शनिवार, 8 जनवरी 2011

नारद डाट कॉम

नये कलेवर में पियक्कड़
हां,  मेरा निश्चित मानना है कि देश के सारे पियक्कड़ अगर एक प्लेटफार्म पर आ जायें तो वो अपनी सरकार बना सकते हैं. इसके पीछे मेरा कोई कुतर्क नहीं बल्कि स्ट्रांग लॉजिक है. केन्द्र से लगाकर देश की हर राज्य सरकार इन्हीं पियक्कड़ों पर साल दर साल जुल्म सितम ढ़ाये जा रहे हैं, ये बेचारे उफ तक नहीं करते और न ही कोई राजनीतिक सामाजिक संगठन इनकी मुश्किलें दूर करने को तैयार है. प्याज टमाटर के दाम बढ़े तो लोगों ने आस्तीनें खोंच ली, शराब पर कितने टैक्स बढ़ओ कोई कुछ कहने सुनने वाला नहीं है. यू.पी. का एक लूला(टुन्डा) ४०वे से लगाकर बोतल पर गुण्डा टैक्स वसूल रहा  है, है किसी माई के लाल  में दम जो उसका दूसरा हाल भी टूटे जैसा कर दे. जवाब निगेटिव में है आज  तक उसका कोई कुछ नहीं कर पाया. देश की सरकारों को क्या कहें? साल के आखिरी दिन मुंह ऐसे सूंघ रहे थे पुलिस वाले जैसे केवड़े के रुह की तलाश में हों. दिल्ली में ५०० शराबियों को पकडऩे के बाद अपनी पीठ पर खुद घूंसे मार-मारकर ऐसे शाबासी ली जैसे आरुषि कांड का खुलासा कर लिया हो. अब पियक्कड़ों के ऊपर हो रही ज्यादतियों की एक मिसाल देखिये. बार और पब सरकार चलाने का लाइसेंस देती है. वहां जाकर आपने २,४,६ पैग धरे, उसके बाद घर जाने का नम्बर आया, आप अपनी गाड़ी से चल दिये और रास्ते में खुद पिये हुये दरोगा जी मिल गये उन्होंने आपके मुंह में मशीन घुसेड़कर बता दिया कि आप यद्यप्रमी है फिर सारी कानूनी कार्रवाई हुई. मैं देश को सारी अदालतों से गुजारिश कर रहा हूं कि इन पियक्कड़ों को कम सो कम प्राकृतिक न्याय तो जरूर दिलाये. दारू सरकार को पियें और जेल भी जायें. ये कहां का न्याय है? दारू पीके यदि गाड़ी चलाना जुर्म है तो पीने के बाद घर पहुंचाने की व्यवस्था भी सरकार की ही होनी चाहिए लेकिन कुछ ठीक करने के बजाय सारे के सारे लोग यद्यप्रेमियों के पीछे पड़े रहते हैं. इस शहर के कलेक्टर साहिब भी क्या चीज हैं लोगों से कह रहे हैं कि दारू न पियें और गरीबों को कम्बल बांटे. बात सुनने और कहने दोनों में अच्छी लग रही है लेकिन असलियत कुछ जुदा ही है इन बंटे हुये कम्बलों के बदले अधिकांश लोग दारू ही खरीद कर पी लेते हैं. बात में दम न नजर आ रहा हो तो दारू और कम्बल साथ-साथ बटवाइये फिर देखिये लाइन कहां की लम्बी है?
मि. भरोसे मंद
ये नाम है राहुल द्रविण का है. दक्षिण अफ्रीका दौरे पर २०० कैच लेने का रिकार्ड भी बनाया है. लेकिन भाई लोगों ये ४०० कैच छोड़ भी चुके हैं इसकी लिखा पढ़ी कौन करेगा?1

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