शनिवार, 16 अप्रैल 2011

अतिक्रमण हटाने का अभियान या बचाने की मुहिम

कानपुर  भी देश के अन्य प्रमुख और पुराने शहरों की ही तरह से अतिक्रमण की समस्या से बुरी तरह ग्रस्त है। शहर आने वाले देश और प्रदेश की जानी-मानी राजनैतिक, सामाजिक और प्रशासनिक पदों पर आसीन अति महत्वपूर्ण व्यक्तिओं को कानपुर आगमन पर इस समस्या के कारण सड़क के च्जाम के झामज् से अक्सर दो-चार होना पड़ता रहा है। जिला प्रशासन और कानपुर नगर निगम इस समस्या से निजात पाने के लिए तमाम प्रयासों के बावजूद जन-सहयोग की कमी के कारण कभी सफल नहीं हो पाया है। शहर के किसी भी एक मुख्य मार्ग या बाजार को पूरी तरह से अतिक्रमण-मुक्त अभी तक नहीं किया जा सका है। क्षेत्रीय सभासद, जोनल अफसरों और पुलिस की मिली भगत से इस अतिक्रमण के कोढ़ को समाप्त करने में सभी जगह बुरी तरह से असफलता का सामना करना पड़ा है। अब इस बार ये अतिक्रमण विरोधी अभियान कड़ाई से चलाने की पूरी तैयारी थी पर एक खास तरीके से इसे पलीता लगाने के लिए पूरी तैयारी  कानपुर के एक समाचार पत्र के माध्यम से शहर के अतिक्रमणकारिओं    ने कर ली गयी। दूसरी तरफ समाचार पत्र की अति सक्रियता की चाल समझकर कानपुर नगर निगम प्रशासन ने अपनी गुरिल्ला नीति से अतिक्रमणकारिओं की इस तैयारी को बुरी तरह से ध्वस्त करने की योजना बना ली है।
 कानपुर के नगर आयुक्त आर। विक्रम सिंह बताते हैं, 15 अप्रैल से अतिक्रमण के विरुद्ध शहर व्यापी अभियान की स्वीकृति के मद्देनजर एक पत्र कानपुर मंडलायुक्त के समक्ष भेजा गया था, जिसमें क्षेत्रवार अभियान के आधार पर पुलिस और पी.ए.सी. की मांग सम्बन्धी बातों को कानपुर नगर निगम की तरफ से रखा गया था। ये स्वीकृति पत्र और आदेश गुप्त होना चाहिए जिससे अभियान को वास्तविक लाभकारी बने जा सकता। इसे अखबार को नहीं दिया जाना चाहिए था। इसकी उचित शिकायत की जायेगी और दोषी को दण्डित करवाने की संस्तुति कानपुर के मंडलायुक्त पी. के. महान्ति से की जायेगी।
उन्होंने इस अभियान को उद्देश्यपूर्ण और प्रभावी बनाने के लिए इसे अभियान शुरू होने के एक दिन बाद यानी 16 अप्रैल से उस विज्ञापित तिथिवार और क्षेत्रवार अभियान में परिवर्तन कर दिया है। इस प्रकार अब कार्यवाही गुरिल्ला नीति के तहत होगी । अतिक्रमणकारिओं से यूजर चार्ज वसूली के साथ ही साथ अडंगाकारिओं पर कड़ी कार्रवाही की योजना बनायी है। पूरे अभियान की वीडीओग्राफी कराये जाने के साथ ट्रैफिक पुलिस विभाग की भी मदद ली जायेगी। श्री सिंह कहते हैं, यद्यपि कानपुर कमिश्नर से स्वीकृति अवश्य ली गयी है पर यह अभियान पूरी तरह से कानपुर नगर निगम के द्वारा ही चलाया जाएगा न की कानपुर कमिश्नर के द्वारा। शहर के इस सम्मानित अखबार की इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से शहर के अतिक्रमणकारिओं  ने राहत की सांस ली थी जो नगर आयुक्त की सक्रियता के बाद फांस बन सकती है।

अरविन्द त्रिपाठी
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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