शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

मंत्री का वसूली के लिए शहर पर फंदा

यह व्यापार की दुनिया भी खूब है. यह बड़े उद्यमी भी ऐसे ही बड़े नहीं हुए हैं. अगर एक मंत्री इनसे अस्पताल बनवाने के लिए रुपया वसूल रहा है तो इन दिनों संकट में फंसे एक प्रवचनकारी बाबा को उनके कनपुरिया भक्त उद्यमी ने बाबा को नब्बे लाख की चोट दे दी. बाबा जी फिलहाल चोट सहलाने की भी स्थिति में नहीं हैं.

हेलो संवाददाता

कानपुर शहर वास्तव में वसूली हब है. अभी हाल में प्रदेश के एक मंत्री ने धन वसूली के लिए शहर पर ताजा-ताजा फंदा डाला है. इस शहर में हर तरह की वसूली है. नेता, अफसर, गुण्डा, साधु, समाजसेवी, राष्ट्रभक्त, राष्ट्रद्रोही सब के सब शहर की नाभि (उद्यमियों) पर निशाना साधे रहते हैं. पिछले दिनों जब शहर में माओवादियों का अड्डा रोशन हुआ तो उसके साथ-साथ यह राज भी सामने आया कि शहर के कुछ व्यापारी, उद्यमी और शस्त्र विक्रेता व्यवस्था के विद्रोही नक्सल चरमपंथियों के लिए धन की व्यवस्था करते हैं. धन की व्यवस्था तो यहां के उद्यमी, व्यापारी और दल्ले, नेताओं, संत-महंतों व माफियाओं के लिए भी करते हैं.कानपुर शहर सर्वाधिक राजस्व और सर्वाधिक धन वसूली के मामले में प्रदेश में दूसरे नम्बर पर शुमार किया जाता है. यहां से हर सरकार ने व्यापारियों, मिल मालिकों और उद्यमियों को अपने चेले-चापड़ लगाकर जमकर लूटा है. आइये सीधे आपको ताजी खबर से जोड़ते हैं-फरवरी के प्रथम सप्ताह में धंधा-पानी और उद्योग की नब्ज से जुड़े एक विभाग के दबंग मंत्री ने अपने कानपुर स्थित विभागीय कार्यालय को एक सूची दी. सूची में शहर के बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों व व्यापारियों के नाम थे. स्थानीय विभाग का काम था कि वह उद्यमियों को सूचित करे कि मंत्री जी उनसे मिलना चाहते हैं. स्थानीय विभाग के मुखिया के पीए ने यह जिम्मेदारी निभाई. और एक-एक कर उद्यमियों को फोन करके मंत्री जी की मंशा बताई साथ ही सीधे बात करने के लिए मंत्री जी के पीए का नम्बर भी दिया. शहर के उद्यमियों ने जब मंत्री के पीए से सम्पर्क किया तो कुछ को मंत्री ने कानपुर प्रवास के दौरान सरकिट हाउस में मुलाकात के लिए बुलाया तो कुछ को लखनऊ. मंत्री जी से मिलकर लौटे व्यापारियों और उद्यमियों से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्री जी अपनी मां के नाम से करीब ३० करोड़ रुपये की लागत से एक अस्पताल बनवाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने कानपुर के कुछ बड़े पूंजीपतियों पर निशाना साधा है और सीधे-सीधे 'सहयोगÓ देने की बात कही है.कानपुर के एक बड़े साबुन निर्माता को भी मंत्री का संदेशा पहुंचाने की खबर है. खबर यह भी है कि मंत्री ने साबुन निर्माता से २५ लाख रुपये की मांग की. पहले तो मांग पूरी करने की कोशिश हुई. लेकिन तेज-तर्रार दबंग मंत्री ने जब सेठ जी की सात पुश्तों को तारा और उनकी फैक्ट्री में जारी व्यवहारिक हो चली अनियमितताओं पर डंडा उठाया तो सेठ जी ने मांग की पहली किश्त (१५ लाख रुपये) ढीली कर दी. ऐसे हर एक चप्पल निर्माता को मंत्री जी ने लखनऊ तलब किया. बताते हंै चप्पल वाला सेठ अपने पुराने भाजपाई सम्पर्कों के जरिए मंत्री जी को यह समझाने में कामयाब हो गया कि उसके हालात पहले जैसे नहीं है. इसलिए वांछित सहयोग राशि देना उसके बूते के बाहर है. हेलो कानपुर के पाठक सोच रहे होंगे कि हमेशा खुल्लम-खुल्लम लिखने वाले अखबार में इशारे से क्यों बात की जा रही है. तो बंधुओं! एक मंत्री की जबरिया उगाही की बात कहने के लिए एक भी उद्यमी या व्यापारी हेलो कानपुर के सामने आया..विभागीय अफसरान जब खुद मंत्री की वसूली योजना में सक्रिय सहयोग कर रहे हों तो उनसे कुछ भी पूछने का कोई मतलब नहीं. हालांकि अधिकारी 'पीएÓ ने जो फोन व्यापारियों को किए हैं उसे 'ऑफ द रिकार्डÓ कई उद्यमियों ने स्वीकार भी किया है. सवर्ण तबके से ताल्लुक रखने वाला यह दबंग मंत्री पहले भाजपा से विधायक रह चुका है. अस्पताल के लिए सहयोग वसूलने की बात शहर के व्यापारियों और उद्यमियों ने स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा 'अंटूÓ तक भी पहुंचाई. पता नहीं 'अंटूÓ के संज्ञान में आये इस वसूली अभियान की जानकारी मुख्यमंत्री मायावती तक भी है अथवा नहीं.शहर के व्यापारियों और उद्यमियों को क्या कहें..? इनसे कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की जाती. ये व्यापारी लोग खुद इतने तरह की भ्रष्ट गलतियां करते रहते हैं कि नेता और अफसर इन्हें झट से ब्लैकमेल कर लेते हैं. फिर ये वही पीडि़त उद्यमी हैं जो शहर से लाभ कमाते वक्त शहर को पीड़ा देने में कोई कासर बाकी नहीं छोड़ते. साथ में काम करने वाले मजदूरों को पूर्ण लाभ और पूर्ण 'हित-सुरक्षाÓ नहीं देते..! पान-मसाला वाले, खाद्य मसाला वाले, चमड़ा व्यापारी, प्लास्टिक उद्योग के लोग रुपए की आठ अठन्नी बनाने में जन-जीवन से लेकर जीवन दायिनी प्रकृति सम्पदा तक के सत्यानाश से बाज नहीं आते. इन्हीं मंत्री महोदय ने प्लास्टिक उद्योग से जुड़े एक बड़े उद्यमी से भी सहयोग प्राप्त करने में सफलता हासिल पाई है. एक लाख...सहयोग की न्यूनतम राशि है.

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