सोमवार, 21 दिसंबर 2009


बापुओं के प्रकार!


हमारा देश शुरू से बापू प्रधान रहा है. हर काल, युग में पाये जाते रहे हैं और जाते रहेंगे भी. घटना का आरम्भ में उस बापू से करना चाहूंगा जिनकी तस्वीर नोटों पर चस्पा है. हमने उन्हें चाहें दिन से जुदा कर दिया हो, लेकिन जान से प्यारे नोटों पर फेवीकोल की तरह चिपका के रखा है. अब इससे ज्यादा सम्मान और क्या हो सकता है? इन बापू को बंदर और बकरी पालने का बड़ा शौक था. आज उसी के चलते पूरा देश दाल-भात के चक्कर में कुलाटी खा रहा है. वैसे तो अपने शहर में भी एक बापू हुए नहीं, बल्कि सशरीर विद्यामन हैं उनकी व्याख्या अगर मन हुआ तो करूंगा, नहीं तो नमस्ते.दरअसल जिन बापूे की चर्चा है इस सप्ताह करना चाहता हूं वो बड़े नायाब आइटम हैं. आप चाहें उन्हें आइटम बापू भी कह सकते हैं. इनका जाल भी नोट में छपी तस्वीर वाले बापू की तरह पूरे संसार में है. इन दिनों जिस न्यूज चैनल का बटन दबाओ इनका गुणगान सुनने और देखने को मिल जाता है. इनका दायरा फैलकर संस्कार और आस्था चैनल को पार करता हुआ पूरे टीवी नेटवर्क पर फैल गया है. अब तो अखबारों और पत्रिकाओं में भी इनके गुणगान देखने को मिल रहे हैं. इन्हें धरती मां से बड़ा प्रेम है. इसी के चलते धरती खाली देखते ही अपने में समेट लेत हैं. ये अपने भक्तों को भी माया-मोह से मुक्त कर खुद उसमें फंस जाते हैं. त्याग की इतनी बड़ी मूर्ति आपको देखने को नहीं मिलेगी. वैसे भी अपनों के कष्ट हरना ही बापुओं का कर्तव्य है. अबकी बार इनकी बात हाईकोर्ट के समझ में जरा कम आई है तो पेट में गैस फंसने की शिकायत से थोड़ा परेशान हैं. लगता है कि कृष्ण जन्म स्थली के दर्शन का योग बन रहा है. वैसे भी वहां कौन कम भीड़ रहती है. धंधा आसानी से चलता रहेगा.जगह और समय दोनों ही बच रहे हैं इसलिए अपने शहर वाले बापू की चर्चा करने में कोई नुकसान नहीं है. शहर के छात्रों और वकीलों को मोमबत्ती दिखाने वाले ये बापू इंसान ठीक-ठाक लगते हैं. शहर के चर्चित बंगले से उनका पुराना बैर है. मौका मिलते ही पिल जाते हैं. रिजल्ट वही होता है जो शेर से लडऩे के बाद आता है. उम्र ढल रही है लेकिन हिम्मत में कमी नहीं है. परमात्मा इनकी धर्म पत्नि को हमेशा सुहागिन बनाये रखें, अपने शहर के एकलौते बापू होने के साथ अपनी उनके एक मात्र पति भी हैं. (मेरी जानकारी के अनुसार) आजकल किसी की गारंटी लेने का समय नहीं है.1

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