शनिवार, 30 अप्रैल 2011

नारद डाट काम

फटने का डर

लोग २१ मई की बात कर रहे हैं इनका मानना है कि इस तारीख को धरती फट जायेगी और इसी के साथ पूरी दुनिया का रामनाम सत्य होना है। बाकायदा इसके प्रचार के लिये होर्डिंग तक लग गये हैं। लोग दहशत में हैं, होना चाहिये भी। फटने का डर मानव जाति में जन्मजात होता है चाहे कुछ भी फटे लोगों को तकलीफ होती है। भविष्य बांचने वालों का मानना है कि १२ जून तक शनिदेव वक्री चल रहे हैं तब तक कुछ भी फट सकता है।
जेलों में माननीयों के लिये आरक्षण तक करवाना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति भी आ सकती है कि चोर उचक्कों को थोक के भाव में जेल से बाहर का रास्ता दिखाया जाये। हालात भी कुछ ऐसे ही बन रहे हैं। राजा अन्दर गये तो सुरेश कलमांड़ी पहुंच गये तमाम  कारपोरेट सेक्टर के कारपोरेटर पहले से वहां आराम फरमा रहे हैं। शीला, मुन्नी जिसे देखो अन्दर जाने को बेताब हैं वो तो भला हो सीबीआई का कि अम्मा पर रहम आ गया। लेकिन अन्ना कहां मानना वाले हैं उनकी मंशा तो जेल में सड़वाने की है। दूसरों का कल बताने वालों की मानें तो १२ जून तक ऐसी फटाई होनी है कि कोई रफूगर रफू नहीं कर पायेगा। इन्हीं ग्रहों की दशा ने प्रेस क्लब में भी फटन पैदा कर दी है। मिश्र और लीबिया की तरह यहां भी लोकतंत्र की बहाली होने के आसार दिख रहे हैं। कुल मिलाकर इस फटन से कोई बच नहीं रहा है। इसलिये पूरी सावधानी अपेक्षित है। मैं तो बहुत पहले से इस फटन के शिकार हुये अपने शहर के एकलौते मंत्री के लिये दिल से दुखी था, अब सोंच-सोंच के घबरा रहा हूं कि पता नहीं अब किसका खतना होने वाला है। बेचारे किस्मत के मारे कचेहरी का चुनाव निपटा रहे हैं, डर है कहीं वहां भी फटन की इस क्रिया की चपेट में न आ जायें। मैं तो ठाकुर जी से यही विनती करता हूं कि भगवान सबको साबुत रखे चाहें दोस्त हो या दुश्मन।
पिता- बेटा! १२वीं पास करने के    बाद क्या इरादा है?
बेटा- बीसीए करने का मन है।
पिता- ये बीसीए क्या होता है?
बेटा- बाप की कमाई से ऐश।1

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