शनिवार, 18 जून 2011

बैराज बना 'हादसा प्वाइंट'


कानपुर की प्यास बुझाने के लिए गंगा नदी पर  गंगा बैराज बनाया गया था. किसी को ये उम्मीद नहीं थी , एक दिन ये जान को गंवाने जान लेने और चोट-चपेट का केंद्र स्थल बन जाएगा. नव-युवक लड़कों में तेज गाड़ी चलाने और करतबबाजी का खेल इस बैराज में अब आम हो चला है. इसके निर्माण के समय ही तेज मोटरसाइकिल पर सवार एक लड़के की रस्सी से फंसकर जान गंवाने की घटना हुयी थी. तब से कल तक इस स्थान पर ऐसे हादसों की रोक-थाम के सारे प्रयास अब तक नाकाफी साबित हुए हैं. बैराज के आगे कानपुर की तरफ गंगा का तेज बहाव अक्सर गंगा नहाने आने वालों की जान का दुश्मन बनता रहा है. विगत दिनों गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर पुलिस और जल-रक्षकों के द्वारा बरती गयी  कर्तव्यों की कोताही  का परिणाम कई जाने गंवाना रहा.
जल-संस्थान के महाप्रबंधक रतन लाल कहते हैं की जब अभी तक निर्माण पूरा नहीं हो पाया है तो आम नागरिकों का यहाँ आना-जाना खतरनाक हो सकता है, जैसा की बार-बार होने वाली घटनाओं से साबित हो रहा है. यद्यपि निर्माण की अवधि में होने वाली देरी की वजह और तय समय-सीमा में निर्माण न करवा पाने की अक्षमता के बारे में वे चुप्पी साध जाते हैं और हादसों के लिए कानपुर प्रशासन पर जिम्मेदारी धकेल देते हैं. वास्तव में यहाँ कम उम्र के छात्रों  के द्वारा किया जाने वाला प्रतिदिन की धमाचौकड़ी को स्थानीय पुलिस थाना के द्वारा रोकना चाहिए परन्तु प्रेमी-जोड़ों और नियमित मछली पकड़ से होने वाली आमदनी से आत्ममुग्ध स्थानीय नवाबगंज पुलिस इन सभी हादसों को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठा पायी है. और ये गंगा बैराज हादसों का केंद्र बनता जा रहा है.
अभी कल ही दोस्तों के साथ बैराज पर गंगा नहाने गये सात युवक तेज धारा में फंसकर डूब गए। साथियों की चीख-पुकार सुनकर पानी में कूदे इलाके के गोताखोरों ने छह युवकों को तो किसी तरह बहाव से बाहर निकाल लिया, लेकिन काफी तलाश के बाद भी एक युवक का रात तक पता नहीं चल पाया। नौबस्ता थानाक्षेत्र में मछरिया निवासी 25 वर्षीय आशिक अली जरीब चौकी स्थित एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। शुक्रवार को कंपनी में छुट्टी होने के कारण वह साथी कर्मचारियों प्रीतम, बच्चा, शनि, धीरज, अजय व अनीस आदि आठ लोगों के साथ बैराज पर गंगा नहाने गया था। बताते हैं सभी युवकों ने पहले शराब पी, इसके बाद गंगा में नहाने कूद पड़े।इन सातों में से छ: को तो बचा लिया गया किन्तु अभी तक एक  का पता नहीं चल पाया था. हद तो तब ये है की प्रदेश सरकार इस क्षेत्र को बोट क्लब और ओपन थियेटर बनाने की योजना पर भी काम कर रही है.1
बैराज में अवैध मत्स्य-आखेटन
गंगा बैराज में  एक लम्बे अरसे से प्रदेश के मछली के व्यापारिओं का स्थानीय मछुआरों के साथ मिली-भगत करके पुलिस के संरक्षण में मत्स्य-आखेटन का खेल चल रहा है. इसी मछली पकडाई के व्यापार में कटरी में वर्चस्व की लड़ाई में गैंगवार जारी रहती है. कभी एक गुट हावी होता है तो कभी दूसरा गुट. शहर के नामी अखबारों के क्राइम रिपोर्टर भी  इस काम में शामिल  हैं. एक तरफ गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया जा चुका है, जिसके तहत मत्स्य आखेटन पूरी तरह से प्रतिबंधित है. सरकार गंगा में डालफिन जैसी मछलियों को संरक्षित करने के लिए 'प्रोजेक्ट' ला रही है तो दूसरी तरफ दूसरी तमाम स्थानीय प्रजातिओं को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए चलाये जा रहे प्रक्रम की साजिश को संरक्षण दे रही है.
मुख्य संवाददाता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें