शनिवार, 6 फ़रवरी 2010



कोई लौटा

दे मेरे...

कोई लौटा दे मेरे...बीते हुए दिन. ये तो गाना हुआ, बाबू साहब नेता जी से अपने गुर्दे लौटाने के लिए कह रहे हैं. बड़ी अहमक बात है नेताजी ने गुर्दे क्या अपने लगवा लिये हैं जो वापस कर दें. खराब गुर्दे तो डॉक्टर ने निकाल कर कचरे में फेंक दिये होंगे. हां! यहां एक भूल जरूर हुई है इनके गुर्दे मुर्दा अजायबघर में सुरक्षित रखने चाहिए थे. जिससे आने वाली पीढ़ी उनके दर्शन कर धन्य होती रहती. दरअसल ज्यादा महान लोगों की हर चीज कीमती होती है. ये तो गुर्दे हैं शरीर का बेहद आवश्यक अंग. देखिये न बापू की लंगोटी, ऐनक सबकी नीलामी हो रही है. खैर ये तो अच्छा हुआ कि ये गलती सिंगापुर के डॉक्टरों ने की नहीं तो ये तोहमत भी यादव खानदान पर लग जाती. देखो बाबू साहब किडनी तो तुमने खुद खराब की है. इतनी उम्र में आप जो कुछ करते रहे हों वो उचित नहीं था. अब शान्ती से बॉलीवुड की तरह मुंह क्या पैर भी मत करना. सीधे मथुरा की टिकट कटवाओ और वृंदावन में राधे-राधे जपो.पुरानी नसल है कि जब मशीन बिगड़ जाये तो हसीन लोगों से उचित दूरी बनाये रखनी चाहिए. वर्तमान में अपने देश में कोई पार्टी आपके लायक नहीं बची है अब तो दुबई में ही अपना भविष्य तलाशिये. दुनिया की सबसे बेहतरीन इमारह बुर्ज में आशियाना तो बन ही गया है बस दो-चार चेले-चपाटियां लेकर वहां लोकतंत्र की अलख जगाइये. अब ये देश आपके लिये बेगाना बन गया है. बस एक बात का एहतियात जरूर बरतिये इन पाण्डवों से ज्यादा बैर मत पालिये. इतिहास गवाह है कि अहीर बुद्घि का कोई ठिकाना नहीं, कहीं बदलाई गई किडनी केसा वालों की तरह कटिया समझ नोच के फेंक दे. सो निकल लेने में ही भलाई है.


काम की बात!


अपनी बीवी को अपनी सौ प्रतिशत कमाई देने से दस फीसदी सुख मिलता है.किसी दूसरी को अपनी कमाई का दस प्रतिशत देने पर ११० प्रतिशत सुख मिलता हैपैसा आपका/ फैसला आपका..जागो ग्राहक जागो!1

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें