रविवार, 10 अप्रैल 2011

नारद डाट कॉम

एक अदद पूनम  बस...
 मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि आप सभी लोग पूनम पाण्डे को अवश्य जानते होंगे। अगर नहीं तो, नवरात्रि में मिलावटी कूटू का आटा खाके आपको मरना नहीं तो कम से कम सरकारी अस्पताल में भर्ती तो जरूर हो जाना चाहिये। खैर चलिये, जान लीजिये ये हैं क्या बला? दरअसल ये अबला नहीं बल्कि कर्बला हैं, इनके पाये जाने का स्थान मुम्बई है और ये ठीकठाक माडल हैं। कुछ दिनों पहले ये अपना मनमोहक चित्र शराब के एक विज्ञापन कलेंडर में छपवा चुकी हैं। इस बार वल्र्डकप में इन्होंने पुख्ता दावा किया था कि अगर इंडिया ये कप जीतती है तो ये अपने पूरे कपड़े स्टेडियम में उतार कर ३-४ बार चक्कर लगायेंगी। मैं गंगा मइया की कसम खाकर कहता हूं कि जैसे मैंने उनकी ये घोषणा टीवी पर देखी मैंने पूरा मैच (एक-एक) गेंद देखी। सहवाग और सचिन जब जल्दी आउट हुये तो मुझे लगा कि मेरी हसरत और मंसूबे गन्दे नाले में बहने वाले हैं। भला हो गौतम गम्भीर और धोनी का जिन्होंने मेरी आस को जिन्दा रखा। भारत वल्र्ड कप जीत गया, मैं टीवी में लगातार आंख गड़ाये रहा लेकिन पूनम नहीं दिखाई पड़ी। अगर २-४ को छोड़ दें तो वहां के सभी दर्शक पूनम पाण्डे का ही इन्तजार करते रहे। मुरलीधरन की बड़ी-बड़ी विकराल आंखे अपने आखिरी मैच को परम यादगार बनाने के लिये पूनम को खोजती रहीं। पवार साहब भी बराबर दायें-बायें चकर-मकर करते रहे। मुझे लगाकर करोड़ों लोग अपनी छाती पीटकर शान्त हो गये। पूनम की इस वादा खिलाफी ने लोगों का दिल टुकड़े-टुकड़े कर डाला। वैसे भी मनुष्य जाति में पाण्डे प्रजाति के लोग अदभुत गुणवत्ता वाले होते हैं। मंगल पाण्डे से शुरू होइये और डण्डा पाण्डे तक जाइये ऐसा आपको मानव का प्रकार शायद ही दिखाई पड़े। खैर कुछ भी हो मैं पूनम के साहस का कायल हो गया हूं। टीवी पर इतनी बात बोलना भी बड़े हिम्मत की बात है। देश को तुम पर गर्व है थोड़ी ताकत और लगाओ, चार साल बाद अगला वल्र्ड कप आयेगा, दुनिया तुम्हारा इन्तजार करेगी। शाबास पूनम पाण्डे।
ये विज्ञान है!
अन्ना हजारे एण्ड कम्पनी भ्रष्टाचार के लिये बनाई गई कमेटी में शरद पवार को रखने से खफा है। ये लोग प्राजी के चातुर्य को नहीं जानते हैं उन्होंने चोर को ही सामान रखाने की जिम्मेदारी सौंपी है। अब ऐसे में चोरी कैसे होगी?1

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें