शनिवार, 5 दिसंबर 2009


आप
हथेलियों
की रेखाओं से कुछ जान सकते हैं

जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा भाग्य रेखा प्रमुख है. विद्या रेखा, प्रणय रेखा, संतान रेखा, यात्रा रेखा, चिंता रेखा छोटी रेखायेंं हैं. बाई हथेली बताती है हम भाग्य में क्या लेकर आये हैं. दाईं बताती है कि हमने अपने कार्यों से क्या प्राप्त किया है. रेखा पर यदि क्रास बना है. कटी है या टापू बना है तो वह अच्छा नहीं है जीवन रेखा पर रोग का सूचक यदि प्रारम्भ में जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा नहीं मिलती तो स्वभाव क्रांतिकारी होता है. अंगुलियों के बीच अंतर है तो फिजूल खर्ची, हथेली गहरी है तो धन, भाग्य रेखा हथेली के नीचे बाईं तरफ से निकले तो किसी कला में पारंगत. यदि अंगूठा हथेली से ९० डिग्री का कोण बनाता है तो स्वयं निर्णय लेने की क्षमता यदि अंगूठा झुका रहता है तो विपरीत.अंगूठे में तीन की जगह चार पोरे (चिन्ह) तो बाहरी सम्पत्ति प्राप्ति ऊपर का भाग बड़ा तो महत्वाकांक्षी यदि तिल रेखा पर है तो अशुभ ग्रह पर शुभ. अतएव अच्छे कार्य करिये और दाईं हथेली की रेखाओं में देखें.1

पारिवारिक चिकित्सा के अभाव में देश की व्यवस्था
'फैमिली मैडिसनÓ अर्थात पारिवारिक चिकित्सा के अभाव में कोई भी व्यवस्था देश के नागरिकों को अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी चिकित्सा नहीं दे सकती. यह व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है इसका व्यापक रूप से विस्तार करना होगा अन्यथा हमारे देश में अस्पतालों की संख्या, विशेषज्ञों की संख्या बढ़ती जायेगी परंतु बीमारियां वहीं की वहीं रहेगी. हमारी रोग दर में कोई कमी नहीं आयेगी. आम आदमी अपनी बीमारियों से जीवन भर जूझता रहेगा. 'फैमिली मैडिसनÓ का मतलब है कि प्रत्येक गर्भवती महिला का प्रसव सुरक्षित होगा, प्रत्येक बच्चा एक स्वस्थ वयस्क बनेगा. प्रत्येक वयस्क अधिक से अधिक निरोग रहेगा. इसके लिए आवश्यक है कि एक तंत्र की जहां प्रत्येक नागरिक की पहुंच एक ऐसे योग्य और सक्षम चिकित्सक तक हो जो उसकाव्यय वहन कर सके और जो उसकी अधिक से अधिक साधारण बीमारियों और आकस्मिक रोगों या दुर्घटनाओं का इलाज कर सके. ऐसी व्यवस्था के लिए देश के अधिक से अधिक डॉक्टरों को प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पोस्ट करना होगा. इससे भी आवश्यक है इन डॉक्टरों का फैमिली मैडिसन में निपुण होना. खेद का विषय है कि वर्तमान में हमारे मेडिकल कॉलेजों में जो शिक्षा का कार्यक्रम है उसमें पूरा जोर है विशेषज्ञ बनाने पर फैमिली मैडिसन जो चिकित्सक तंत्र की ठोस नींव है, रीढ़ की हड्डी है उसको पूरी तरह से भुला दिया गया है. फैमिली मैडिसन विभाग की आवश्यकता को भी नहीं समझा गया है. प्रत्येक पढऩे वाला विशेषज्ञ बनना चाहता है. ठीक है विशेषज्ञ बन जाओ परन्तु तुम उसका उपयोग नहीं कर पाओगे. क्योंकि जब तुम अस्पतालों में बैठोगे तो तुम्हें अधिक से अधिक रोगी साधरण बीमारियों से ग्रसित मिलेगें जिन्हें प्राथमिक और माध्यमिक केन्द्रों के डॉक्टर देख सकते थे इलाज कर सकते थे तुम्हारी विशेषता का उपयोग तो तभी हो सकता है जब तुम्हारे पास वही रोगी आयें जिनका रोग असाधारण हो.1

फूलों में रंग कौन देता है?
पौधों की कोशिकाओं में एक तत्व होता है जिनको प्लास्टिड कहते हैं यही प्लास्टिड फूलों को रंग देते हैं. यह तीन प्रकार के होते हैं. क्लोरोप्लास्ट जो हरा रंग देते हैं लियुकोप्लास्टे जो सफेद या रंग रहित रंग देते हैं और क्रोमोप्लास्ट जो अन्य रंग देते हैं. इनकी मात्रा कम और ज्यादा हो सकती है. परंतु क्रोमोप्लाट की मात्रा सबसे अधिक होती है.1 (लेखक पूर्व स्वास्थ्य निदेशक हैं)

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