शनिवार, 30 अप्रैल 2011

खरीबात

कसी मुट्ठी पसर गयी

आमसभा के दबाव में विवादित ९ बरस पुरानी असंवैधानिक प्रेस क्लब की कमेटी ने चुनाव तो घोषित कर दिये लेकिन घोषणा के तुरन्त बाद चुनाव प्रक्रिया को खास लोगों के हाथों का खिलौना बना दिया। कमाल की बात तो यह है कि चुनाव के नाम पर प्रतीक्षित चुनाव प्रक्रिया उन्हीं के हाथों में सौंप दी गई है जो कि चुनाव पक्ष में नहीं थे। मौजूदा सीन क्या है। $जरा ये देखिये।
१७ अप्रैल को प्रेस क्लब कार्यकारिणी की बैठक में २३ अप्रैल तक ग्यारह सदस्यीय कार्यकारिणी बना कर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के साथ ही १ जुलाई को प्रेस क्लब का चुनाव कराने  का निर्णय लिया गया था। कार्यकारिणी के लिये सदस्यों के निर्धारण की जिम्मेदारी महेश शर्मा और राजेश नाथ अग्रवाल को सौंपी गयी। महेश शर्मा और राजेश अग्रवाल को शहर के सभी अखबार समूहों और चैनलों के संचालकों मालिकों या सम्पादकों से मिल कर उनसे एक-एक नाम की स्वीकरोक्ति लेनी थी। १७ तारीख को हुए इस फैसले के बाद प्रेस क्लब चुनाव कराने को आतुर सभी बदलाव के पक्षधर पत्रकार आश्वस्त थे कि २३ अप्रैल तक कार्यकारिणी सदस्यों का निर्धारण कर लिया जायेगा।
खैर २३ अप्रैल का दिन भी आ गया इस दिन सौरभ शुक्ल, गजेन्द्र सिंह, मनोज शर्मा, आदित्य द्विवेदी और नीरू मिश्र, सुनील गुप्ता, कवीन्द्र शर्मा, प्रदीप दीक्षित, इरफान, महेश शर्मा,राजेश अग्रवाल सहित इक्का-दुक्का और पत्रकार भी प्रेस क्लब पहुंचे। एक बार फिर चुनाव कराने  न कराने की मंशा सबके सामने आई। महेश शर्मा और राजेश अग्रवाल को जिस ग्यारह सदस्यीय कार्यकारिणी को बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी वह उस दिन तक बनी ही नहीं थी।
दरअसल ये दोनों ही लोग उस दिन तक किसी अखबार या चैनल के आफिस गये ही नहीं थे। कार्यकारिणी तो २३ अप्रैल को भी शायद ही बन पाती अगर वहां मौजूद युवा पत्रकारों ने इसे बनाने के लिये जिद न पकड़ी होती। खैर जैसे-तैसे वहां मौजूद लोगों ने ही कार्यकारिणी के लिये हर अखबार और चैनल से एक-एक नाम बताये। सभी के दफ्तरों में फोन से ही सम्पर्क किया गया और सहमति या असहमति जानी गयी और ग्यारह लोगों की कार्यकारिणी बनायी गयी। जिसमें  सरस बाजपेयी (दैनिक जागरण), आदित्य द्विवेदी (राष्ट्रीय सहारा), इरफान (उर्दू समाचार पत्रों की तरफ से), अनिल त्रिवेदी (स्वतंत्र भारत), अमित गंजू (ई.टीवी), महेश शर्मा (अमर उजाला), आर.एन. अग्रवाल (जी.न्यूज), राजीव सक्सेना (जन सन्देश), राजेश द्विवेदी (हिन्दुस्तान), धमेन्द्र मिश्र (दैनिक आज), प्रदीप दीक्षित (पाइनियर) शामिल किये गये।
इस कमेटी के बनने के बाद तय किया गया है कि मई के पहले हफ्ते में कार्यकारिणी की अगली बैठक होगी और उसी में प्रेस क्लब चुनाव के लिये पत्रकारों को सदस्य बनाने की अग्रिम प्रक्रियाशुरू की जायेगी। कार्यकारिणी का काम यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी अखबार या चैनल से जो नाम आये हैं वह सम्पादकीय विभाग से ही हैं अखबार या चैनल के अन्य विभागों से नहीं।
इस ग्यारह सदस्यीय कार्यकारिणी ने कवीन्द्र शर्मा को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। इस बीच प्रेस क्लब में यह भी चख-चख मची है कि अभी तक चुनाव प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक चैनल के पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया था तो इस बार क्यों शामिल किया गया है। हालांकि इस चख-चख को फिलहाल गुरुओं ने यह कह कर खारिज कर दिया है कि पहले चुनाव की बाकी तैयारियां हो जायें यह सब बाद में सोंचा जायेगा।
मजेदार बात यह है कि नयी ग्यारह सदस्यीय कार्यकारिणी में शामिल सरस बाजपेयी, इरफान, महेश शर्मा, राजेश द्विवेदी सहित चुनाव अधिकारी कवीन्द्र शर्मा खारिज करे जा चुकी प्रेस क्लब कमेटी के पदाधिकारी हैं।
इस कमेटी के नौ साल डटे रहने के दौरान इन लोगों की निष्पक्षता तो कभी नजर नहीं आयी क्योंकि यदि निष्पक्षता होती तो कमेटी के नौ साल पूरे न हो पाते। चुनाव न जाने कब के हो गये होते। खैर जो भी हो फिलहाल तो इसी कमेटी और नये चुनाव अधिकारी से ही निष्पक्षता की उम्मीद की जा रही है आगे की आगे देखी जायेगी।1
शैली दुबे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें