सोमवार, 27 जून 2011

संडे हो या मंडे, रोज खाओ डण्डे

फेसबुक में राजेन्द्र पंडित द्वारा 'अखिल ब्रह्मांडीय पत्नी शोषित महासभा' नाम से एक समूह का गठन किया गया. जैसा कि  नाम से जाहिर होता है कि इसमें शामिल होने वाले लोग पत्नी नामक जीव से परेशान लोग हैं. इसमें कमेंट देने वाले और स्टेटस लिखने वाले दोनों छुप-छुप कर ये काम कर रहे हैं. बार-बार शिकायत यह आ रही है कि लिखने वालों के कमेंट और स्टेटस डिलीट हो जाते हैं. यह फेसबुकिया गलती नहीं है. जरूर यह किसी पत्नी नामक प्राणी की खुराफात है जो इन पतियों की वैचारिक स्वतंत्रता का अतिक्रमण है.
इटावा में दैनिक जागरण के पत्रकार वेदव्रत गुप्ता ने  लिखा कि शोषित महासभा के सभी पदाधिकारी पतियों के हित में सन्डे की छुट्टी रद्द करने की सरकार से मांग करें ! इसका कारण उन्होंने बताया कि ये सन्डे पतियों के लिए आफत का दिन है, इस दिन पत्नियाँ पति के साथ नौकर जैसा व्यवहार करती हैं! अपनी आपबीती बताते हुए श्री गुप्ता लिखते हैं- मेरी बीबी ने आज पूरे दिन नचाया , सबरे-सबेरे चाय बनाने को विवश किया, और कहा- रोज मैं बनाती हूँ आज तुम बनाओ!  इसके बाद आटा का कनस्तर कंधे पर लाद दिया और आदेश दिया- पिसवा कर लाओ. फिर पकड़ा दी सामानों की फेहरिस्त, गुर्रा कर बोली- लेकर आओ वर्ना रोटी नहीं मिलेगी! ये सब काम करके लौटा तो पकड़ा दिए अपने कपडे.. साड़ी की फाल लगवा कर लाओ ...उसके बाद सारे घर के जूते चप्पल पोलिश करो.. फिर भी चैन नहीं आया ...अब कह रही है की कपड़ों पर प्रेस करो ...! हे भगवान बचाओ ऐसे सन्डे से !
इस समूह के संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार एवं व्यंग्यकार राजेन्द्र पंडित ने इसका जवाब दिया कि- 'शादी करके मिला ईनाम,
करो मियां अब सारे काम,
अगर की हीला हवाली,
तो मायके चली जायेगी घरवाली,
अगर नहीं गयी तो फिर वही पुराने हथकंडे-
'सन्डे हो या मंडे रोज़ खाओ डंडे'.1
फेसबुक से

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