शनिवार, 5 दिसंबर 2009

आखिर क्यूं?

इन दिनों शहर की तमाम दीवारों पर एक इश्तहार नजर आ रहा है. इसमें ढाई दर्जन बार क्यों, क्यों नजर रटा गया है. लोकतंत्र में सबको सबसे क्यों, क्यों करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. भारत सरकार द्वारा प्रदत्त इन अधिकारों के तहत मैं कुछ चुनिंदा सवाल आपसे पूछना चाहता हूं.आप बीजेपी से हटे क्यों?आप सपा में गये क्यों?वहां से भी हटे क्यों?बसपा मे आये क्यों?अब दिखते नहीं क्यों?इतनी महंगाई में भी वजन बढ़ रहा है क्यों?आवाज में बुलंदी घट रही है क्यों?अब आइये उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के बारे में जान लें. क्यों पूछने वाले शायद ये चाहते हैं कि इसका अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य को बना दिया जाये. हम इसके लिए चारों खाने तैयार हैं तो फिर बाजपेयी जी को उनकी जगह बैठा पायेंगे आप, क्यों?आप पुराने क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं, आप अंर्तयामी हैं, आपको सब पता है. कल आप ये भी कह सकते हैं कि इंडिया की क्रिकेट टीम में दलितों को आरक्षण दिया जाये. फिर वो चाहें गेंद हाथ से फेंके या अपना चरण वन्दन करायें. आपकी पार्टी की ही तरह सपा शासन में पार्टी का सर्वनाश करने वाले बाबू साहब भी यूपीसीए की सीट पर बैठने के लिए इतने आतुर थे कि कुर्सी की नाप के कपड़े तक सिलवा डाले थे. काम नहीं बना तो मैदान का किराये पांच से पचास लाख करवा दिया. अब शू-शू तक करने के लिए लाले हैं, किडनी बदलवा के आये हैं. सो, हे मेरे भाई इधर से खोपड़ी घुमा के रखने में ही भलाई है. कुछ कारण है तो मैदान का किराया तय करवाओ ते तुम्हें सक्सेना साहब की जगह सेट करवाया जा सकता है बाकी सारी सीटें फुल हैं.कांग्रेस की जयभूख से परेशान एक आदमी गंगा जी से मछली लेकर अपने घर पहुंचा और अपनी औरत से बोला इसे पकाओ. औरत ने कहा कि घर में न तो गैस और न ही कुछ ईंधन तो क्या इसे तुम्हारी खोपड़ी से पकायें.आदमी ने ताव में मछली उठाई और पानी में फेंक आया. मछली कूदकर बाहर आई और बोली कांग्रेस की जै, जिसके कारण मेरा जान बची.1

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