शनिवार, 5 दिसंबर 2009


इरशाद पर इस्मा ने लगाया बच्चे छीनने का आरोप बेटी के पासपोर्ट के लिए दीं गलत जानकारियांविदेशी मामलों के मंत्रालय ने दिये जांच के निर्देश जारी पासपोर्ट को प्रतिबंधित किया गया

इरशाद आलम कानपुर में टेनरी व्यवसायी हैं. इरशाद का नाम सिर्फ कानपुर में ही नहीं बल्कि पूरे देश में या यूं कहें कि हिन्दी फिल्मों की मुरीद दुनिया में अचानक उस वक्त सुर्खियों में आया जब जनाब ने ऐतिहासिक किरदारों से भरी-पुरी फिल्म ताजमहल के निर्माण का ऐलान किया. यह फिल्म बॉलीवुड की अब तक की सर्वाधिक महंगी फिल्मों में शुमार की गई. तब इस्मा आलम इरशाद की बेगम थी. एएनडी कॉलेज में वह छात्र संघ की अध्यक्ष भी रहीं. दोनों का प्रेम विवाह हुआ था. इस तरह कहा जा सकता है ताजमहल फिल्म की बुनियाद में भी मोहब्बत ही थी लेकिन इस मोहब्बत में जल्द ही आग लग गई. इरशाद और इस्मा में तलाक हो गया. तलाक के बाद भी जंग जारी है. कभी थाना, कभी अदालत तो कभी लखनऊ, दिल्ली के दांव-पेंच. इरशाद के पास पैसे की कमी नहीं है. इस्मा आर्य नगर में साधारण मध्यम वर्गीय परिवार में पली-पुसी लड़की है लेकिन जागी हुई..!

दुनिया जानती है ताजमहल मोहब्बत के शहशाह और शहजादी की कहानी है. चाहें यह ताजमहल आगरा में दूधिया पत्थरों की शान हो या फिर मुंह के बल धड़ाम हुई सौ करोड़ से भी अधिक की फिल्म 'ताजमहलÓ हो. जहांगीर और मुमताज का जमाना सुल्तानी जमाना था...तब मोहब्बत की इस निशानी को हमेशा-हमेशा बेमिसाल बने रहने के लिए कारीगरों की उंगलियों को उतरवा लिया गया था. अच्छा हुआ आज जमाना सुल्तानी नहीं है. वरना जिस ताजमहल की कहानी का यहां जिक्र हो रहा है उसके शहजादे और शहजादी किसी और का नहीं बल्कि खुद एक-दूसरे का ही सर उतरवा लेते. क्योंकि इस बार की 'ताजमहलÓ में कहानी मोहब्बत की नहीं बेवफाई की है. शहर जानता है १०० करोड़ से भी अधिक की फिल्म ताजमहल के निर्माता इरशाद आलम और उनकी बेगम इस्मा आलम में फिल्म की असफलता के बाद अचानक 'तलाकÓ हो गया था. तलाक के बाद कहानी खत्म हो सकती थी. लेकिन एक बार फिर मोहब्बत की निशानी भारी पड़ गई. 'इन दिनों इरशाद और इस्मा में संतानों के हक के लिए कानून, पैसा और रसूक की खुली जंग छिड़ी हुई है.Ó ताजा खबर यह है कि इस्मा ने विदेशी मामलों के मंत्रालय के पासपोर्ट विभाग से शिकायत की है कि इरशाद आलम ने गलत जानकारी देकर बेटी उरूज इरशाद आलम का पासपोर्ट बनवा लिया है. वह मय बच्चों के कभी भी देश छोड़कर विदेश में बस सकता है. मंत्रालय ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है. वैसे भी न्यायालय का आदेश है कि इरशाद और इस्मा के दोनों बच्चों इरिस अब्राहम और उरूज के पासपोर्ट मां इस्मा के पास ही रहेंगे और बच्चों को पति इरशाद कानपुर न्यायालयीय क्षेत्र से बाहर नहीं ले जा सकते. न्यायालय ने साथ ही यह भी कहा कि बच्चों पर हक का वाद जबतक अंतिम रूप से निस्तारित नहीं हो जाता बच्चे मां के ही पास रहेंगे. इस्मा के अनुसार हुआ यूं कि तलाक के बाद भी इरशाद बच्चों से मिलने फ्लैट पर आते थे. एक दिन बच्ची उरूज को वह घुमाने-फिराने के लिए ले गये लेकिन इसके बाद वापस नहीं आये. उरूज आज भी इरशाद के पास है. 'इस्माÓ उसे पाने के लिए थाने से लेकर कचहरी और अब कचहरी से लेकर विदेश मंत्रालय तक दौड़-भाग में लगी है. वह कहती है कि देखें कानून और न्याय में ताकत है या फिर पैसे के बूते दुनिया को पैरों तले कुचल देने वाले इरशादी जज्बे में.इस्मा ने विदेश मंत्रालय (पासपोर्ट विभाग) से सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इरशाद के वे सारे प्रपत्र हासिल कर लिए हैं जिससे प्रमाणित होता है कि इरशाद ने अपने बच्चों के पासपोर्ट बनवाने के लिए मंत्रालय को गुमराह किया. सबसे पहले उन्होंने उरूज के पूर्व में जारी 'पासपोर्टÓ के 'गुमÓ हो जाने की झूठी रिपोर्ट लिखवाई. झूठी इसलिए कि बच्चों के पूर्व के पासपोर्ट 'इस्माÓ के पास आज भी हैं.इरशाद ने उरूज के पासपोर्ट के लिए सबसे पहले इलाहाबाद के शिवकुटी थाना में ९ मार्च २००९ को प्राथमिकी दर्ज कराई कि मुकदमें की पैरवी के सिलसिले में इलाहाबाद आना हुआ था. रास्ते में गोविंदपुर और अपट्रॉन के बीच मेरी बेटी उरूज का पासपोर्ट कहीं गिर गया. इसी रिपोर्ट के आधार पर १७ मार्च २००९ को इरशाद आलम ने उरूज के लिए नये पासपोर्ट का आवेदन किया. आवेदन में मां का नाम इस्मा आलम ही है. इस पर इस्मा की शिकायत यह है कि इरशाद ने उसके फर्जी दस्तखत बनाये हैं. इसतरह प्रथम दृष्टया इस्मा के फर्जी दस्तखत, पासपोर्ट होते हुए नये पासपोर्ट की प्राप्ति और पुलिस में झूठी प्राथमिकी .आदि ऐसे संगीन आरोप सामने आये कि विदेश मामलों के मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए संबंधित विभाग को निर्देशित किया है. साथ ही कानूनी और न्यायिक जंग के मियादी तिलिस्म का कहीं कोई फायदा न उठा सके इसलिए जारी 'पासपोर्टोंÓ की 'फ्लैगिंगÓ करा दी है. फ्लैगिंग का अर्थ हुआ कि अगर कोई भी उरूज या इरिस अब्राहम का पासपोर्ट दुनिया के किसी भी हवाई अड्डे पर इस्तेमाल करेगा तो मौके पर ही पकड़ा जायेगा.पासपोर्ट हासिल करने के लिए फर्जी जानकारियों के संबंध में जब इरशाद आलम से बात की गई तो उनका कहना था कि आप जो चाहें लिख दें मुझे कुछ नहीं कहना है.

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