शनिवार, 30 अप्रैल 2011

ऐसे निभाई जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी

जिले में तैनात लोक सेवकों का दायित्व है कि उनके रहते कानून का अक्षरश: पालन हो और जिले में हर तरह से शान्ति और विकास का राज कायम रहे। शहर में प्रतिबन्ध के बाद भी धड़ल्ले से बिक रहे पान मसाला के कागजी पाउचों के सम्बन्ध में जिले का हर छोटे से लेकर बड़ा जिम्मेदार अधिकारी लगता है या तो अनभिज्ञ है या फिर जानबूझ कर कानून के साथ खुले आम हो रहे इस खिलवाड़ से अपना मुंह फेरे हुये है।

किसी भी जिले में कानून व्यवस्था को लागू करने की अहम जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है। जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस कप्तान, पुलिस कप्तान सहित जिले में तैनात लोक सेवकों का दायित्व है कि उनके रहते कानून का अक्षरश: पालन हो और जिले में हर तरह से शान्ति और विकास का राज कायम रहे। शहर में प्रतिबन्ध के बाद भी धड़ल्ले से बिक रहे पान मसाला के कागजी पाउचों के सम्बन्ध में जिले का हर छोटे से लेकर बड़ा जिम्मेदार अधिकारी लगता है या तो अनभिज्ञ है या फिर जानबूझ कर कानून के साथ खुले आम हो रहे इस खिलवाड़ से अपना मुंह फेरे हुये है। कानून के पालन, शान्ति और विकास के समीकरण का बिगड़ा रूप आज शहर के सामने है। सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बिना मसाला पाउच की बिक्री विकास कर रही है कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हो रहा है और सभी प्रशासनिक अधिकारी शान्त हैं। आइये देखते हैं इस पूरे मामले में कौन सा जिम्मेदार अधिकारी क्या कहता है।
नगर आयुक्त आर.विक्रम सिंह- १ मार्च को सिटी मजिस्ट्रेट की तरफ से माननीय सर्वोच्च न्यायालय का पान मसाले के प्लास्टिक पाउचों पर प्रतिबन्ध लगाने का आदेश मिला था। पान मसाला के प्लास्टिक पाउचों के खिलाफ अभियान चलाया गया था। काफी पाउच जब्त किये गये थे। उसके बाद से इस सम्बन्ध में कोई नया आदेश किसी की तरफ से नहीं आया। आयेगा तो कार्यवाही की जायेगी। जहां तक बात है कागज के पाउच में पान मसाला बिकने की तो इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।

एडीए सिटी शैलेन्द्र सिंह- इस सम्बन्ध में मेरे पास कोई नया आदेश नहीं आया है। जहां तक बात है पान-मसाला के कागज के पाउचों और उनको अधिकतम खुदरा मूल्य से ज्यादा पर बेचने की तो इस सम्बन्ध में मुझे न तो कोई जानकारी है और न ही कोई शिकायत ही अब तक आयी है। अगर बात सही है तो कार्यवाही की जायेगी।

एडीएम आपूर्ति अखिलेश कुमार मिश्र-  इस सम्बन्ध में मेरे पास कोई भी नया पुराना आदेश नहीं आया है और न ही मसाले के प्लास्टिक पाउचों को बेचने से रोकना मेरे अधिकार क्षेत्र में। जहां तक बात है इन नये कागजी पाउचों को अधिकतम खुदरा मूल्य से ज्यादा कीमत पर बेचने से रोकने की तो यह भी मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

जिला प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी राधेश्याम- मुझे इस बात की तो जानकारी नहीं है कि एल्यूमिनियम की लेयर चढ़े पान-मसाला के पाउच बिक रहे हैं या नहीं। फिलहाल तीन कम्पनियों त्रिमूर्ति फ्रेगरेन्स प्राइवेट लिमिटेड (शिखर पान-मसाला), के.के. टुबेको प्राइवेट लिमिटेड (आशिकी पान-मसाला), ए.जे. पान प्राइवेट लिमिटेड के कागज पाउचों के सैम्पल लैब टेस्टिंग के लिये लखनऊ भेजे गये हैं जिनकी रिपोर्ट अभी नहीं आयी है। दो और कम्पनियों केसर पान-मसाला और पान पराग पान-मसाला के सैम्पल पाउच भी आये हैं इन दोनों को भी सैम्पल टेस्टिंग के लिये भेजा जाना है। मानक के अनुसार कागज पाउच पर ०.०३ मिली माक्रोन से ज्यादा मोटी एल्यूमिनियम की पर्त नहीं होनी चाहिये। अन्यथा इससे जल प्रदूषण का भी खतरा बढ़ेगा।

कानपुर मण्डलायुक्त पी.के. महान्ती- माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पान-मसाला के प्लास्टिक पाउचों पर लगाये गये प्रतिबन्ध के आदेश के बाद इस संदर्भ में अब तक कोई भी नया आदेश नहीं आया है। कागज पाउचों पर भी प्रतिबन्ध होने की जानकारी मुझे नहीं है। अगर प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड कह रहा है कि इन कागजी पाउचों पर चढ़ी एल्यूमीनियम की पर्त का कोई मानक है और यदि इन पाउचों को प्रदूषण बोर्ड ने स्वीकृत नहीं किया है तो इस तरह के कागज के पाउचों को भी नहीं बिकने दिया जायगा। रही बात इन पाउचों को अधिकतम खुदरा मूल्य से ज्यादा में बेचने की तो यह बात बाद की है। पहले तो यह पता करना है कि प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की अनुमति के बिना इस  तरह के पान मसाले के पाउच बिक ही कैसे रहे हैं। पूरा मामला देखूंगा। हर स्थिति में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का अक्षरश: पालन किया जायेगा।

जिलाधिकारी हरिओम- इस सम्बन्ध में कानपुर के जिलाधिकारी डा. हरिओम से करीब ७-८ दिनों तक लगातार सम्पर्क करने का प्रयास किया गया। उनके आफिस जाकर और उनके आवास जाकर भी। रोजाना दर्जनों बार उनके सीयूजी नम्बर पर फोन भी किये गये पर फोन नहीं उठा। इसके बाद इस पूरे मामले के सम्बन्ध में विस्तृत एसएमएस लिख कर भी उनके मोबाइल पर भेजा गया लेकिन उसका भी कोई प्रत्युत्तर नहीं मिला। लगता है जिलाधिकारी महोदय अति व्यस्त है होना भी चाहिये। पूरा शहर खुदा पड़ा है, सारी नागरिक व्यवस्थायें चौपट हैं। नागरिक व्यवस्थाओं का एक भी कोना दुरुस्त नहीं है पर शहर के जिलाधिकारी व्यस्त हैं कौन से आवश्यक कार्यों में ये तो वे ही जानें पर शहर में पान-मसाला बिना प्रदूषण नियंत्रण से स्वीकृत कागज पर एल्यूमिनियम की परत चढ़ी पैकिंग में बिक रहा है। इसे रोकने की सबसे पहली जिम्मेदारी कायदे से जिलाधिकारी को ही बनती है। पर ऐसा क्यों नहीं हो रहा है इस प्रश्न का जवाब स्वयं जिलाधिकारी महोदय ही दे   सकते हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश राय- पान-मसाला  के प्लास्टिक पाउचों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाने के सम्बन्ध में माननीय सुप्रीम कोर्ट का अब तक कोई भी आदेश मुझे नहीं मिला है। वैसे यह काम नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग का और जिलाप्रशासन का है पुलिस का नहीं। अगर स्थानीय प्रशासन और नगर निगम इस सन्दर्भ में पुलिस महकमे से कोई सहायता मांगेगा तो जरूर की जायेगी।1

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