शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

जय बाबा वेलेंटाइन की

दुगने बिके कंडोम चौगुने बिके फूल

हेलो ब्यूरो

इस बार भी १४ फरवरी का दिन अंगेजी में वेलेंटाइन-डे और हिन्दी में प्रेम उत्सव के रूप में मनाया गया. इस बार भी यह दिन दो वैचारिक खेमों में बंटा. एक जो उदारवादी कहे जाते हैं और दूसरे वे जिन्हें लोग रूढि़वादी या कट्टरपंथी मानते हैं. बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश शर्मा की राष्ट्रीय घोषणा थी कि वह किसी भी सूरत अश्लीलता को सार्वजनिक तमाशा नहीं बनने देंगे. जबकि इसके ठीक विपरीत खुद को युवा मन का प्रतिनिधि मानने वाली आधुनिक महिला कार्य कत्रियों ने 'शर्माÓ जैसे लोगों को 'हिटलर मानसिकताÓ का मौजूदा संस्करण माना. देखा जाये तो कानपुर में 'वेलेंटाइन-डेÓ कहीं विरोध तो कहीं समर्थन की मुद्रा में रहा. विरोध और समर्थन की इस विरोधाभाषी मुद्रा के बीच यह भी समझने की आवश्यकता है कि पश्चिम से आया यह प्रेम उत्सव क्या इस देश में केवल प्रेम का संदेश ही लेकर आया है या फिर कुछ और...!भारत में वेलेंटाइन-डे का एक कड़वा सच यह भी है कि यह उत्सव यहां एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय बाजार रणनीति के तहत प्रायोजित किया गया है. इसका सीधा असर भी सामने आ चुका है. फरवरी का महीना उपहारों, ग्रीटिंग, फैशन, मनोरंजन और तो और कंडोम जैसे उद्योग में ३० से ४० प्रतिशत का इजाफा कर देता है. ठीक १४ फरवरी को..शहर में रोज की तुलना में फूल और कंडोम की अप्रत्याशित ढंग से दो गुनी बिकी हुई. लगता है लगभग सवा अरब की आबादी वाले देश पर दुनिया भर के बाजार विशेषज्ञों का वेलेंटाइन का तीर बनाकर दागना पूरी तरह से निशाने पर बैठा है. देश के, प्रदेश के और शहर के उदारमना प्रेम प्रधान युवाओं को इस बिंदु पर सोचना चाहिए.वैलेंटाइंस-डे प्रेम का उत्सव है. पश्चिमी जगत से आया यह उत्सव अब पूरे विश्व में मनाया जाता है. विशेष बात यह है कि धर्म के परे, यह उत्सव युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है.वैसे नए प्रेमियों के लिए तो इससे बड़ा कोई उत्सव हो भी नहीं सकता है. लेकिन भारत में इस उत्सव को लेकर शुरू से मतभेद रहे हैं, कुछ लोग जहाँ इस उत्सव का समर्थन करते हैं वहीं कुछ अन्य लोग संस्कृति की रक्षा के नाम पर इसका विरोध भी करते हैं. यह सच है कि वेलेंटाइंस-डे युवाओं के लिए अपने प्रेम की अभिव्यक्ति का एक सुनहरा मौका है, वहीं यह भी सच है कि इस उत्सव के पीछे एक बड़ी मार्केटिंग प्लानिंग भी काम करती है. इंग्लैंड के नेशनल रीटेल फेडरेशन के अनुमान के अनुसार इस वर्ष मंदी के माहौल के बावजूद वेलेंटाइंस-डे के दिन होने वाली खरीददारी में कोई कमी नहीं आएगी. इस संगठन का अनुमान है कि एक ब्रिटिश आम आदमी इस दिन लगभग 122 डॉलर खर्च करेगा, यदि सभी लोगों द्वारा किए जाने वाले खर्च को देखा जाए तो यह आँकड़ा 14 बिलियन तक जाता है. वेलेंटाइंस-डे न केवल प्रेमियों बल्कि बाज़ार के लिए भी बिक्री का एक शानदार मौका लेकर आता है, और शायद इसी वजह से इस उत्सव को बढा चढा कर पेश करने के पीछे की व्यापारिक मानसिकता को खारिज नहीं किया जा सकता है. नेशनल रीटेल फेडरेसन का मानना है कि इस वर्ष 35 प्रतिशत लोग फूल खरीदेंगे, और 16 प्रतिशत लोग गहने खरीदेंगे. करीब 60 प्रतिशत लोग ग्रिटिंग कार्ड खरीदेंगे, और इससे इस वजह से कार्ड उद्योग में करीब 30 प्रतिशत तक उछाल आएगा. शायद इसी वजह से ग्रिटिंग कार्ड बनाने वाली कम्पनियाँ इस उत्सव को बढा चढा कर पेश करने में कोई कसर नही छोडती.इस उत्सव से जुड़ा एक और पहलू देखें. कंडोम बनाने वाली दुनिया की एक सबसे बडी कम्पनी ड्यूरेक्स के अनुसार इस उत्सव के दौरान उसके उत्पाद की बिक्री करीब 30 से 40 प्रतिशत तक बढ जाती है. एक ऑनलाइन मैगेजिन द्वारा कराए गए सर्वे के नतीजे बताते हैं कि करीब 40 प्रतिशत युगल इस उत्सव के दिन सेक्स में लिप्त होना पसंद करते हैं. करीब 60 प्रतिशत युगल इसी दिन पहली बार मिलते हैं, जिसे ब्लाइंड डेट कहा जाता है. वेलेंटाइंस डे प्रेम का उत्सव है, लेकिन इसके पीछे के दूसरे सच से भी मूँह नहीं मोड़ा जा सकता.

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