सोमवार, 1 फ़रवरी 2010



चिंता बनती है तनाव का कारण


हम तनाव के बारे में बहुत कम जानते हैं. हम समझते हैं कि जब कोई ऐसी घटना हो जाये जो हमारी चिन्ता का कारण बने तभी तनाव होता है. ऐसा नहीं है तनाव के कारण अनेक जिनके बारे में हमें कभी भी सोंचा नहीं. हमें एहसास भी नहीं होता कि हम तनाव में हंै परन्तु हम शक्कर, कैफीन, शराब लेते रहते है मस्तिष्क को तनाव मुक्त या शान्त रखने को. हमारे मस्तिष्क को कुछ खुशी देने वाली द्रव्य या तत्व है जैसे सैरोहिनीन, नौरऐड्रेनलीन एवं डीपामी न कुछ तत्व दुखी करने वाले हैं साधरणत: हमारे स्नायु केन्द्र दन दोनो सन्देह वाहको में संतुलन बनाये रहते हैं परन्तु तनाव की स्थिति में यह सतुंलन बिगड़ जाता है. शक्कर ,कैफीन, शराब इत्यादि का सेवन इस संतुलन को कुछ समय तक बनाये रहता ह.ै कैफीन चाकलेट, सोडा एवं चाय में भी होती है. सिगरेट, तम्बाकू एवं सूंघने वाली तम्बाकू में निकोटीन होती है वह भी ऐसा ही करती है कई प्रकार की आइसक्रीम में भी शक्कर, कैफीन एवं शराब होती है. केक में भी ऐसा करते हैं. कर्द दवायें मारीजुआना, कोकेन, एमफैटमीन, ऐव हीरोइन भी ऐसा करती ह.ै ऐड्रेनलीन की मात्रा बढ़ाने के लिए परन्तु इनका एक बार सेवन करने की इच्छा पैदा करता है. परन्तु इनसे शक्कर की मात्रा कम होने लगती है और आपको थकान, दर्द एवं अन्य बीमारियाँ घेरने लगती हंै. इनके सेवन शरीर के अंगो को हानि पहुंचा कर नष्ट क रने लगता है. हमको शुरू में यह खुशी देते हैं परन्तु शीघ्र ही अवसाद या अच्छा न लगना-तनाव का कारण, किसी अवसाद या अच्छा न लगना-तनाव का कारण किसी प्रिय कर मृत्यु ,मासिक धर्म का बन्द होना, व्यसक होने की प्रक्रिया विवाह, गर्भधारण, नौकरी से निकाला जाना या रिटायर होना. घर को पुन: बनाना अधिकारी या बच्चों की समस्या, व्यक्तिगत आदतों में बदलाव जैसे खाने में धूम्रपान छोडऩे या कम घंटे सोने से भी तनाव होता है. बहुत गर्मी, बहुत ऊंचाई या ठंडक, प्रदूषण, अन्य व्यक्ति का धूम्रपान, छुट्टियाँ, पार्टियाँ एवं पारवरिक जमघट भी तनाव पैदा करता है. तनाव की मात्रा का पैमाना होम्स एंव राहे ने सोशल रीएड जस्टिमेन्ट रेटिंग दिया है. यह ५ से १०० तक हो सकता है.1


स्वास्थ्य की सुरक्षा चाहिए तभी देश सुरक्षित रहेगा


यह तो केवल एक पहलू है जो अधूरा है. विश्व में हथियारों का व्यापार सबसे बड़ा है उसके बाद खाद्य पदार्थोंका. क्यों कि इनके द्वारा ही विकसित देश अपने को सुरक्षित रख सकते हैं. हमारी सेना देश को सुरक्षित रख सकती है यदि उसका एक ठोस आधार है. वह आधार है खेती बाड़ी की सुरक्षा, शिक्षा की सुरक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा, शिक्षा की सुरक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा. इन तीन सुरक्षाओं के अभाव में अपने को सुरक्षित समझना मूर्खता है. खेती की सुरक्षा के लिए बीज, पानी, बिजली अच्छी मिट्टी और कीटनाशक चाहिए. इनके न मिलने से किसान हमेशा कमजोर रहेगा कर्जदार रहेगा, आत्म हत्या करेगा हमारे खेती के साधनों पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा रहेगा. अब भी ३० प्रतिशत बीज विदेशी कम्पनियां बेचती हैं. हमको खेती को पूर्णत: अपने ही द्वारा सुरक्षित बनाना होगा. किसान का ज्ञान उसकी आर्थिक स्थिति उच्च स्तर की हो. शिक्षा में वर्तमान में १० प्रतिशत को उत्तम श्रेणी की शिक्षा मिल रही ९० प्रतिशत को महत्वहीन शिक्षा अतएव १० प्रतिशत शासन कर रहे हैं. ९० प्रतिशत शासित है. शिक्षा का औद्योगिकीकरण होने से वह भी एक बिकने वाली चीज हो गई है. कक्षा एक के विद्यार्थी से १० हजार रुपये लेबोरेट्री की फीस ली जाती है. इंजीनियरिंग कॉलेज चिकित्सा की संस्थाओं को मान्यता धन देकर मिल रही है. इन संस्थाओं से पास होने वाले विद्यार्थियों को नौकरी और काम नहीं मिलता. दो प्रकार की शिक्षा चल रही है. एक अमीरों की निजी कॉलेजों में दूसरी गरीबों की सरकारी कॉलेजों में जहां न तो भवन है न ही शिक्षक ६से १४ वर्ष के बच्चों का अनिवार्य शिक्षा देना इन्हीं सरकारी स्कूलों में होगा वे क्या ज्ञान देंगे. ९० प्रतिशत अधूरे ज्ञान जानने वाले नागरिक बनेंगे. शिक्षा तो एक ही प्रणाली से प्रत्येक अमीर और गरीब बच्चे को मिलना चाहिए यह है शिक्षा सुरक्षा. स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितना भ्रष्टाचार है चिकित्सकों का मुख्य उद्देश्य धन कमाना अधिक से अधिक जांचें कराकर रोगी की जेब खाली कराना आम बात है. हमारे डॉक्टर विकसित देश चले जाते हैं आज भी अच्छी संस्थाएं ट्रस्ट द्वारा बिना लाभ के चलाई जा रही है. देश के खेती की शिक्षा की, स्वास्थ्य की सुरक्षा चाहिए तभी देश सुरक्षित रहेगा. यदि इनमें सुधार न हुआ तो अगले १०-१५ वर्ष में गृह युद्ध की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है.1 (लेखक पूर्व स्वास्थ्य निदेशक हैं)

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