शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

चौथा कोना

एक्सक्लूसिव बनाम एक्सक्लूसिव न्यूज सर जी!

एक्सक्लूसिव स्टोरी न्यूज क्या होती है सर! ताजा-ताजा रिपोर्टर बने एक 'हिन्दुस्तानीÓ ने पूछा तो मैं सकपका गया. मैंने कहा ये तो अपने संपादक या अपने अखबार के सीनियर से पूछो भइया. क्योंकि कनपुरिया स्टाइल में जिसे एक्सक्लूसिव कहा जाता है. मुझे तो वह हमेशा एक्सक्लूसिव (विस्फोटक) लगता रहा है. मगर बात क्या है क्यों पूछ रहे हो? उसने कहा कि मुझे एक्सक्लूसिव न्यूज लाने को कहा गया है वह भी पेट्रोल-डीजल पर. अच्छा तो तुम्हें बताया नहीं गया कि क्या करना है. मैंने पूछा तो बोला नहीं सर! पांचवें दिन वही बंदा मेरे पास नौकरी मांगने आ गया. मैंने कहा क्या हुआ भैया. तुम तो स्टोरी कर रहे थे. तो वह बोला-क्या बताऊं? एक्सक्लूसिव ढूंढ़ते-ढूंढ़ते मैं पहुंच गया. पनकी, सचेंडी की तरफ वहां एक सज्जन ने बताया कि अब तुझे पता नहीं इस क्षेत्र में तो चोरी से लाखों लीटर डीजल, पेट्रोल जो नकली भी होता है खूब बिक रहा है. उसे देशी भाषा में 'बाड़ाÓ कहते हैं. इससे बड़ा एक्सक्लूसिव क्या होगा? मैंने पता लगाने में चार-पांच लीटर पेट्रोल फूंक दिया. आखिर एक दिन बाड़े में पहुंच ही गया. बात सही थी धंधा चल रहा था. मैंने जब वहां एक सज्जन से पूछा कि ये सब क्या है? तो उसने छूटते ही पूछा अखबार से हो? मैंने नाम बता दिया. उसने मुझे जवाब देने के बजाय कहीं मोबाइल मिलाया-दूर हटकर बात की. पांच मिनट बाद घंटी बजी, मैंने बात की तो मेरे ही एक सीनियर ने मुझे धर हौंका गधा कहीं का वहां क्यों पहुंच गया किसने कहा था चलो वहां से. मैं चलने वाला ही था कि बाड़ा वाले सज्जन बोले बेटा हर महीने तुम्हारे अखबार वालों को पचास लीटर पेट्रोल देता हूं, वह भी असली वाला. अब समझ गए. मैं चला आया. दो-तीन दिन बाद ही मुझे पैदल कर दिया गया. अब आप ही कुछ कीजिये. मैंने उसे फर्जी आश्वासन दे दिया. लेकिन उसकी मदद शायद नहीं कर पाऊंगा. उसने तो मुझे यह भी बताया कि बाड़ा वालों की लंबी पहुंच है सर. मैंने कहा छोड़ो और परचून-अरचून की दुकान खोलो. ये 'हिन्दुस्तानÓ है. यहां सब ऐसा ही चलता है. हम ठेका लिए हैं क्या? हां, एक्सक्लूसिव-एक्सक्लूसिव में तब्दील हो चुका है यह सिद्घ तो काफी पहले था पुष्ट अब हो गया. बल्कि हष्ट-पुष्ट कहिए जनाब.1

पीयूष त्रिपाठी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें