सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

मिशन २०१२

बिक गई कांग्रेस

विशेष संवाददाता

राहुल बाबा के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी मिशन २ हजार १२ पर निकली है. मिशन २ हजार १२ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना है. अभी बीते वर्ष के अंतिम चरण में राहुल गांधी कानपुर आये थे और युवा कांग्रेसियों से मिलकर उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस की वापसी की जुगत बताई थी. इसी क्रम में प्रदेश में आधारहीन हो चुकी कांग्रेस में दम भरने के लिए कांग्रेस का प्राथमिक सदस्यता का अप्रितम अभियान जोर-शोर से चला और खबर आई कि कानपुर शहर व देहात से हजारों की संख्या में युवाओं और प्रौढ़ों ने कांग्रेस की सदस्यता ली है. लेकिन मिशन २ हजार १२ का २ हजार १० में जैसा आगाज हुआ है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस के लिये दिल्ली भले आसान हो लेकिन लखनऊ फतह अभी भी टेढ़ी खीर ही रहेगी. लखनऊ फतह की बात छोडि़ए, कानपुर के लोकतांत्रिक व गणतांत्रिक कांग्रेसियों ने तो १० से २० हजार में अपने-अपने दल की लोकतांत्रिक ताकत (वोट) को बेच डाला. बीते विधान परिषद के चुनाव में कानपुर-फतेहपुर स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी नरेश उमराव को केवल ८ वोट मिले. इसका सीधा सा अभिप्राय है कि ४२ वोटों की ताकत वाली कांग्रेस के ३४ सिपहसलारों ने अपने प्रत्याशी को वोट नहीं दिये. विधान परिषद के लिए शहर में कांग्रेस व कांग्रेस नीति समर्थक वोटरों में विधायक, सांसद, एमएलसी व सभासद गण शामिल थे. केन्द्रीय कोयला राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल वोट डालने नहीं आये. शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेश दीक्षित ने बताया कि कोहरे के कारण उड़ानें रद्द हो जाने के कारण मंत्री जी हवाई अड्डे पर ही फंसे रहे. बाकी ४१ वोटों में दो विधायक अजय कपूर और संजीव दरियावादी हैं. नागेन्द्र स्वरूप की 'कांग्रेसीÓ ही माने जाते हैं. बचे राजाराम पाल तो इन सभी से उम्मीद ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास किया जा सकता है कि ये लोग कम से कम १० से २० हजार के लालच में बसपाई नहीं ही हुए होंगे. इस तरह कुल आठ में ये चार वोट तो खुले वोट हैं बाकी दो सभासदों शरद त्रिवेदी और शमीम अहमद ने अपने मोबाइल पर अपनी कांग्रेसी निष्ठा 'सेवÓ कर रखी जिसे पत्रकारों के सामने दिखाया भी गया. इस तरह शेष बचे ३९ सभासदों में केवल दो ने ही कांग्रेस को वोट दिया है बाकी सब बिक गये.

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