शनिवार, 30 अप्रैल 2011

मार्शल का बाईस्कोप

भ्रष्टाचारी कनकैयाबाजी

अनुराग अवस्थी 'मार्शल'

देश, मनमोहनी सोनिया की मायावी साथियों के साथ भ्रष्टाचार और कालेधन, आय से अधिक सम्पत्ति पर मुलायम रवैय्ये आक्रोशित उद्विलत, उत्तेजित और उद्विग्न है।
ये सब ढील देकर पेेंच लड़ाया करते हैं किसी भी कानूनू का मंझा इतना मजबूत नहीं है  कि भ्रष्टाचार की पतंग को कन्ने से काट सके। एक कटती भी है तो इसे और ये इनके राजा-रानी खुद ही लूट कर दुबारा उड़ा देते है। देश की जनता इनकी लगातार उड़ती पतंगो को देख कर परेशान है। अब अन्ना का लंगर इनकी पतंगो को रोक पायेगा इस पर है सबकी निगाहे, लेकिन कुछ दिग्विजय राजा इन लगरों की ही कमजोर कर पतंगों के लगातार उडऩे की हवा तैयार कर रहे है।
ऊपर जब यह हाल है तो बीच वाले भी मौज मार रहे है। ए.सी कमरे में बैठकर नीचे डी सी पंखे की हवा से भी महस्म लोगों के लिए बनाने वालों के कानूनों ने व्यवहार किया है कि 'अंधेर नगरी बनाकर सब राजा मौज ही मौज कर हरे है
फर्जी पायजट प्लेन उड़ा रहे है पता

किसी को चल ही नहीं रहा है। एग्जाम के लिए तैयार पेपर गलत बन जा रहे हैं, लीक हो जा रहे है।
जो काम सुप्रीम कोर्ट नहीं कर सकता उसे ककवन गांव प्रधान बीडीओ ने कर दिखाया। गांव में कल १४९ बी पी एल थे, इनमें से कुछ मर चुके, कुछ गांव छोड़कर चले गये कुछ लखपति हो गये, स्वयं इसमे गांव प्रधान पति भी शामिल है। सूची छोटी नहीं हुई। इन्द्रा आवास के लिए ४५००० रुपये बाटने का नम्बर आया तो सूची २१८ की हो गयी। नीचे से ऊपर तक दस जगह दस्तखतख् सस्तूति होती हुई रुपया आ गया और बंटने लगा।
सी बी आई इन्क्वायरी की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में रिट होती है और फैसला तीन-छ: और बारह महीने तक नहीं होता है। यही कारण है कि आरूषि हत्याकाण्ड में भी सबूत नहीं मिलते है।
वि.वि.के फार्मों पर हीरोइनों की फोटो चिपकी मिलती है। तब पता चलता है कि ठेके पर फार्म भरे जा रहे हैं।
बी.एड. का सेशन एक साल का होता है ले किन चार साल से एक्जाम ही नहीं हुए है। सेशन चल रहा है।
अब तो साफ हो गया है कि जिम्मेदारों की फौज 'अजगर करै न चाकरी पंक्षी करै'। को अपना मुल मंत्र बनाये है।
 जहां नजर डालिए या तो मुंगेरीलाल मिलेगें या नटवरलाल मुगेरीलाल ए सी कमरे में बैठकर नीति बना डालते है। उन्हें मालूम ही नहीं है कि जहंा इस योजना को लागू होना है वहां स्टाफ कितनी है, मौसम कैसा रहता है, दिक्कते क्या आती है।
व्यवहारिकता से कोसों दूर अपना मुंगेरी कल्पना की उड़ान मेें चावला को पीछे छोड़ता अपना मुंगेरी ११७० रु० में  गेंहू खरीदने का आदेश कर देता है और बेचारा किसान १०७० में आढ़ती को गेहूं  बेंचकर अपने घर जाता है। फिर यही आढ़ती सरकारी बोरों में गेहूँ  पैक कर ११७० रु० लें लेता है। कु छ दक्षिणा बांट देता है। सरकारी स्टाफ के नटवरलाल अपना काम पूरी इमानदारी से कर रहे है। जहां मौका मिले एक के तीन बना रहे है। नटवरलाल पुलिस प्रशासन न्यायपालिका आयकर पत्रकारिता एन जी ओ सभी क्षेत्रों में फैले हैं।
मुंगेरीलाल और नटवरलाल से बचाने के लिए देश में सरकार को अन्ना हजारे आयात  करने पड़ेगे। इतने अन्ना कहां से आयेंगे। अन्ना आयेंगे तो उनके साथ शान्ति भूषण किरन बेदी,  केजरीब ल कहां से लाये जायेंगे।
एक अन्ना और शान्तिभूषण पर ही ग्रहण लग रहे है। बाकी का क्या होगा। अब तो जरूरत इस बात की है कि हर आदमी को अपनी डयूटी खुद पूरी करनी पड़ेगी। उसे जन्म मृत्यु, आय जनगणना, पल्सपोलियो ड्राइविंग लाइसेन्स खुद जाकर बनवाने पडेगा।
अवैध कब्जा खुद हटाना होगा। वरना पहली बार के बाद दुबारा जुर्माना ५०० रुपये तिबारा और ज्यादा चौबारा ज्यादा। वरना चौराहे सड़कें जाम ही रहेंगी। सरकारी कब्जा हटाओ अभियान चलता ही रहेगा। गांवा में चकरोड कभी खाली नहीं होंगा।
जिम्मेदारी को मुगेंरीलाल और नटवरलाल बनने से रोकना पड़ेगा। वरना इस देश में हर जान जोन के बाद एक डिवाइडर बनेगा। एक सी बी आई इन्क्वायरी होगी, एक मंत्री इस्तीफा देगा। तब तो सड़क डिवाइडर बन जायेंगे सी बी आई के पास इतने मुकदमे होंगे जितने लेखपालों के पास १२२ बी की फाइलें और पूरा मंत्रीमण्डल जेल पहुंच जायेगा। देश और प्रदेश तब भी नहीं सुधरेगा।
 नियम कानून की जानकारी हर व्यक्ति  को दी जायेगी। फिर कानून का पालन हर आदमी के लिए अनिवार्य कर दिया जाये। कानून तोडऩे पर जुर्माना फिर कड़ी सजा।
तीसरे कानून का राज स्थापित करने की जिम्मेदारी जिनकी है इसके लिए हर महीने गांधी छाप की मोटी गड्डियां लेते हैं उनको हर्रा खोरी करने पर पहले वार्निंग फिर नुकसान की वसूली और फिर नौकरी से बाहर। कड़े कानून, कड़ाई से पालन उल्लघन पर कड़ा दण्ड। वरना सारे विश्व में हम भिखारियों और सांप का देश माने जाते थे, अब मुंगेरीलाल और  नटवरलाल का देश माने जाये।
और अंत में  
कलमाड़ी अन्दर, कनुमोझी का नम्बर, राजा बना है बन्दर, फिर भी एक-एक बेइमान सिकन्दर क्योंकि हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और।1

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