है जब किसी घडियाल ने सबसे प्रदूषित समझी जाने वाली यमुना नदी मे प्रजनन किया है. पहली बार यमुना नदी मे घडियाल के बच्चे पाये जाने को लेकर पर्यावरणविद उत्साहित है.  जिस प्रकार घडियाल ने यमुना नदी मे प्रजनन किया है उससे एक उम्मीद यह भी बंध चली है कि आने वाले दिनो मे यमुना नदी भी घाडियालों के प्रजनन के लिये एक मुफीद प्राकृतिक वास बन सकेगा.
 यह वाक्या उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के हरौली गांव के पास हुआ है जंहा इन बच्चो को लेकर गांव वाले खासे उत्साहित दिख रहे है. पहली बार घडियाल के प्रजनन को लेकर गांव वालो के साथ साथ आम इंसान भी गदगद हो गये है. गांव के ही किनारे यमुना नदी का प्रवाह है इसलिये यमुना नदी के किनारे गांव वाले अक्सर आ जाया करते है इसी लिहाज से एक स्कूली छात्र मुनेंद मुनेंद्र अपने करीब 5 साथियो के साथ आया तब उसने पहली बार घडियाल बच्चो को देखा है पहली बार बच्चे देखने के कारण मुनेंद्र इस बात का अंदाजा नही लगा पाया कि ये घडियाल या मगर के बच्चे है. लेकिन मुनेंद्र की खबर पर सबसे पहले पूरा का पूरा गांव मौके पर आया और इन बच्चो को देखा और अब पूरे इटावा मे चर्चा का बाजार गर्म है.
 वन्यजीव संरक्षण की दिशा मे काम रही संस्था सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर के महासचिव डा.राजीव चैहान का कहना है कि यमुना नदी मे आई बाढ से इटावा के आसपास का पानी साफ हो गया है और इसी वजह से घडियाल यमुना नदी मे प्राकृतिक वास बनाया है. ऐसा लगने लगा है देश मे सबसे अधिक प्रदूषण मे धिरी यमुना नदी का पानी कही ना कही अब इटावा के आसपास साफ हो रहा है इसी वजह से अब घडियाल यमुना नदी मे प्रजनन करने लगे है.
इस बदलाव को लेकर ऐसी उम्मीद बंधी है कि अब यमुना नदी भी घडियालो को पालने के लिये मुफीद हो गई मानी जा रही है. इससे पहले कभी भी यमुना नदी मे घडियाल ने प्रजनन नही किया है. इस बदलाव के बाद ऐसा लगने लगा है कि अभी तक सबसे सुरक्षित समझी जाने वाले चंबल नदी कही ना कही दूषित हो चली है इस कारण घडियाल यमुना नदी की ओर मुखातिव हो रहे है. पूरी की पूरी यमुना नदी मे एक मात्र एक ही नेस्ट देखा गया जिसमे करीब 46 बच्चे घडियाल के देखे जा रहे है. अभी तक देश मे सिर्फ चंबल एक मुख्य प्राकृतिक वासस्थल माना जाता है लेकिन अन्य जगहो पर इनकी छोटी छोटी सख्या भी पाये जाते है गिरवा नदी केतरनिया घाट ,सतकोशिया महानदी,र्काविट नेशनल पार्क,सोन नदी व केन मे इनकी संख्या कहने भर के लिये रहती है.
साल 2007 आखिर मे दिनो मे इटावा मे चंबल नदी मे एक सैकडा से अधिक घडियालो की मौत के बाद इस बात को प्रभावी ढंग से उठाया गया कि यमुना नदी के व्यापक प्रदूषण के कारण दूर्लभ प्रजाति के घाडियालो की मौत हो गयी है. लेकिन अनगिनत घडियाल विशेषज्ञो ने कई लाख रूपये खर्च करके भी घडियालो की मौत का पता लगाने मे कामयाब नही हो सके है.
यंहा पर इस बात का जिक्र किया जाना बेहद जरूरी होगा कि 2007 मे जब इटावा मे घडियालो की मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो यह बात घडियाल विशेषज्ञो की ओर से प्रभावी तौर पर कही जाने लगी कि यमुना नदी मे हुये प्रदूषण की वजह से दुर्लभ प्रजाति के घडियालो की मौत हुई है लेकिन इस बात को कोई भी घडियाल विशेषज्ञ साबित नही कर पाया कि घाडियालो की मौत यमुना नदी के प्रदूषण का नतीजा है.
इसके अलावा वन्य जीव प्रेमियों के लिए चंबल क्षेत्र से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. किसी अज्ञात बीमारी के चलते बड़ी संख्या में हुई विलुप्तप्राय घडियालों के कुनबे में सैकड़ों की संख्या में इजाफा हो गया है. अपने प्रजनन काल में घडियालों के बच्चे जिस बड़ी संख्या में चंबल सेंचुरी क्षेत्र में नजर आ रहे हैं वही दूसरी ओर यमुना मे घडियाल के बच्चो ने एक नई राह दिखाई है.
दिसंबर-2007 से जिस तेजी के साथ किसी अज्ञात बीमारी के कारण एक के बाद एक सैकड़ों की संख्या में इन घडियालों की मौत हुई थी उसने समूचे विश्व समुदाय को चिंतित कर दिया था. ऐसा प्रतीत होने लगा था कि कहीं इस प्रजाति के घडियाल किताब का हिस्सा बनकर न रह जाएं. घडियालों के बचाव के लिए तमाम अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं आगे आई और फ्रांस, अमेरिका सहित तमाम देशों के वन्य जीव विशेषज्ञों ने घडियालों की मौत की वजह तलाशने के लिए तमाम शोध कर डाले.
घडियालों की हैरतअंगेज तरीके से हुई मौतों में जहां वैज्ञानिकों के एक समुदाय ने इसे लीवर रिरोसिस बीमारी को एक वजह माना तो वहीं दूसरी ओर अन्य वैज्ञानिकों के समूह ने चंबल के पानी में प्रदूषण को घडियालों की मौत का कारण माना. वहीं दबी जुबां से घडियालों की मौत के लिए अवैध शिकार एवं घडियालों की भूख को भी जिम्मेदार माना गया. घडियालों की मौत की बजह तलाशने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने करोड़ों रुपये व्यय कर घडियालों की गतिविधियों को जानने के लिए उनके शरीर में ट्रांसमीटर प्रत्यारोपित किए.
जिस यमुना नदी मे घडियाल ने पहली बार प्रजनन करके एक नया इतिहास लिखा है उसी यमुना नदी को अपने प्राकतिक स्वरूप को बनाये रखने के लिये देश की राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक संघर्ष करना पड़ रहा है. उत्तराखंड के शिखरखंड हिमालय से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद तक करीब 1,370 किलो मीटर की यात्रा तय करने वाली यमुना को ज्यादा संकट दिल्ली के करीब 22 किलोमीटर क्षेत्र में है, लेकिन बेदर्द दिल्ली को यमुना के आंसुओं पर कोई तरस नहीं आता. यही कारण है कि अभी तक यमुना की निर्मलता वापस नहीं लौट सकी. केन्द्र सरकार व कई राज्यों ने भले ही यमुना की निर्मलता के लिए ढाई दशक के दौरान 1,800 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च कर दी हो लेकिन यमुना के पानी की निर्मलता वापस लौटना तो दूर, वह साफ तक नहीं हो सका. जाहिर है कि अरबों की धनराशि पानी में बह गयी. विशेषज्ञों की मानें तो विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में यमुना का शीर्ष स्थानों में से एक है लेकिन घडियालों के प्रजनन के बाद विशेषज्ञों के पास कोई जबाब इस बात का नही है कि यह चमत्कार आखिरकार कैसे और क्यों हुआ?1
दिनेश शाक्य

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें