शनिवार, 5 दिसंबर 2009

रिश्ता टूटा है हिम्मत नहीं: इस्मा

प्रमोद तिवारी

इरशाद आलम और इस्मा की मुलाकात १९९७ में किसी काम के सिलसिले में हुई और साल भीतर दोनों ने शादी कर ली. सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक दोनों के बीच घरेलू हिंसा और तलाक की खबर आई. तलाक की वजह क्या रही, इस पर इस्मा का कहना है कि अभी मैं खामोश हूं क्योंकि मैं खुद को तलाक शुदा नहीं मानती. तलाक का मसला अभी भी न्यायालय और बुजुर्ग मौलानाओं के पास विचाराधीन है.लेकिन मेरे घर की तबाही की जो भी वजह है वह घर की ही है और बेहद घिनौनी. मुझे अब इस बात का दुख नहीं है कि मेरा इरशाद से रिश्ता टूट गया. दुख है तो इसबात का कि पिछले नौ महीने से मेरी बेटी उरूज न्यायालय के आदेश के बावजूद मेरे पास नहीं है और मैं दर-दर ठोकरें खाने के बाद भी अपनी बेटी की एक झलक देखने को तरस रही हूं. एमएम नवम (स्वरूप नगर) का स्पष्ट आदेश है कि तीन साल की बच्ची उरूज जब तक फैसला नहीं हो जाता मां के पास ही रहे. सिर्फ उरूज ही नहीं इरशाद मेरे बेटे इरिश को भी उठा ले जाना चाहता है. ऐसी एक कोशिश वह कर भी चुका है. इरिश को इरशाद उसके स्कूल डीपीएस से ले गया था और जब मैंने स्कूल वालों से बात की तो उन्होंने वापस मेरे बेटे को मुझे दिलाया.ऐसा नहीं कि इरशाद अपने बच्चों से बड़ी मोहब्बत करते हैं इसलिए ऐसा कर रहे हैं. उन्हें तो बच्चे छीनकर मुझे जिन्दगी भर तड़पाना है. इसीलिए उन्होंने गलत जानकारियां देकर उरूज का पासपोर्ट बनवाया है ताकि उसे देश से बाहर भेज सकें. मैं जीते जी ऐसा होने नहीं दूंगी.धीरे-धीरे एक साल होने को आ रहा है मैं रोज कोई न कोई नया नरक भोग रही हूं. कभी किसी थाने में, कभी किसी बहाने तो कभी किसी आरोप में मुझे और मेरे परिवार को फंसाने का सिलसिला जारी है. कोई आधा दर्जन मुकदमे हम लोगों के खिलाफ लिखाए गये हैं. इस काम के लिए इरशाद ने एक वकील को घर में ही रख लिया है. इन लोगों की शिकायतें कैसी होती हैं इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा लें कि अब तक चार मामलों में पुलिस ने या तो फाइनल रिपोर्ट लगा दी है या मामला स्पंज हो गया है.1

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